ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होते हम, सीएनजी- एलपीजी और बायो फ्यूल बना ईंधन का विकल्प

Self-reliant in terms of energy, CNG-LPG and Bio fuel became the alternative of fuel
ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होते हम, सीएनजी- एलपीजी और बायो फ्यूल बना ईंधन का विकल्प
नागपुर ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होते हम, सीएनजी- एलपीजी और बायो फ्यूल बना ईंधन का विकल्प

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदर्भ थर्मल पावर से मिलने वाली ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन गया है। यहां हर दिन करीब 12 हजार मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन होता है। राज्यभर में लगने वाली कुल ऊर्जा का 50 फीसदी अकेला विदर्भ तैयार करता है। ऊर्जा में आत्मनिर्भर होने के कारण ही यहां लोड शेडिंग से मुक्ति मिल चुकी है। नागपुर जिले में कोराडी व खापरखेडा थर्मल पावर स्टेशन हैं। चंद्रपुर में भी पारस थर्मल पावर प्लांट है। निजी क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर ऊर्जा का उत्पादन होता है। गोंदिया जिले के तिरोडा में अदाणी ग्रुप, रतन इंडिया व साईं वर्धा प्लांट से बिजली बनती है। केंद्र सरकार के अधीन एनटीपीसी मौदा से भी 870 मेगावाट बिजली मिलती है। सरल शब्दों में कहें तो राज्य को हर दिन 18,865 से 22,500 मेगावाट बिजली की जरूरत है आैर करीब 12 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन अकेले विदर्भ में होता है। इसी वजह से विदर्भ को थर्मल ऊर्जा की खान भी कहा जा सकता है। 

थर्मल पावर प्लांट 

उत्पादन क्षमता पर एक नजर

प्लांट का नाम     उत्पादन क्षमता 

(मेगावॉट में)

कोराडी                 2400
खापरखेडा            1340
चंद्रपुर                  2920
पारस                     500
तिरोडा (अदाणी)    3300
रतन इंडिया          1200
साईं वर्धा               240
मौदा एनटीपीसी     870
 

सीएनजी, एलपीजी व बायो फ्यूल को बनाया ईंधन का विकल्प

‌विकास की अवधारणा से कदमताल मिलाते विदर्भ में प्राकृतिक संसाधनों को ध्यान में रखते हुए  कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी), लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) व बायो फ्यूल को ईंधन के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा है। सीएनजी से वाहन दौड़ाने के साथ ही टर्बाइन के माध्यम से बिजली निर्माण भी किया जा रहा है। वहीं, बायो फ्यूल इथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर वाहनों में ईंधन के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इससे न केवल प्राकृतिक संसाधनों की बचत हो रही है बल्कि प्रदूषण भी घट रहा है। 

सौर ऊर्जा भी थर्मल पावर का बड़ा विकल्प

विदर्भ में सौर ऊर्जा के कई प्लांट लगाए गए हैं, जहां से प्रतिदिन करीब 2,103 मेगावाट सौर ऊर्जा मिल रही है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने सरकार सब्सिडी देने के अलावा नई योजनाएं भी ला रही है। सरकार खुद भी 3 रुपए 25 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से सौर ऊर्जा खरीद रही है। नागपुर जिले की बात करें तो काटोल में सेफसेट कंस्ट्रक्शन 42 मेगावॉट, सिट्रा रियल इस्टेट 2 मेगावॉट, अलिअस पावर 12 मेगावॉट सौर ऊर्जा का निर्माण कर रहे हैं। निजी तौर पर भी घरों की छतों पर सोलर प्लांट लगाकर सौर ऊर्जा का निर्माण किया जा रहा है। विदर्भ से सौर ऊर्जा पैनल की बिक्री देशभर में होती है। ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने अमरावती के चिखलदरा क्षेत्र में पवन चक्की से बिजली का निर्माण हो रहा है। राज्य में पवन चक्की से 2,841 मेगावाट बिजली निर्माण की क्षमता है। 

लोड शेडिंग के बिना बेहतर सेवा देने का संकल्प

महावितरण नागपुर जिले में 12 लाख 50 हजार उपभोक्ताओं को निरंतर बिजली आपूर्ति कर रहा है। परिमंडल के तहत करीब 16 लाख बिजली उपभोक्ता हंै, जिनमें से शहर में 9 लाख, ग्रामीण में 3.50 लाख और वर्धा जिले में लगभग 3.50 लाख उपभोक्ता हैं। 71 हजार करोड़ रुपए के आर्थिक बोझ के बावजूद महावितरण की तरफ से लोड शेडिंग के बिना बेहतर सेवा देने की कोशिश हो रही है। महावितरण, महानिर्मिति व अन्य निजी प्लांटों से बिजली खरीदता है। महानिर्मिति से खरीदी बिजली महावितरण तक पहुंचाने का काम महापारेषण का है। महापारेषण के पावर हाउसेस में हाई वोल्टेज बिजली आती है, जिसे लो वोल्टेज में कन्वर्ट कर महावितरण को भेजा जाता है। इसके बाद महावितरण उपभोक्ताआें को बिजली आपूर्ति करता है। महावितरण नागपुर परिमंडल के तहत नागपुर व वर्धा जिला आता है। महावितरण की शहर में 5, ग्रामीण में 4 व वर्धा जिले में 3 डिविजन हैं। 
 

 

 

Created On :   9 Dec 2021 5:50 PM IST

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