नाशिक में शिवसेना को मिला भुजबल का साथ 

Shiv Sena gets support from Bhujbal in Nashik for election
नाशिक में शिवसेना को मिला भुजबल का साथ 
नाशिक में शिवसेना को मिला भुजबल का साथ 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधान परिषद की स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र की नाशिक सीट पर शिवसेना उम्मीदवार नरेंद्र दराडे को हराने के लिए BJP ने राष्ट्रवादी कांग्रेस को खुला समर्थन दिया, लेकिन BJP अपने मनसुबे में कामयाब नहीं हो पाई। शिवसेना को रणनीति राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल के नाशिक के समर्थक जनप्रतिनिधियों को वोट हासिल करने में कामयाबी मिली। मतदान से एक दिन पहले शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे के निजी सहायक (पीए) व पार्टी सचिव मिलिंद नार्वेकर ने 20 मई को लीलावती अस्पताल में भुजबल से मुलाकात की थी। पार्टी के लिए यही बैठक अहम साबित हुई।

चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद दराडे ने भी अपनी जीत का राज खोला। दराडे ने कहा कि मेरी जीत में भुजबल का भी योगदान है। नाशिक में दराडे की जीत पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि इस सीट पर BJP ने पार्टी के मतदाताओं से अपने बुद्धि और विवेक से वोट डालने के लिए कहा था। इसका मतलब यह नहीं था कि BJP शिवसेना के उम्मीदवार को हराना चाहती थी। BJP के प्रदेश अध्यक्ष रावसाहब दानवे ने कहा कि यदि भुजबल ने शिवसेना को मदद की होगी तो यह उनका और शिवसेना के बीच का मामला है। BJP को इससे कुछ लेना देना नहीं है।

दरअसल BJP सहयोगी शिवसेना से पालघर लोकसभा उपचुनाव का बदला लेना चाहती थी। इसलिए BJP के मतदाताओं ने खुल करके शिवसेना के विरोध में मतदान करने की बात भी कबूली थी। वहीं परभणी-हिंगोली सीट पर शिवसेना के उम्मीदवार विप्लव बाजोरिया ने पर्याप्त वोट नहीं होने के बावजूद बाजी पलट दी। इस सीट पर संख्या बल विपक्ष के कांग्रेसी उम्मीदवार सुरेश देशमुख के पक्ष में था। लेकिन इस सीट राष्ट्रवादी कांग्रेस के विधायक अब्दुला खान दुर्णानी का टिकट कांटे जाने का नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा। समझा जा रहा है कि यहां पर राष्ट्रवादी कांग्रेस ने शिवसेना के उम्मीदवार विप्लव को मदद की है, जबकि रत्नागिरी- सिंधुदुर्ग-रायगड सीट पर राष्ट्रवादी कांग्रेस के उम्मीदवार अनिकेत तटकरे को पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे की पार्टी ने अनिकेत का समर्थन दिया था।

BJP ने यह सीट राणे की पार्टी के लिए छोड़ी थी, लेकिन राणे ने शिवसेना को हराने के लिए अपने पार्टी का उम्मीदवार उतारने के बजाय राष्ट्रवादी कांग्रेस को समर्थन दिया। इसका फायदा अनिकेत को हुआ। वहीं अमरावती और वर्धा-चंद्रपुर-गड़चिरोली सीट पर संख्या बल BJP के पक्ष में था, इसलिए पार्टी दोनों सीटें आसानी से जीत गई। इस सीट पर हारने के बाद शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि पार्टी के प्रत्याशी को हराने के लिए सभी विरोधी एकजुट हो गए थे। हमें उम्मीद है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता सुनील तटकरे के भ्रष्टाचार की जांच में भी यह सभी एकसाथ नजर आएंगे।

सदन में पिता और पुत्र नजर आएंगे साथ-साथ
परभणी-हिंगोली सीट से जीते शिवसेना के उम्मीदवार विप्लव बाजोरिया विधान परिषद में अपने पिता गोपीकिशन बाजोरिया के साथ बैठे हुए नजर आएंगे। गोपीकिशन अकोला-वाशिम-बुलढाणा स्थानीय निकाय सीट से विधान परिषद सदस्य हैं। वहीं रत्नागिरी- सिंधुदुर्ग-रायगड सीट पर जीत हासिल करने वाले  राष्ट्रवादी कांग्रेस के उम्मीदवार अनिकेत तटकरे अपने पिता सुनील तटकरे के साथ सदन में साथ नजर आएंगे। राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील भी विधान परिषद सदस्य हैं।

Created On :   24 May 2018 3:21 PM GMT

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