चुनावी हलचल : BJP ने कहा गठबंधन नहीं तो अकेले लड़ेंगे, विदर्भ आएंगे उद्धव, कांग्रेस बोली- भाजपा पर करें सर्जिकल स्ट्राइक

Shiv Sena chief Uddhav Thakare will come to Vidarbha on tour
चुनावी हलचल : BJP ने कहा गठबंधन नहीं तो अकेले लड़ेंगे, विदर्भ आएंगे उद्धव, कांग्रेस बोली- भाजपा पर करें सर्जिकल स्ट्राइक
चुनावी हलचल : BJP ने कहा गठबंधन नहीं तो अकेले लड़ेंगे, विदर्भ आएंगे उद्धव, कांग्रेस बोली- भाजपा पर करें सर्जिकल स्ट्राइक

डिजिटल डेस्क, पुणे। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष रावसाहेब दानवे ने सेामवार को कोल्हापुर में कहा कि भाजपा और शिवसेना का गठबंधन हो यह जनता की इच्छा है, लेकिन जो साथ नहीं आएंगे, विरोध में जाएंगे, उन्हें हराने की ताकत पार्टी में है। इसलिए गठबंधन के लिए कोशिशें तो जारी है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, तो खुद के बलबूते पर चुनाव लड़ने की तैयारी भी है। आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा ने बैठकें लेनी शुरू की हैं। इस दौरान दानवे ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि अन्य पार्टी का नेता बड़ा न हो यह कांग्रेस की मानसिकता है। इसी मानसिकता के चलते एक गरीब परिवार से प्रधानमंत्री बना, यह बात हजम नहीं हो रही, कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिका टिप्पणियां करती रहती हैं। भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस चाहे कितने भी गठबंधन करें, कामयाब नहीं होगी। 

लोकसभा चुनाव की तैयारी
लोकसभा चुनाव की तैयारी में सभी दल जुटने लगे हैं। विदर्भ में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई है। इस बीच शिवसेना भी यहां सक्रिय होने की तैयारी में है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जल्द ही विदर्भ के दौरे पर आनेवाले हैं। लिहाजा उनके दौरे के नियोजन को लेकर विदर्भ स्तरीय बैठक का आयोजन किया जा रहा है। 16 जनवरी को काटोल मार्ग पर शिवसेना की बैठक में लोकसभा क्षेत्र स्तर के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहेंगे। पूर्व विदर्भ के संपर्क प्रमुख गजानन कीर्तिकर ने नागपुर में संगठनात्मक मामलों के समन्वयक प्रमुख अरविंद नेरकर को दौरा नियोजन की बैठक की व्यवस्था दी है। गौरतलब है कि विदर्भ में शिवसेना के 4 सांसद हैं। दो विधायकाें में से एक राज्यमंत्री हैं। विधानसभा के पिछले 3 चुनावों के परिणाम देखे जाएं, तो शिवसेना की ताकत विदर्भ में लगातार कमजोर हो रही है।

स्थिति यह है कि सभी जिले में संगठनात्मक कार्यकारिणी पूरी तरह से नहीं बन पाई है। गुटबाजी लगभग हर जिले में है। गुटबाजी दूर करने का प्रयास उद्धव ठाकरे के करीबी पदाधिकारियों ने किया था, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव के पहले वे चाहकर भी गुटबाजी दूर नहीं कर पाए थे। लिहाजा स्थिति यह रही कि विधानसभा चुनाव में शिवसेना को उम्मीदवार तक नहीं मिले। भाजपा के साथ गठबंधन नहीं था। उत्तर नागपुर में शिवसेना उम्मीदवार मैदान से पहले ही हट गया। एबी फार्म लेने के बाद भी शिवसेना के लिए कार्यकर्ता का चुनाव नहीं लड़ना पार्टी के लिए गहन चिंतन का विषय बना था। ठाकरे ने विधानसभा में केवल एक सभा ली थी। बाद में कार्यकर्ताओं से मिलने के लिए एक होटल में बैठक का आयोजन किया था, लेकिन संगठन विस्तार का मामला अधूरा ही रहा। शिवसेना प्रमुख भी नागपुर में कम ही आते रहे हैं। 4 वर्ष में वे दूसरी बार यहां पहुंचने वाले हैं। पिछली बार मई 2018 में वे यहां आए थे।

