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आंकड़ों का खेल...पौष्टिक भोजन बंद, फिर भी कुपोषित घटे

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। कुपोषित बच्चों की संख्या में आंकड़ों की बाजीगरी किसी से छिपी नहीं है, लेकिन महिला एवं बाल विकास विभाग के ताजा आंकड़े तो सही में चांैका देने वाले हैं। कोरोना काल के बीच जहां शासन ने मार्च से पौष्टिक भोजन का वितरण आंगनबाडिय़ों में बंद कर रखा है, लेकिन इन सबके बावजूद जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी होने की बजाय आश्चर्यजनक रूप से बड़ी कमी आई है। पहले जहां कुपोषित और अतिकुपोषितों को मिलाकर जिले में 31 हजार से ज्यादा कुपोषित बच्चे पाए जाते थे। वहीं नवंबर में आंगनबाडिय़ों से आए बच्चों की संख्या महज 12920 पर आकर सिमट गई है। इसमें कुपोषित बच्चे 10721 और अतिकुपोषित बच्चे 2199 हैं। कोरोना संक्रमण के पहले हर माह होने वाले बच्चों के वजन में कुपोषित बच्चों की संख्या 28 हजार और अतिकुपोषितों की संख्या 2800 से नीचे नहीं जाती थी। अब आंकड़ों को लेकर अफसरों का भी अपना तर्क है इनका कहना है कि पिछले कुछ महीनों से तमाम काम सॉफ्टवेयर के माध्यम से हो रहा है। जिससे सही डाटा तो फीड हो ही रहा है, लेकिन दिक्कतें भी आ रही हैं। जिस वजह से आंकड़े कम ज्यादा हो सकते हैं।
अभी कैसे कलेक्ट हो रहा डाटा
कोरोना के चलते आंगनबाडिय़ों में बच्चों के आने पर प्रतिबंध है। जिस वजह से आंगनबाडिय़ां कार्यकर्ताएं घर-घर जाकर बच्चों का वजन ले रही हैं। नवंबर माह में 1 लाख 73 हजार 902 बच्चों का वजन लिया गया। जिसमें से 12920 बच्चों में कुपोषण व अतिकुपोषित पाए गए हैं।
सिर्फ बंट रहा सत्तू, खाना वितरण मार्च से बंद
मार्च से जिले में कोरोना काल चल रहा है। आंगनबाडिय़ां तो खुली हैं लेकिन बच्चों के आने पर शासन ने प्रतिबंध लगा रखा है। बच्चों को घर-घर सत्तू पहुंचाया जा रहा है। पहले पौष्टिक और गरम खाना आंगनबाडिय़ों में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से वितरित किया जाता था। जिसे रोक दिया गया है।
कुपोषण प्रभावितों में छिंदवाड़ा, जामई-परासिया सबसे आगे
नवंबर में सामने आए कुपोषित और अतिकुपोषितों की संख्या में जामई, परासिया और छिंदवाड़ा विकासखंडों में सबसे ज्यादा प्रभावित मिले हैं। इन दोनों ही ब्लॉकों में महिला एवं बाल विकास विभाग की दो परियोजनाएं संचालित होती हैं। जिसमें जामई में सबसे ज्यादा 2122 और परासिया में 1708 बच्चे कुपोषित व अतिकुपोषित मिले हैं। जबकि छिंदवाड़ा परियोजना में 1720 बच्चे कुपोषित मिले हैं।
इनका कहना है...
॥सॉफ्टवेयर के माध्यम से काम जारी है। जिससे में कुछ दिक्कतें आ रही हैं। जनवरी से सब ठीक हो जाएगा। जिसके फीडिंग की रफ्तार भी बढ़ेगी। वैसे सही फीडिंग की वजह से कुपोषितों की संख्या में जिले में कमी भी आ रही है।
-कल्पना तिवारी,
डीपीओ, छिंदवाड़ा
Created On :   14 Dec 2020 11:28 PM IST