स्टेशन पर नजर रखेंगे रॉकी और मैक्स, विस्फोटक व मादक सामग्री दिखते ही दबोच लेंगे स्निफर डॉग

Sniffer dogs Rocky and Max will surveillance on Nagpur railway station
स्टेशन पर नजर रखेंगे रॉकी और मैक्स, विस्फोटक व मादक सामग्री दिखते ही दबोच लेंगे स्निफर डॉग
स्टेशन पर नजर रखेंगे रॉकी और मैक्स, विस्फोटक व मादक सामग्री दिखते ही दबोच लेंगे स्निफर डॉग

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसी भी ट्रेन में अपराधिक गतिविधियों द्वारा रखे बम, बारूद हो या मादक पदार्थ आरपीएफ के रॉकी और मैक्स (श्वान) की नजरों से नहीं बच सकेंगे। शनिवार को दपूम रेलवे नागपुर मंडल को दिल्ली से प्रशिक्षण देकर लाए दो स्नेफर डॉग वरिष्ठ प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त बिलासपुर की उपस्थिति में सौंपे गये। इस वक्त दोनों डॉग की मॉकड्रील कर परीक्षा भी ली। इसके अलावा दो अन्य डॉग गोंदिया स्टेशन के लिए दिए हैं। जिसमें एक स्नेफर व 1 ट्रैकर है। इस वक्त मंडल सुरक्षा आयुक्त आशुतोष पांडे, सह आयुक्त ए. स्वामी आदि उपस्थित थें।

उल्लेखनीय है कि मिलों तक दौड़नेवाली रेल गाड़ियों में आए दिन घटनाएं होती रहती हैं। जिसके लिए आरपीएफ व रेलवे पुलिस तत्पर रहते हैं, लेकिन पल भर में शहर की सीमा बदलने वाली रेल गाड़ियों में अपराधियों से लेकर संवेदनशील चीजों को ढूंढ पाना सिपाहियों के बस में नहीं रहता। ऐसे में डॉग की मदद ली जाती है। प्रशिक्षित यह डॉग ट्रेन में संवेदनशील वस्तुओं को ढूंढने से लेकर आरोपी तक पहुंचने में सक्षम रहते हैं। दपूम नागपुर मंडल के पास गत 12 महीने से श्वान नहीं थे। पहले के श्वान सेवानिवृत्त हो गए थे। जिससे जांच-पड़ताल में कई बार परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि शनिवार को दिल्ली से प्रशिक्षित किए 4 श्वानों को यहां लाया गया है। जिसमें दो स्नेफर डॉग को नागपुर मोतीबाग के हवाले किया गया जबकि एक स्नेफर व एक ट्रैकर डॉग को गोंदिया के हवाले किया गया।

कैसे काम करते हैं, स्नेफर व ट्रैकर डॉग 
बताया गया कि स्नेफर डॉग स्पेशली बारूद व गांजा, हफीम सूंघने में माहीर होते हैं। ट्रेन हो या परिसर कही भी संवेदनशील चीज का अनुमान लगते ही इन श्वानों को जांच-पड़ताल में लगाया जाता है। अब तक ऐसा होता था, कि जहां बम या विस्फोटक रहता था, वहां पर जाकर डॉग पंजा मारते थे, लेकिन इससे कई बार प्रेशर बम फटने से हादसे की आशंका रहती थी। ऐसे में इस बार श्वान को इस तरह से प्रशिक्षित किया गया है, कि वह बारूद या बम जहां भी हो ठीक वहीं जाकर बैठ जाएंगे। इसी तरह ट्रैकर डॉग का इस्तेमाल आरोपियों को ढूंढने के लिए होता है। कई बार स्टेशन या ट्रेन में चोरी, लूटपाट या मर्डर जैसी घटनाएं होती हैं। ऐसे में यह श्वान घटनास्थल पर पड़े स्कार्फ, पर्स, रूमाल, शर्ट का टुकड़ा यहां तक की जली हुई सिगरेट या बीड़ी से भी आरोपी तक पुलिस को पहुंचा देंगे।

पहली परीक्षा में पास हुए डॉग
मोतीबाग परिसर में सुबह 11 बजे रॉकी व मैक्स (स्नेफर डॉग) की परीक्षा ली गई। नाटकीय प्रसंग किया गया, जिसमें 10 जवानों को एक लाइन में खड़ा कर एक जवान के जेब में बारूद रखा गया। जिसके बाद मैक्श ( श्वान) ने समय रहते ही सिपाही को खोज निकाला। वहीं दूसरी परीक्षा मैक्स ( श्वान) की पेड़ पर टीएनटी ( प्रेशर बम) रखते ली गई। जिसमें वह भी पास हो गया।
 

Created On :   23 March 2019 4:16 PM IST

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