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कोर्ट फीस के नाम पर देना होगा दोगुना शुल्क

योगेश चिवंडे, नागपुर। महंगाई की मार झेल रहे गरीब व सामान्य नागरिकों को अब न्याय मांगना भी महंगा साबित होगा। अब कोर्ट फी के नाम पर उन्हें दो से पांच गुना तक शुल्क अदा करना होगा। राज्य सरकार ने महाराष्ट्र कोर्ट फी एक्ट 1959 में सुधार किया है। 16 जनवरी 2018 को राज्य सरकार ने मंजूरी प्रदान की है। राज्यपाल से भी इसे हरी झंडी मिलने की जानकारी है। हालांकि अभी यह शुल्क वृद्धि लागू नहीं हुई है। कोर्ट फी में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए वकील संगठनों ने इसका विरोध भी शुरू कर दिया है। औरंगाबाद खंडपीठ में इस निर्णय को चुनौती भी दी गई है।
हर बार इतनी राशि देना होगा मुश्किल
अभी आपराधिक या अन्य प्रकरणों में सादे कागज पर आवेदन कर 10 रुपए की कोर्ट फी से काम चल जाता था। अगर पक्षकार नहीं आए तो वकील 10 रुपए की कोर्ट फी लगाकर अगली तारीख ले लेता था। अब कोर्ट का कोई भी व्यवहार करने के लिए कम से कम 50 रुपए की कोर्ट फी लगानी होगी। जाहिर है पक्षकार की जेब से ही उसकी वसूली होगी। पारिवारिक न्यायालय में अब तक 100 रुपए की कोर्ट फी लगाकर काम बनता था। नये संशोधन अनुसार 500 रुपए की कोर्ट फी लगानी होगी। सर्वाधिक असर संपत्ति से जुड़े दावे प्रकरणों पर पड़ेगा। अब तक दावे, मानहानि आदि प्रकरणों में ज्यादा से ज्यादा 3 लाख रुपए तक कोर्ट फी लगती थी। नए कानून अनुसार अब 10 लाख रुपए तक उसे कोर्ट फी अदा करनी पड़ेगी। दावा किया गया कि ऐसे में आम पक्षकार के लिए इतनी बड़ी राशि हर बार देना मुश्किल साबित होगा। विशेष यह कि सरकार न्यायालय में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के नाम पर कोर्ट फी में बढ़ोतरी कर रही है।
सेटलमेंट को मिलेगा बढ़ावा
कोर्ट फी बढ़ने का सीधा असर आम पक्षकार यानी गरीब व्यक्ति पर होगा। कानूनी क्षेत्र से जुड़े एड. नितीन देशमुख बताते हैं कि यह आम पक्षकारों के लिए यह काफी महंगा साबित होगा। न्यायालय की सीढ़ियां चढ़ने के लिए उसे 10 बार सोचना पड़ेगा। इससे बाहरी ताकतों को बढ़ावा मिलेगा। अगर विपक्षी पक्षकार आर्थिक रूप से संपन्न है तो वह पैसों के बल पर बाहर ही इसका सेटलमेंट करने के लिए दबाव बनाएगा। ऐसे में असामाजिक तत्वों की भी भूमिका बढ़ जाएगी। एड. योगेश सातपुते, एड. विशाल सुरपाम, एड. सचिन अड्यालकर, एड. नरेश नेभाणी, एड. अख्तर अंसारी ने भी इसके कई नुकसान गिनाए।
Created On :   6 Feb 2018 12:30 PM IST