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पोषण आहार के नाम पर खिलवाड़, दी जा रही घटिया खाद्य सामग्री,बिगड़ रही सेहत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पोषण आहार के नाम पर लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। घटिया खाद्य सामग्री से सेहत सुधरने की बजाए बिगड़ती जा रही है। बता दें कुपोषण कम करने के लिए आंगनवाड़ियों में महिला व बाल कल्याण विभाग द्वारा शून्य से 6 साल के बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के लिए पोषण आहार दिया जाता है। लेकिन केंद्र सरकार से मांग के अनुपात कम चावल की आपूर्ति से पोषण आहार योजना का दम घुटने लगा है। वहीं सूजी की जगह टूटे गेहूं की आपूर्ति की गई।
जिप सदस्यों ने विभाग के अधिकारियों से इस बारे में शिकायत करने पर ठेकेदार को इसे बदलकर सूजी की आपूर्ति करनी पड़ी। इस संबंध में लापरवाही बरतने वाले एकात्मिक बाल विकास प्रकल्प अधिकारी, मुख्य सेविका तथा ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा गया है।
आंगनवाड़ियों में बच्चों, किशोरियों और गर्भवती माताओं को ताजा गरम आहार और टीएचआर दिया जाता है। टीएचआर घर ले जाने के लिए और ताजा गरम आहार आंगनवाड़ी में खिलाया जाता है। पोषण आहार में खिचड़ी के लिए सरकारी खाद्य निगम से चावल की सप्लाई की जाती है। दाल उपभोक्ता संघ से दी जाती है। सूजी की आपूर्ति के लिए विभाग की ओर से जिला स्तर पर स्थानीय ठेकेदार नियुक्त किया गया है। केंद्र सरकार से मांग की अनुपात चावल की आपूर्ति नहीं होने से राज्य सरकार द्वारा आंगनवाड़ियों को 50 प्रतिशत से भी कम आपूर्ति की गई है। पिछले 3 महीने से अपेक्षित चावल की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसलिए चावल की जगह आंगनवाड़ियों में मोंठ, मूंग की उसल दी जा रही है। सप्ताह में एक-दो दिन ही खिचड़ी देने से मोंठ, मूंग की उसल बिना खाए बच्चों द्वारा वैसे ही छोड़ देने की शिकायत मिली है।
अप्रैल-मई में टूटे गेहूं की अापूर्ति
नियमित एक जैसा आहार देने पर बच्चे खाने में टालमटोल करते हैं। इसे देखते हुए अप्रैल-मई महीने में आहार बदलाव कर दलिया की आपूर्ति की गई थी। विभाग की ओर से जिला स्तर पर एक ठेकेदार की नियुक्ति की गई। ठेकेदार के माध्यम से आंगनवाड़ियों में दलिया के नाम पर टूटा हुआ गेहूं की आपूर्ति की गई। उसे वैसे ही पकाकर बच्चों को खिलाया गया। गर्मी के मौसम में बच्चों की उपस्थिति कम रहने से, जो बच्चे थे उनको टूटे गेहूं से बनाया गया आहार दिया गया।
पाचन तंत्र बिगड़ने की शिकायत
टूटे गेहूं से बनाया आहार का सेवन करने से बच्चों का पाचन तंत्र बिगड़ने की शिकायते सामने आई थीं। जिला परिषद सदस्यों को शिकायत मिलने पर उन्होंने प्रत्यक्ष आंगनवाड़ियों में इसका निरीक्षण किया, लेकिन जब यह बात संज्ञान में आई, तब तक 80 प्रतिशत टूटा हुआ गेंहू बच्चों को खिलाया जा चुका था। शेष 20 प्रतिशत ठेकेदार से वापस लेकर इसकी जगह सूजी की आपूर्ति करवाई गई।
पोषण आहार के नाम पर खिलवाड़
आंगनवाड़ी में पोषण आहार में दलिया के नाम पर टूटे गेहूं की आपूर्ति की गई। इसका सेवन करने से बच्चों के पाचन तंत्र पर असर पड़ा। ठेकेदार की यह हरकत बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है। स्थाई समिति की बैठक में यह विषय उठाकर ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की गई है।
(उज्ज्वला बोढारे, सदस्य जिला परिषद)
ठेकेदार को कारण बताओ नोटिस
ठेकेदार को दलिया आपूर्ति करने के आदेश दिए थे। आपूर्ति किए गए माल में टूटे हुए गेहूं के टुकड़े पाए जाने की शिकायत मिलने पर प्रत्यक्ष जांच की गई। अप्रैल-मई महीने में आपूर्ति किया गया दलिया गर्मी के मौसम में बच्चों की उपस्थिति कम रहने से बच गया था। जुलाई महीने की 24-25 तारीख को 20 प्रतिशत दलिया ठेकेदार को वापस किया गया। उसकी जगह सूजी की आपूर्ति की गई। ठेकेदार और एकात्मिक बाल विकास प्रकल्प अधिकारी को नोटिस जारी कर कारण स्पष्ट करने का आदेश दिया गया है।
(भागवत तांबे, उपमुख्य कार्यकारी अधिकारी, महिला व बाल कल्याण विभाग)
Created On :   6 Aug 2018 12:56 PM IST