सिद्धबाबा पहाड़ी पर तन गईं बस्तियाँ, बने कच्चे-पक्के मकान, खतरे में है अस्तित्व

Settlements built on Siddhababa hill, kutcha-pucca houses built, existence is in danger
सिद्धबाबा पहाड़ी पर तन गईं बस्तियाँ, बने कच्चे-पक्के मकान, खतरे में है अस्तित्व
शहर की एक और अनमोल प्राकृतिक विरासत चढ़ रही अितक्रमण की भेंट, हर तरफ कब्जे, मूक दर्शक बने अफसर सिद्धबाबा पहाड़ी पर तन गईं बस्तियाँ, बने कच्चे-पक्के मकान, खतरे में है अस्तित्व

डिजिटल डेस्क जबलपुर । संस्कारधानी को प्रकृति ने पहाडिय़ों के रूप में अनमोल उपहार दिए हैं। इन उपहारों में मदनमहल पहाड़ी के साथ सिद्धबाबा की पहाड़ी भी शामिल है। चिंताजनक पहलू यह है कि जिम्मेदार विभागों के अफसर इस प्राकृतिक सौगात को संभालने में नाकाम साबित हो रहे हैं। हालात यह हैं कि इस पहाड़ी पर कब्जों की होड़ लगी हुई है। करीब 2 हजार कच्चे-पक्के मकान बन गए हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो वोट के फेर में कुछ मकानों के पट्टे तक आवंटित कर दिए गए हैं। निर्माणों के चलते पहाड़ी की हरियाली गायब हो रही है। अनमोल विरासत का अस्तित्व दाँव पर लगा हुआ है। जिला प्रशासन एवं नगर निगम के जिम्मेदार मूकदर्शक बने बैठे हैं।
90 के दशक से शुरू हुई लूट 
स्थानीय नागरिकों के अनुसार सिद्धबाबा की पहाड़ी करीब 25 एकड़ में फैली हुई है। चार दशक पूर्व तक यहाँ हर ओर हरियाली थी।   वर्ष 1993 में तत्कालीन प्रदेश सरकार ने यहाँ लोगों को पट्टे देने का क्रम शुरू किया। इसके बाद से लगातार पट्टे देने और पहाड़ी की खूबसूरती को मिटाने का दौर चल रहा है। अब पहाड़ी पर सैकड़ों मकान नजर आ रहे हैं। हरियाली दिन-ब-दिन गायब होती जा रही है। 
किराए पर भी दे दिए मकान  
 ऐसा नहीं है कि श्री सिद्धबाबा की पहाड़ी के लिए पट्टे लेने वाले लोगों ने सिर्फ अपने लिए ही पट्टे ले रखे हैं, बल्कि इनमें से कई तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने आलीशान मकान बनवाकर उन्हें ऊँचे दामों पर किराए से दे दिया है। इतना ही नहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने रिश्तेदारों के नाम से भी पट्टे लेकर उनके हिस्से की भूमि में घर बनाकर क्षेत्रीय व्यापारियों को गोदाम के रूप में बेच दिया है। इसके अलावा राजनैतिक दलों के नुमाइंदों से दबाव बनवाकर अपने घरों में बिजली के पक्के कनेक्शन भी उन्होंने ले लिए हैं। यहाँ सभी प्रकार की सुविधाएँ भी मौजूद हैं।
शासकीय कर्मचारियों ने भी बना लिए घर 
 बताया गया है कि श्री सिद्धबाबा की पहाड़ी पर रहने वाले परिवारों में अधिकांश के मुखिया रेलवे, सुरक्षा संस्थान, बीएसएनएल एवं डाकघर जैसे केन्द्रीय विभागों में कार्यरत हैं। उनके अलावा कुछ लोग शिक्षा, स्वास्थ्य विभाग, तहसीली एवं कलेक्ट्रेट में भी पदस्थ हैं। वहीं कुछ परिवार सब्जी, चाय-पान, वाहन सुधारने एवं लोडिंग वाहन चलाने जैसे रोजमर्रा वाले कार्य करते हैं।
 

Created On :   22 Oct 2021 3:25 PM IST

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