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26 सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस रोकने हाईकोर्ट की शरण में सरकार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। प्रदेश सरकार ने विदर्भ में सरकारी अस्पतालों के 26 डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस रोकने लिए हाईकोर्ट की शरण ली है। दरअसल इन डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस बंद कराने के सरकार के फैसले पर हाईकोर्ट ने वर्ष 2014 में स्थगन लगाया था। तब से डॉक्टर सरकारी और निजी दोनों ही अस्पतालों में मरीजों को देखते हैं। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में दलील दी है कि दोनों ओर प्रैक्टिस करने के कारण सरकारी अस्पताल पर इसका असर पड़ रहा है और वहां मरीजों को पर्याप्त इलाज नहीं मिल पा रहा है। मंगलवार को सरकार का पक्ष सुनने के बाद नागपुर खंडपीठ ने 8 जनवरी से अंतिम सुनवाई शुरू करने का फैसला लिया है।
यह है मामला
डॉ.राज गजभिए समेत सभी 26 याचिकाकर्ता विदर्भ के विविध शासकीय महाविद्यालय और अस्पतालों में कार्यरत हैं। कुछ वर्षों पूर्व राज्य सरकार ने एक जीआर जारी किया था, जिसके अनुसार नॉन-प्रैक्टिसिंग भत्ता लेने वाले सरकारी डॉक्टरों को निजी अस्पताल में काम करने से सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया। सरकार के इस फैसले को डॉक्टरों ने महाराष्ट्र एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्युनल (मैट) में चुनौती दी मगर उनकी अर्जी खारिज हो गई। इसके बाद डॉक्टर हाईकोर्ट पहुंचे, तो वहां उन्हें राहत मिली। हाईकोर्ट ने सरकार के आदेश पर स्थगन दिया। अब राज्य सरकार ने डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस को रोकने की अपील हाईकोर्ट से की है। मामले में सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील आनंद परचुरे और डॉक्टरों की ओर से एडवोकेट अक्षय नाईक ने पक्ष रखा।
Created On :   8 Nov 2017 12:06 AM IST