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कुछ घटनाओं ने बदला नजरिया- डॉ. भरत वाटवाणी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। हमें अपने लक्ष्य को बदलने की आवश्यकता है। एक सर्वे के अनुसार, वर्तमान में भारत की सड़कों पर 4 लाख से अधिक मानसिक रोगी हैं, जबकि मैं 7 हजार रोगियों तक ही पहुंचा हूं। लोग कहते हैं कि मैंने बड़ा काम किया, लेकिन वर्तमान की सच्चाई तो यह है कि मैंने नाममात्र का काम किया है। इसलिए हम सभी को मनोरोगियों के लिए काम करना चाहिए। यह बात वरिष्ठ मनारोग चिकित्सक डॉ.भरत वाटवानी ने कही। वह एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेस की वार्षिक कार्यशाला में रविवार 3 फरवरी को सेंटर प्वाइंट होटल में बोल रहे थे। मंच पर एएमएस के अध्यक्ष डॉ. हरिश वरभे, सचिव अजय अंबाडे, परिषद के अध्यक्ष डॉ. राजू खंडेलवाल, यंग अचीवर्स अवार्ड के अध्यक्ष डॉ. रमेश मुंडले, डॉ. नरेंद्र मोहता, डॉ. एस.एन. देशमुख उपस्थित थे।
बाबा आमटे से मिली प्रेरणा
उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 में मैं कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाला था, लेकिन अस्पताल में दो मनोरोगी होने से यात्रा रद्द हो गई। बाद में पता चला कि सभी श्रद्धालुओं की दुर्घटना में मृत्यु हो गई, यदि मैं मरीजों को छोड़कर जाता तो मैं भी जिंदा नहीं बचता। उस घटना से जीवन का दृष्टिकोण बदला। बाबा आमटे से मुलाकात ने मेरा दृष्टिकोण बदला। मनोरोगियों के लिए श्रद्धा रिहेबलेशन सेंटर चालू करने की प्रेरणा मिली। बाबा आमटे से मिलने जाते समय एक स्क्रिझोफ्रेनिक मरीज मिला, परिजनों ने उसे बांधकर रखा था। उसे देखकर बाबा आमटे रोने लगे और वहीं सड़क पर उसकी मदद करने लगे, यह दृश्य मेरे लिए काफी प्रेरणादायक रहा।
इसी तरह एक बार सड़क पर एक मनोरोगी गटर का पानी पी रहा था, यह देख मुझे पहली बार मनाेरोगियों के लिए कार्य करने की प्रेरणा मिली। डॉ. कृष्णा कांबले को ‘प्रोफेशनल एक्सेलंस पुरस्कार’ और कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. अमोल डोंगरे को यंग अचीवर्स पुरस्कार दिया गया। इस अवसर पर डॉ. सुधीर भावे ने मार्गदर्शन किया। डॉ.हरीश वरभे, डॉ. राजू खंडेलवाल, डॉ. अशोक अरबट, डॉ. चंद्रशेखर मेश्राम ने अपना मनोगत व्यक्त किया। संचालन डॉ. कल्पता दाते, डॉ. वर्तिका पाटील व आभार डॉ. अजय आंबाडे ने व्यक्त किया।
Created On :   4 Feb 2019 1:50 PM IST