पुश्तैनी हुनर को बरकरार रखने शुरु किया खुद का स्टार्टअप, 20 महिलाओं को रोजगार दिया

Started own startup to maintain ancestral skills, gave employment to 20 women
पुश्तैनी हुनर को बरकरार रखने शुरु किया खुद का स्टार्टअप, 20 महिलाओं को रोजगार दिया
देश भर में फेमस है आरती की साडिय़़ां पुश्तैनी हुनर को बरकरार रखने शुरु किया खुद का स्टार्टअप, 20 महिलाओं को रोजगार दिया

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा । विलुप्त हो चुके अपने पुश्तैनी हुनर को बरकरार रखने के लिए सात साल पहले आरती ने साडिय़ों पर अपने पारंपरिक हुनर को उकेरने का काम शुरु किया था। तब सोचा भी नहीं था कि आधुनिकता के इस दौर में उनकी बनाई कला को नई पहचान मिलेगी।सात साल के लंबे सफर में आज आरती की बनाई साडिय़ों की डिमांड पूरे देश में है। साडिय़ों पर उकेरी गई आदिवासी संस्कृति, पातालकोट की परंपरा और देवगढ़ किले की सुंदर कलाकृतियों ने आरती के साथ-साथ छिंदवाड़ा को भी नई पहचान दी है। हम बात कर रहे हैं , छिंदवाड़ा के चौकसे कॉलोनी निवासी आरती रोहित रुसिया की। मुख्यत: छीपा समुदाय से ताल्लुक रखने वाली आरती ने 2013 में अपना पारंपरिक कार्य शुरु किया था। तब खुद अपने हाथों से साडिय़ों पर पारंपरिक हेंड ब्लाक प्रिंटिंग किया करती थी। चंद समय में अच्छा प्रतिसाद मिला तो आरती ने आदिवासी महिलाओं को भी अपने साथ मिला लिया। उद्देश्य था कि अपने पुश्तैनी हुनर को नई पहचान मिले साथ में आदिवासी महिलाएं मजदूर बनकर काम करने की बजाय खुद का व्यवसाय कर सकें। आज स्थिति ये है कि आरती के हाथों की कला  छिंदवाड़ा से निकलकर दिल्ली, मुंबई, बेंगलोर सहित देश के कई महत्वपूर्ण टूरिस्ट स्पॉट पर देखी जा सकती है।
सालाना 20 लाख तक की कमाई
अपने पूर्वजों की कला को बचाने के लिए शुरु किए गए काम से आरती आज सालाना 20 लाख रुपए तक कमाई कर रही है। अपने साथ करने वाली महिलाओं को तो रोजगार दे रही है वहीं स्थानीय बुनकरों से साडिय़ां लेकर उनकी कला को भी सम्मान  दे रही है।
कभी 35 से ज्यादा परिवार रहा करते थे छिंदवाड़ा में
साडिय़ों पर अपनी कला का जौहर दिखाने वाले तकरीबन 35 से ज्यादा छीपा समुदाय के लोग कभी छिंदवाड़ा में रहा करते थे। मुख्यत: जिले के सौंसर विकासखंंड में साडिय़ां पूरे देश में बेची जाती थी। लेकिन आजादी के बाद आधुनिकता आई तो इस कला के खरीदार भी कम हो गए। आज स्थिति ये है कि इक्का दुक्का लोग ही इस काम को कर रहे हैं।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना उद्देेश्य
आरती रुसिया ने बताया कि व्यवसाय के साथ-साथ आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना मेरा मुख्य उद्देश्य है। महिलाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है बस उन्हें प्लेटफार्म मिलना चाहिए। आज संस्था की आदिवासी महिलाओं द्वारा तैयार की जाने वाली साडिय़ों की बड़ी डिमांड है। यहां काम सीख कर जाने वाली महिलाएं खुद का व्यवसाय भी शुरु कर सकती है।
टूरिस्ट स्पॉट विकसित हो तो कला को मिले सम्मान
आरती रुसिया के पति रोहित रूसिया ने बताया कि साडिय़ों पर जो कलाकृतियां बनाई जा रही है। वो छिंदवाड़ा के समृद्ध शासनकाल की याद दिलाते है। जिसमें पातालकोट, देवगढ़ किला और आदिवासियों के परंपरागत गुदना और  उनके रीति रिवाज  शामिल है। छिंदवाड़ा में यदि टूरिस्ट स्पॉट विकसित किए गए तो इस कला को और पहचान मिलेगी। दूसरे देश व प्रदेश से आने वाले टूरिस्टों को साडिय़ों पर उकेरी गई कलाकृतियां काफी पसंद आती है।
 

Created On :   30 Aug 2021 3:55 PM IST

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