भाजपा से परेशानी 
शिवसेना को सबसे अधिक परेशानी भाजपा से ही लगती है। मित्रदल होने के बाद भी कई मामलों में शिवसेना को भाजपा की चुनौती का सामना करना पड़ता है। पिछले 2 माह में ही देखा जाए, तो भाजपा ने विदर्भ में लोकसभा की उन सीटों पर संगठन कार्य को अधिक बढ़ाया है, जहां शिवसेना के उम्मीदवार चुनाव जीते हैं। जिले में भाजपा के दबाव की शिकायत शिवसैनिक करते रहे हैं। लिहाजा संपर्क प्रमुख कीर्तिकर ने तो चंद्रशेखर बावनकुले व राजकुमार बडोले जैसे मंत्रियों के विरोध में मोर्चा खोलने के लिए कार्यकर्ताओं से कहा है। उधर राज्य व केंद्र स्तर पर भी चुनौती मिल रही है। भाजपाध्यक्ष अमित शाह ने तो अप्रत्यक्ष तौर पर शिवसेना को पटखनी तक देने की चेतावनी दे डाली है। लिहाजा शिवसेना प्रमुख का विदर्भ दौरा उनकी पार्टी की चुनाव तैयारी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होगा। 

भाजपा सरकार पर करें सर्जिकल स्ट्राइक
उधर भाषा व कार्यशैली के मामले में सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा है कि चुनाव आते ही मोदी-फडणवीस की जुमलेबाजी का पार्ट 2 शुरू हो गया है। इनकी बातों और आश्वासनों पर विश्वास करने से कुछ नहीं मिलेगा। उखाड़ देंगे, फेंक देंगे की भाषा का उपयोग करने वाली भाजपा सरकार पर सर्जिकल स्ट्राइक करने की आवश्यकता है। 3 राज्यों में भाजपा की पराजय का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बदलाव की शुरुआत हो चुकी है।

रविवार को प्रदेश कांग्रेस की ओर से सरकार के विरोध में निकाली गई जनसंघर्ष यात्रा का समापन हुआ। सदभावना मैदान पुलिस लाइन टाकली में आयोजित समापन कार्यक्रम में वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष बोल रहे थे। चव्हाण ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस केवल आश्वासन देते रहे हैं। साढ़े चार वर्ष में केंद्र व राज्य सरकार ने ऐसा कोई कार्य नहीं किया है कि जनता उन्हें मतदान करे। चुनाव के पहले मोदी-फडणवीस की जुमलेबाजी शुरू हो जाती है। फिलहाल पराजय की संभावना को देखते हुए जुमलेबाजी का दूसरा दौर शुरू कर दिया गया है। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में जनता ने बदलाव की शुरुआत कर दी है। इन राज्यों में भाजपा को सत्ता से बाहर किया गया।

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार ने किसानों के कर्ज माफ कर दिए, लेकिन महाराष्ट्र सरकार दो वर्ष में भी कर्जमाफी के आश्वासन को पूरा नहीं कर पाई है। सभा मंच पर प्रमुख नेताओं में कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे, प्रदेश के सहप्रभारी आशीष दुआ, विजय वडेट्टीवार, सुनील केदार, राजेंद्र मुलक, नाना पटोले, आशीष देशमुख, विकास ठाकरे, अमोल देशमुख, अनंत घारड, अतुल लोंढे, त्रिशरण सहारे व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

केवल भाषण से कुछ हासिल नहीं होगा
कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे ने गुटबाजी पर संकेतों में चुटकी ली। उन्होंने कहा कि तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत भाजपा के विरोध में जनता के आक्रोश का परिणाम है। आने वाले चुनाव में चुनौती कम नहीं है। सभी कार्यकर्ताओं को संकल्प लेना होगा कि मिलजुलकर काम करेंगे। केवल भाषण देने से कुछ हासिल नहीं होगा। आपसी मतभेद दूर करना आवश्यक है। पार्टी को योगदान देने के बारे में सोचें।
 

Created On :   14 Jan 2019 1:58 PM GMT

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