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मुख्य न्यायाधीश बोबड़े को मानद डी. लिट देने में सुस्ती
डिजिटल डेस्क, नागपुर। देश के मुख्य न्यायाधीश और नागपुर के निवासी न्या. शरद बोबड़े को डी.लिट की मानद उपाधि देने के प्रस्ताव पर राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय का रवैया सुस्त है। 9 मार्च को बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा के सदस्य एड. परिजात पांडे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से विवि मैनेजमेंट काउंसिल सदस्य विष्णु चांगदे व अन्य सदस्यों ने विवि के तत्कालीन कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थ विनायक काणे को यह प्रस्ताव दिया था। 7 अप्रैल को डॉ. काणे सेवानिवृत्त हो गए। तबसे यह फाइल आगे नहीं बढ़ी है।
बदला गया प्रस्ताव का स्वरूप
विवि की ओर से हो रही इस देरी को देखते हुए चांगदे ने शुक्रवार को मैनेजमेंट काउंसिल की बैठक में यह प्रस्ताव रखा। सदस्यों ने भी इसका समर्थन किया, लेकिन विवि के कुछ अधिकारियों ने इस प्रस्ताव में तकनीकी परेशानियां बताते हुए कहा कि नियमानुसार मैनेजमेंट काउंसिल में इस प्रकार का प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता। मानद डी.लिट देने के लिए राज्यपाल की अनुमति जरूरी है। इस मामले में विस्तृत चर्चा के बाद प्रस्ताव का स्वरूप बदल कर इसे मंजूर किया गया। विवि इसमें आने वाली दिक्कतों को दूर करके अब नए सिरे से फाइल को आगे बढ़ाया जाएगा।
रुकना नहीं चाहिए प्रस्ताव
वर्ष 1956 में नागपुर में जन्मे न्या. बोबड़े ने नागपुर विवि के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर विधि महाविद्यालय से एलएलबी किया है। बतौर अधिवक्ता उन्होंने नागपुर खंडपीठ मंे वकालत की। चांगदे के अनुसार, नागपुर विवि के इस विद्यार्थी ने आज देश की न्यायपालिका के सर्वोच्च स्थान को हासिल किया है। जो गर्व की बात है। प्रशासनिक लापरवाही के कारण यह प्रस्ताव रुकना नहीं चाहिए।
Created On :   4 July 2020 4:36 PM IST