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स्मृति मंदिर को लेकर राज्य सरकार ने दी कोर्ट में सफाई

डिजिटल डेस्क,नागपुर। रेशमबाग स्थित स्मृति मंदिर परिसर में विकास कार्यों को लेकर काफी समय से बवाल मचा हुआ है। मामला कोर्ट में है। इसके आस-पास के निर्माणकार्य के विरोध से संबंधित जनहित याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक राज्य सरकार ने इस मामले में अपना उत्तर प्रस्तुत किया। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 1997 में डाॅ. हेडगेवार स्मारक समिति के स्मृति मंदिर को पर्यटन स्थल का दर्ज दिया था। इस लिहाज से नागपुर महानगर पालिका द्वारा वहां किया जा रहा कामकाज सही है। यह भी स्पष्ट किया कि इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित करने से जुड़े रिकॉर्ड राज्य सरकार के पास मौजूद नहीं है। कुछ वर्षों पहले मुंबई स्थित मंत्रालय में जो आग लगी थी, उसमें संबंधित दस्तावेज भी खाक हो गए। ऐसे में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की इस जानकारी को पुख्ता करने के लिए जरूरी दस्तावेज टटाेलने के आदेश सरकारी पक्ष को दिए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मुद्दे पर 3 सप्ताह में शपथ-पत्र मांगा है।
यह है मामला
याचिकाकर्ता नागरी हक्क संरक्षण समिति अध्यक्ष जनार्दन मून ने हाईकोर्ट में यह याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता के मुताबिक, नागपुर महानगरपालिका की स्टैंडिंग कमेटी ने हाल ही में स्मृति मंदिर परिसर में सुरक्षा दीवार बनाने के लिए और यहां से सड़क बनाने के लिए 1 करोड़ 37 लाख रुपए मंजूर किए हैं। याचिकाकर्ता का इस पर विरोध है। दलील है कि आरएसएस एक गैर-पंजीकृत संस्था है। ऐसे में आरएसएस के लिए लाभकारी निर्माणकार्य करके मनपा करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग कर रही है, जबकि अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए मनपा के पास फंड की कमी है। उन्होंने निर्माणकार्य को अवैध बता कर इसे रद्द करने का आदेश जारी करने की प्रार्थना हाईकोर्ट से की है। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अश्विन इंगोले ने पक्ष रखा।
संघ कर रहा याचिका का विरोध
इस मामले में संघ की ओर से दायर शपथ-पत्र में सफाई दी गई है कि रेशमबाग स्थित स्मृति मंदिर से उनका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कोर्ट में जानकारी दी है कि डाॅ. हेडगेवार स्मारक समिति से आरएसएस का कोई संबंध ही नहीं है। संघ का दावा है कि स्मारक समिति का गठन सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट,1960 के तहत स्वतंत्र संस्था के रूप में हुआ है। संघ के अनुसार, यह सारी याचिका महज सियासी पैंतरा है।
Created On :   1 Feb 2018 1:01 PM IST