SIC के निर्देश - आरटीआई के लिए शुरू हो सिंगल विंडो

SIC instructs to start single window system for Right to Information
SIC के निर्देश - आरटीआई के लिए शुरू हो सिंगल विंडो
SIC के निर्देश - आरटीआई के लिए शुरू हो सिंगल विंडो

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सूचना कमीशन (एसआईसी) की नागपुर बेंच ने सरकारी विभागों को सूचना के अधिकार के तहत किसी भी सूचना के लिए आसानी से आवेदन करने के लिए सिंगल विंडो जैसी व्यवस्था शुरू किए जाने का निर्देश दिया है। राज्य के इनफॉर्मेशन  कमिश्नर दिलीप धारूरकर ने आरटीआई एक्टीविस्ट टीएच नायडू की ओर से दायर अपील पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकारी विभाग जैसे मनपा, विश्वविद्यालय व अन्य के पास हर विभाग में पब्लिक इनफॉर्मेशन ऑफिसर व असिस्टेंट पब्लिक इनफार्मेशन ऑफिसर हैं। एसआईसी को अधिकारियों से नियमित रूप से ऐसे जवाब मिलते हैं कि यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। सरकारी एजेंसियों को एक ऐसे अधिकारी को नियुक्त करना चाहिए, जो सभी आवेदन स्वीकार संबंधित उत्तरदायी विभाग को प्रेषित करें। यह जानकारी के लिए आवेदन करने वालों के लिए भी सुविधाजनक होगा। 

एक विभाग से दूसरे विभाग में भेजे जाने की समस्या 
आरटीआई एक्टीविस्टों ने इसे आम लोगों और अभिकर्ताओं के लिए बेहतर निर्देश बताया है। उनका कहना है कि मनपा जैसी संस्था, जहां बीस से ज्यादा विभाग हैं, हर विभाग में एक पब्लिक इनफॉर्मेशन ऑफिसर है। जानकारी के लिए आवेदन करने वालों को अधिकारी एक विभाग से दूसरे विभाग में भेजते रहते हैं। यहां तक कि यह जानकारी देने के लिए यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, यह बताने के लिए भी माह भर का समय लेते हैं। 

सरकारी दायरे में केजी-1 और 2 में स्वतंत्र फीस लेने का विरोध
प्रदेश शिक्षा मंत्रालय और महिला व बाल विकास मंत्रालय ने हाल ही में ईसीसी केंद्रीय नीति को अमल में लाने की घोषणा की है। यह नई नीति शून्य से 6 वर्ष तक के बच्चों को शिक्षा देने के लिए राज्य की सभी निजी व शासकीय बालवाड़ी, आंगनवाड़ी और प्राथमिक स्कूलों के लिए 1 मार्च से लागू हो गई है, जिसके अनुसार नर्सरी, केजी-1 और केजी-2 सरकार के दायरे में आने लगेंगे। शून्य से 6 वर्ष तक के सभी बच्चों की जानकारी ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड की जाएगी। 

नहीं ली जा सकती एग्जाम
आरटीई एक्शन कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद शाहिद शरीफ के अनुसार इस दायरे में आने वाले विद्यार्थियों से शिक्षा शुल्क लेने के अधिकार को स्कूलों के पास रखे गए हैं। ऐसा होने से स्कूल पालकों से फीस लेना शुरू कर देंगे, जबकि आरटीई अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार शून्य से 6 वर्ष तक की आयु के दायरे में आने वाले विद्यार्थियों की किसी प्रकार की परीक्षा नहीं ली जा सकती।   

कोर्ट में जाने की चेतावनी
श्री शरीफ का आरोप है कि, सरकार के इस फैसले से उक्त दोनों नियमों का उल्लंघन होगा, जिसे रोकना जरूरी है। ऐसे में आरटीई एक्शन कमेटी, एडुफस्ट वुमन एंड चाइल्ड फाउंडेशन सरकार के इस रवैये का विरोध करती है। उन्होंने चेतावनी दी है कि, सरकार ने इस उल्लंघन को नहीं रोका, तो वे कोर्ट में याचिका दायर करेंगे और विद्यार्थियों और पालकों को न्याय दिलाएंगे। 
 

Created On :   14 March 2019 12:54 PM IST

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