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प्रदेश के शराब ठेकेदारों को नहीं मिली हाईकोर्ट से राहत
हजारों करोड़ रूपए की दुकानों का फिर से टेण्डर कराने दायर की है याचिका, सरकार को नोटिस जारी, अगली सुनवाई 19 को
डिजिटल डेस्क जबलपुर । प्रदेश की शराब दुकानों को लेकर शासन-प्रशासन और ठेकेदारों के बीच पिछले कुछ दिनों से खींचतान मची हुई है। हजारों करोड़ रुपए की दुकानों का फिर से टेण्डर कराने को लेकर राज्य के 30 शराब ठेकेदारों की याचिका पर हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई भी अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है। मंगलवार को चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने ठेकेदारों की याचिका पर राज्य सरकार व अन्य को नोटिस जारी करके साफ किया कि अनावेदकों के जवाब आने के बाद ही अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा। मामले पर अगली सुनवाई 19 मई को होगी।
मां वैष्णो इंटरप्राईजेस व 29 अन्य की ओर से दायर इस में कहा गया है कि बीते फरवरी माह में शराब दुकानों की टेण्डर प्रक्रिया जारी हुई थी। उसे अंतिम दिए जाने से पहले ही पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हो गया। इधर मध्य प्रदेश में भी सरकार और परिस्थितियों में हुए बदलाव का हवाला देकर याचिकाकर्ता शराब ठेकेदारों ने हाईकोर्ट से प्रार्थना की है कि सरकार या तो उनसे ली गई राशि को लौटाकर फिर से टेण्डर कराए या फिर उनसे ली गई बिड की राशि सरकार द्वारा घटाई जाए।
मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर श्रीवास्तव, अधिवक्ता राहुल दिवाकर और राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव व शासकीय अधिवक्ता राजेश्वर राव ने पक्ष रखा।
ठेकेदार के खिलाफ न हो सख्ती: वहीं इन्दौर के उस ठेकेदार को सीजे की अध्यक्षता वाली बैंच ने राहत दी है, जिसको खरगौन में आवंटित हुई शराब दुकान फिर से नीलामी की जा रही थी। बैंच ने कहा है कि सरकार संबंधित दुकान को लेकर नीलामी की प्रक्रिया तो जारी करे, लेकिन अगली सुनवाई तक न तो उसे अंतिम रूप दिया जाए और न ही याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई की जाए। याचिकाकर्ता अर्पित चौकसे का कहना था कि उसने पहले ही 2 करोड़ 89 लाख रुपए लाईसेन्स मनी के रूप में जमा कर दिए हैं। कोरोना संक्रमण के चलते वो बाकी रकम जमा नहीं कर पा रहे और इसके कारण अब सरकार उसको आवंटित दुकान की फिर से नीलामी करने जा रही, जो अवैधानिक है।
Created On :   6 May 2020 2:17 PM IST