राज्य सहकारी बैंक घोटाला : अजित पवार सहित 70 से अधिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज

State Co-operative Bank Scam : FIR registered against more than 70 including Ajit Pawar
राज्य सहकारी बैंक घोटाला : अजित पवार सहित 70 से अधिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज
राज्य सहकारी बैंक घोटाला : अजित पवार सहित 70 से अधिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। 25 हजार करोड़ रुपए के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ विजय सिंह मोहिते पाटील, आनंदराव अडसूल, शिवाजी नलावडे समेत 70 से ज्यादा नेताओं और बैंक अधिकारियों के खिलाफ मुंबई के एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। बांबे हाईकोर्ट के आदेश के आधार पर मुंबई पुलिस ने यह एफआईआर दर्ज की है। सामाजिक कायर्कर्ता सुरेंद्र अरोडा की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस घोटाले के मामले में अदालत ने गुरूवार को पांच दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज कर छानबीन करने का आदेश दिया था। मामले में पुलिस ने बैंकों के तत्कालीन संचालकों, अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 409, 406, 465, 467, 468, 34, 120 (बी) के साथ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। आरोप है कि सहकारी बैंकों में संचालकों के पदों पर बैठे इन नेताओं ने नियमों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से अपने करीबियों को कर्ज बांट दिए थे। कर्ज की वसूली नहीं हो सकी तो बैंक डूबने लगे। इसके बाद रिजर्व बैंक ने राज्य सहकारी मंडल बर्खास्त कर जांच के आदेश दिए थे। वहीं कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि पवार व मामले से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज के लिए प्रथम दृष्टया काफी विश्वसनीय सबूत है और संज्ञेय अपराध का खुलासा करते है।  

पुलिस के दावे को अदालत ने ठुकराया

सुनवाई के दौरान आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के डीसीपी श्रीकांत परोपकारी ने खंडपीठ के सामने दावा किया था कि इस मामले में कोई अपराध नहीं बनता है। खंडपीठ ने साफ किया कि बगैर जांच के पुलिस के इस मत को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि कोई इस प्रकरण में कोई अपराध नहीं बनता है। कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। क्योंकि शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच करना पुलिस का कर्तव्य है और इसकी रिपोर्ट मैजिस्ट्रेट को भेजना उसकी जिम्मेदारी है। 

क्या है मामला

घोटाले के संबंध में की गई शिकायत में राकांपा नेता अजित पवार के अलावा राकांपा के हसन मुश्रीफ व कांग्रेस नेता  मुधकर चव्हाण के अलावा बैंक के अलग-अलग जिलों में खुली बैंक की शाखों के वरिष्ठ अधिकारियों का समावेश है। ये सभी नेता इस बैंक के संचालक रह चुके है।  शिकायत में दावा किया गया है कि 2007 से 2011 के बीच बैंक को करीब एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। मामले को लेकर नाबार्ड व महाराष्ट्र सहकारिता विभाग की ओर से मामले को लेकर दायर की गई रिपोर्ट में बैंक को हुए नुकसान के लिए राकांपा नेता अजित पवार व बैंक के दूसरे निदेशकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक अधिकारियों की निष्क्रियता व उनके द्वारा लिए गए निर्णय के चलते बैंक को काफी नुकसान हुआ है।

नाबार्ड की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक शक्कर कारखानों को कर्ज देने में बड़े पैमाने पर बैंक की ओर से कर्ज देने में नियमों का उल्लंघन किया गया है। तत्कालीन समय में रांकपा नेता अजित पवार बैंक के निदेशक थे। नाबार्ड की इस रिपोर्ट के बावजूद कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई थी। समाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने इस मुद्दे को लेकर पहले पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में साल 2015 व 29 जनवरी 2018 को  शिकायत की थी। फिर इसके बाद अधिवक्ता एसबी तलेकर के माध्यम से प्रकरण को लेकर एफआईआर दर्ज कि जाने का निर्देश देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

Created On :   26 Aug 2019 3:18 PM GMT

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