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भूखों को भोजन देने बनाया सेवा किचन, एक कर्मचारी की पहल पर 8000 से भी ज्यादा लोगों को मिल रहा दो वक्त का खाना

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी अस्पतालों में कई ऐसे परिवार के लोग आते हैं, जिनके पास इलाज तक के लिए पैसे नहीं होते। इलाज के बाद जरूरी खाद्य सामग्री इनके वश की नहीं होती। ऐसे ही लोगों के लिए नागपुर के खुशरू पोचा ने ‘सेवा किचन’ नाम से एक पहल की। अस्पताल में मरीजों और उनके परिजनों को हफ्ते में एक दिन खाना खिलाने लगे। अब पूरे सप्ताह खाना खिला रहे हैं। साथ ही गरीब बच्चे और हर जरूरतमंद व्यक्ति तक सेवा किचन के वालंटियर खाना पहुंचा रहे हैं। सेवा किचन ने सेवा टिफिन, नेकी का पिटारा और जार्स ऑफ काइंडनेस नाम से सेवा देना शुरू किया है। यह पहल पूरे देश में पहुंच गई है। 32 लोकेशन पर करीब 2 से ढाई हजार वालंटियर काम कर रहे हैं और रोजाना 8 हजार से भी ज्यादा लोगों को खाना खिला रहे हैं।
नेकी का पिटारा
खुशरू पोचा ने सिम्स अस्पताल में पहला ‘नेकी का पिटारा’ नाम से फ्रीज रखा। इस फ्रीज में सप्ताह में दो दिन अलग-अलग वालंटियर सामग्री भरवाते हैं। आज नागपुर के चार निजी अस्पतालों में सेवा किचन का नेकी का पिटारा लगा हुआ है।
जार्स ऑफ काइंडनेस
जार्स ऑफ काइंडनेस नाम इसलिए रखा गया है, क्योंकि जार का मतलब होता है बरनी। हम जब छोटे थे तो हमारे घर में नानी, दादी या हमारी मां बरनी में कुछ न कुछ खाने की सामग्री रखती थी। इसलिए सेवा किचन ने जार्स ऑफ काइंडनेस नाम से भी सेवा शुरू की। वालंटियर्स ने बड़े-बड़े स्कूलों में जाकर बच्चों को बताया कि जब भी किसी का जन्मदिन हो, वह अपनी इच्छा से कुछ भी खाने का सामान स्कूल में रखे फ्रीज में रखें और स्कूल वालों से अनुराेध किया कि फ्रीज के भरते ही आसपास की बस्तियाें के बच्चों को बांटे। इस अनुरोध पर स्कूल में हर रोज बच्चे खाने का सामान रखते हैं और फिर स्कूल वाले सप्ताह में दो बार आसपास की बस्तियों के बच्चों में ले जाकर वह सब बांटते हैं।
मुंबई में भी धूम
नागपुर के कॉटन मार्केट चौक पर भी कई गरीब बच्चे घूमते नजर आते हैं इन बच्चों को भी रोज सुबह शाम अलग-अलग वालंटियर खाना खिलाते है। मुंबई के ठाणे में कई ऐसे चौराहे और स्पॉट थे, जहां पर बहुत बड़ी संख्या में छोटे बच्चे भीख मांगा करते थे। इन बच्चों को एक वक्त का खाना भी ठीक से नहीं मिल पाता है। इसके लिए सेवा किचन के वालंटियर ने सभी स्पाॅट चुने और वहां के बच्चों को खाना खिलाने की सेवा शुरू की। सेवा किचन की हर सेवा अलग अलग वालंटियर करता है। मुंबई में टच स्कूल बस नाम से सेवा शुरू की गई, जिसमें मुंबई के चौराहों और सिग्नल पर यह स्कूल बस 2-2 घंटे रूकती है। चौराहों और सिग्नल पर भीख मांगने वाले बच्चों को बस में बुलाकर उन्हें पढ़ाया जाता है और उन्हें खाने के लिए सामग्री दी जाती है। ऐसी 3 बसें मुंबई में कार्य करती हैं।
रेलवे के कर्मचारी की पहल पूरे देश में
खुशरू पोचा मध्य रेलवे के वाणिज्य विभाग में ऑफिस सुपरिंटेंडेंट है। सेवा किचन उन्होंने नवंबर 2014 में की थी। खुशरू पोचा ने बताया कि मैंने जब इसकी शुरूआत की थी तो मुझे नहीं पता था कि मेरी एक छोटी सी कोशिश एक मिशन बन जाएगी। आज मैं अपने 90 प्रतिशत वालंटियर से नहीं मिला हूं। सभी से संपर्क और समन्वय वाट्सएप पर होता है।
रजिस्टर्ड नहीं है संस्था
खुशरू पोचा किसी से भी रुपए नहीं लेते। रुपए के बदले खाने की सामाग्री देने के लिए कहते हैं। एक फ्रीज 40000 आता है इस फ्रीज के लिए भी किसी से रुपए नहीं लेते। कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर से बात करते हैं और उसका अकाउंट नंबर लेते हैं और फिर सभी से बोलते हैं कि जो भी जितनी मदद करना चाहता है, वह अपनी इच्छानुसार अकाउंट में रुपए जमा कर दे। उनकी स्लिप को दिखा कर फ्रीज लेते हैं। यह कोई रजिस्टर्ड संस्था नहीं है और न ही इसका कोई अकाउंट है।
सेवा किचन एप भी
सेवा किचन नाम से एप भी शुरू किया गया है, जिसे कोई भी व्यक्ति रजिस्टर्ड करके बचे हुए खाने की लोकेशन और पिकअप समय बता देता है हमारे वालंटियर वहां से खाना लेकर दूसरी जगह बांट देते हैं।
Created On :   26 Aug 2019 11:13 AM IST