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मराठा आरक्षण मसले के फैसले तक नई भर्ती न करें, पालघर मॉब लिंचिंग मामले की याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मराठा आरक्षण मामले की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिए कि वह मामले के अंतिम फैसले तक मराठा कोटा के तहत नियुक्ति न करें। हालांकि महाराष्ट्र सरकार ने भी शीर्ष अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया है कि उसने कोरोना महामारी के मद्देनजर 15 सिंतबर तक भर्ती न करने का निर्णय लिया है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गत 15 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान कहा था कि मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में राज्य सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 27 जुलाई से रोजाना सुनवाई करेगा। लेकिन आज जस्टिस एल नागेश्वरराव की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से 4 मई के जीआर का हवाला देते हुए कोरोना संकट के दौरान प्रदेश में नई भर्ती पर रोक लगाए जाने की जानकारी देने के बाद मामले को अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया। सुनवाई के दौरान पक्षकारों ने कोर्ट को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान अलग-अलग दस्तावेजों को प्रस्तुत करने में तथा दलीले पेश करने में आने वाली दिक्कतों से अवगत कराया। साथ ही राज्य सरकार ने बताया कि सिंतबर तक भर्ती पर रोक लगाई गई है। इसलिए मामले पर शीघ्र सुनवाई की जरुरत नहीं है। इन दलीलों को सुनने के बाद पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग की दिक्कतों पर गौर किया और मामले की अगली सुनवाई 1 सिंतबर को मुकर्रर करते हुए यह आदेश पारित किया कि राज्य सरकार मामले में अंतिम फैसले तक भर्ती न करें।
25 अगस्त को होगी विशेष सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण मसले को पांच जजों की बेंच के पास भेजा जाए या नहीं इस मांग पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है। इस संबंध में 25 अगस्त को विशेष सुनवाई होगी। अगर मसले को पांच जजों की बेंच के पास भेजने पर सहमति बन गई तो 1 सिंतबर को सुनवाई नहीं होगी और अगर यह मसला मौजूदा पीठ के समक्ष ही रहा तो 1 सिंतबर से रोजना सुनवाई शुरु होगी।
पालघर मॉब लिंचिंग मामले की तीन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट एक साथ करेगा सुनवाई
इसके अलावा महाराष्ट्र के पालघर में मॉब लिंचिंग मामले में दाखिल सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट एक साथ सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर तीन अलग-अलग याचिकाएं दाखिल है। सुप्रीम कोर्ट ने आज रजिस्ट्रार को आदेश दिए हैं कि सभी याचिकाओं को सुनवाई के लिए एक साथ सूचीबद्ध किया जाए। अदालत ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से सीलबंद लिफाफे में दी गई मामले की स्टेटस रिपोर्ट को भी रिकॉर्ड में ले लिया है। मॉब लिंचिंग इस घटना में दो साधुओं और उनके ड्राइवर की हत्या हुई थी।
Created On :   27 July 2020 8:34 PM IST