खाना-नाश्ता की एक साथ सप्लाई, पानी जैसी दाल, सब्जी ऐसी की बच्चे भी खाने से कतरा रहे

Simultaneous supply of food and snacks, pulses like water, vegetables such that even children are reluctant to eat
खाना-नाश्ता की एक साथ सप्लाई, पानी जैसी दाल, सब्जी ऐसी की बच्चे भी खाने से कतरा रहे
पोषण आहार वितरण में समूहों की मनमानी, मीनू के मुताबिक हरी सब्जी की बजाए दे रहे थे बड़ी की सब्जी, दबी जुबान में बोली कार खाना-नाश्ता की एक साथ सप्लाई, पानी जैसी दाल, सब्जी ऐसी की बच्चे भी खाने से कतरा रहे


छिंदवाड़ा। पानी जैसी दाल, सब्जी ऐसी की बच्चें भी खाने से कतरा रहे थे। पोष्टिक पोषण आहार के नाम पर बच्चों को बंट रहे खाने का ये हाल किसी एक आंगनबाड़ी केंद्र का नहीं था, बल्कि शहर की लगभग सभी आंगनबाड़ी में एक जैसी स्थिति थी। खुद कार्यकर्ताएं भी दबी जुबान में कह रही थी कि ये कोई नई बात नहीं है। ऐसा खाना तो रोज बंटता है। शिकायत करने पर भी स्व-सहायता समूहों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती। अभी भी कुछ नहीं होने वाला है।
कुपोषण के कलंक को दूर करने के लिए शासन ने पोष्टिक पोषण आहार वितरण शुरु किया। उद्देश्य था कि कुपोषण के शिकार बच्चों को बीमारियों से बचाया जा सके। लेकिन कमीशन के बोझ तले दबे अफसरों ने पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए। बुधवार को "भास्कर टीमÓ ने गुलाबरा, पातालेश्वर, शनिचरा बाजार, नरसिंहपुर रोड सहित शहर की आधा दर्जन से ज्यादा अंागनबाडिय़ों में पहुंचकर पोषण आहार व्यवस्था की हकीकत देखी। नियम तो शासन ने ये बनाए हैं कि बच्चों को सुबह का पोष्टिक नाश्ता और दोपहर में खाना अलग-अलग दिया जाए, लेकिन समूह संचालकों द्वारा ये सप्लाई एक साथ की जा रही थी। इतना ही नहीं मीनू के मुताबिक बुधवार को मिक्स दाल, रोटी के साथ हरी सब्जी का वितरण करना था, लेकिन आंगनबाडिय़ों में बड़ी की सब्जी वितरित की जा रही थी। पानी जैसी "दालÓ में बच्चों को"दालÓ ढूंढनी पड़ रही थी।
169 आंगनबाड़ी तकरीबन 5 लाख का भुगतान
शहर के 48 वार्र्डों में 169 आंगनबाडिय़ां है। जहां 17 समूहों के माध्यम से पोषण आहार की सप्लाई की जाती है। इन समूहों को पोषण आहार वितरण के लिए तकरीबन पांच लाख रुपए हर माह भुगतान किया जाता है, ताकि ये मीनू के मुताबिक बच्चों को पोषण आहार वितरित कर सकें।
शहर में ये तो गांव में क्या होंगे हालात
पोषण आहार व्यवस्था को लेकर शहर में व्यवस्था बिगड़ी हुई है। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव में क्या हालात होंगे। जिला मुख्यालय की आंगनबाडिय़ों में ही विभाग बच्चों को मीनू के मुताबिक पोष्टिक पोषण आहार सप्लाई नहीं कर पा रहा है।
विभाग की खामियां क्या...कहां होता है खेल
मॉनीटरिंग फेल: सेक्टर सुपरवाइजरों के माध्यम से पोषण आहार व्यवस्था बेहतर संचालित हो इसके लिए मॉनीटरिंग करवाई जाती है, लेकिन यहीं पर महिला एवं बाल विकास विभाग की व्यवस्था फेल है।
बच्चों की आंकड़े बाजी: आंकड़े बाजी का बड़ा खेल पोषण आहार सप्लाई में होता है। बच्चें भले ही केंद्रों में कितने भी आए, लेकिन समूहों को भुगतान ज्यादा से ज्यादा किया जाता है, बुधवार को केंद्रों में गिने-चुने बच्चे मौजूद थे।
मीनू से वितरण में गड़बड़ी: आंगनबाड़ी में मीनू के मुताबिक पोषण आहार का वितरण नहीं होता है। यहीं पर बड़ा खेल होता है। समूह संचालक अपनी मर्जी से पोषण आहार का वितरण करते हैं। दाल में दाल और सब्जी में सब्जी नजर नहीं आती है।
इनका कहना है...
- वैसे तो मीनू के मुताबिक ही पोषण आहार सप्लाई होती है। यदि वितरण में गड़बड़ी की जा रही है तो पूरे केंद्रों की जांच कर समूहों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।
कृष्णा विश्वकर्मा
पीओ, महिला बाल विकास, शहर

Created On :   23 Feb 2022 11:26 PM IST

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