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थर्माकोल बंदी की मार झेल रहे दुकानदार और बेरोजगार हो गए कारीगर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। गणेश उत्सव, राखी, कृष्ण जन्माष्टमी जैसे बड़े त्योहार करीब हैं। इन सभी त्यौहारों में सजावट के लिए थर्माकोल का उपयोग होता है। बता दें कि, पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए सरकार ने प्लास्टिक और थर्माकोल की बिक्री पर रोक लगा दी है। इस बंदी की सबसे ज्यादा मार थर्माकोल से सजावट करने वाले कारीगरों और बेचने वाले दुकानदारों पर पड़ी है। गणेशोत्सव को देखते हुए अनेक दुकानदारों ने थर्माकोल पहले से ही खरीद कर रख लिए थे, पर अब थर्माकोल पर रोक लगने से दुकानदारों को भारी आर्थिक नुकसान पंहुचा है।
थर्माकोल से बना सजावटी साजों-सामान बेचने वाले दुकानदार व कलाकार नवरात्रि, दीपावली, गणेशोत्सव जैसे त्यौहारों पर पंडालों की सजावट का काम करते हैं। इनका कहना है कि, सरकार के निर्णय से पहले ही इन्होंने सजावट का लाखों रुपए का सामान खरीद कर स्टॉक में रख लिया था। थर्माकोल पर बंदी से इनका धंधा चौपट हो गया है। कलाकारों में रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।
दुकानदारों में भी भय व्याप्त
अशोक आहूजा, अध्यक्ष, जनरल मर्चेंट एसोसिएशन के मुताबिक थर्माकोल का उपयोग सजावट की वस्तुओं में होता है। सीजनेबल आइटम्स भी थर्माकोल से ही बनते हैं। गणेशोसव करीब है और सबसे ज्यादा सजावट थर्माकोल से ही की जाती है, ऐसे में दुकानदारों में निराशा का भाव है। छोटे दुकानदार, जिन्होंने माल भर लिया था, परेशान हो गए हैं। कई लोगों का व्यापार मंदा पड़ गया है। कई लोगों ने कैरी बैग भी छपवाकर रखे थे, वो अब दुकानदारों ने फेंक दिए हैं। दुकानदारों का बहुत नुकसान हुआ है। दुकानदारों में भय व्याप्त है कि, यदि थर्माकोल रखा तो कार्रवाई होगी। वहीं बच्चों की स्टेशनरी, प्रोजेेक्ट में भी थर्माकोल का उपयोग होता है, ऐसे में स्थिति बेहद बुरी है। आम जनता के हित में भी थर्माकोल बैन हटाना आवश्यक है।
भारी नुकसान हुआ है हमारा
थर्माकोल सामग्री विक्रेता विजय तायवाड़े के मुताबिक सीजनल त्यौहारों को देखते हुए काफी माल खरीद लिया था, लेकिन कोर्ट के निर्णय के बाद पूरा माल बेकार हो गया है। हर वर्ष की तरह ही हमने थर्माकोल सजावट का सामान मंगवा रखा था, वो भी वेस्ट हो गया है। सरकार से यही आस है कि, गणपति उत्सव में छूट दे, ताकि होने वाले भारी नुकसान से बचा जा सके।
कलाकारों की रोजी-रोटी छिनी
कलाकार तुकाराम बाबनकर का कहना है कि कई कलाकारों का घर थर्माकोल आर्ट से ही चलता है, ऐसे में थर्माकोल पर प्रतिबंध से कलाकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। सालभर हम त्यौहारों का इंतजार करते हैं कि इससे काम मिलेगा, लेकिन कलाकारों में निराशा छाई हुई है। यदि निर्णय पहले लिया जाता तो हम कुछ न कुछ कर लेते, परंतु अब कलाकार बेचारा महसूस कर रहा है। कई कलाकार सिर्फ यही काम करते हैं। एकदम से दूसरे काम में शिफ्ट होना काफी मुश्किल है। शादी-ब्याह और डेकोरेशन के काम से ही घर चलता है, अब हमारे लिए संकट की घड़ी है।
थर्माकोल का पर्याय ढूंढना होगा
सार्वजनिक गणेश मंडल के संजय शर्मा ने कहा कि थर्माकोल का पर्याय हमें ढूंढना होगा। थर्माकोल से ही डेकोरेशन हो ऐसा जरूरी तो नहीं है। हम पहले भी पुरानी साड़ियों और अन्य चीजों से डेकोरशन करते थे। पर्यावरण को बचाना आवश्यक है। गणेशजी का स्वागत हर वर्ष की तरह वैसे ही उत्साह से किया जाएगा।
त्यौहार तक मिले छूट
संती गणेश उत्सव मंडल संजय चिंचोले का कहना है कि गणेश उत्सव में थर्माकोल का उपयोग ज्यादा होता है। इस पर बैन लगने से कई लोगों की रोजी-रोटी छिन जाएगी। हम कई सालों से गणेशजी की स्थापना कर रहे हैं, इस दौरान कहीं न कहीं थर्माकोल का उपयोग होता है। कई कलाकार हमारे लिए काम करते हैं और वे इस बैन से परेशान हो गए हैं। घरों में भी मंदिर और सजावट का काम थर्माकोल से ही किया जाता है। अब जो लोग घर में गणेशजी की स्थापना करते हैं, वे भी परेशान हैं। जब तक त्यौहार हैं, तब तक थर्माकोल पर छूट देनी चाहिए।
थर्माकोल से बने कप और प्लेट तथा गिलास इधर-उधर बिखरे दिखाई देते हैं। चीजों की पैकेजिंग हो या तीज-त्योहार के मौकों पर की जाने वाली सजावट या फिर सोने के लिए इस्तेमाल में आने वाले बेड मैट्रेस, पिलो, बीन बैग्स, कप-प्लेटें और दवाइयों को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाने या बड़े सामान को सुरक्षित रखने के लिए थर्माकोल का इस्तेमाल होता है। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट ने थर्माकोल पर प्रतिबंध लगा दिया है।
Created On :   19 Aug 2018 4:12 PM IST