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बाघों का बस्तियों की अोर रुख रोकने उठाए जाएंगे कदम

डिजिटल डेस्क,नागपुर। अक्सर वन्यजीव पानी और भोजन की तलाश में शहर व बस्तियों की ओर रूख करते हैं। ऐसे में वन्यजीव और मानवी संघर्ष की घटनाएं भी होती रहती है। वन्यजीव और मानवी संघर्ष की घटनाओं को रोकने के लिए एफडीसीएम को हस्तांतरित किए गए वन जमीन पर वनीकरण करने का प्रारूप 6 सप्ताह में तैयार करने का आदेश हाईकोर्ट ने एफडीसीएम और वन विभाग को दिया है। याचिकाकर्ता घनश्याम ठाकुर और सरिता सुब्रमण्यम की जनहित याचिका पर हुई सुनवाई में जस्टिस भूषण धर्माधिकारी और जस्टिस अरुण उपाध्ये की बेंच ने यह आदेश जारी किया। अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद होगी।
शिकार की तलाश में आते हैं जंगल से बाहर
टिपेश्वर और ताड़ोबा राष्ट्रीय उद्यान में वन्यजीव जंगल छोड़कर बस्तियों का रूख करने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिसके चलते वन्यजीवन और मानव के बीच संघर्ष की स्थिति पैदा होने की घटनाओं पर हाईकोर्ट का ध्यान आकर्षित किया गया। टिपेश्वर उद्यान के आसपास के झुड़पी जंगल हैं। इसमें घास की कमी के चलते हिरण तथा अन्य वन्यजीवों की संख्या कम हो गई है। भूख मिटाने के लिए शिकार की तलाश में जंगल छोड़कर बाघ बस्तियों में पहुंचने से वन्यजीव और मानव के बीच संघर्ष शुरू हो गया है। इसमें अनेक घटनाओं में बाघ और इंसानों के मारे जाने की घटनाएं सामने आईं हैं। इसे रोकने के लिए झुड़पी जंगलों में वनिकरण करने की आवश्यकता पर याचिकाकर्ता ने जोर दिया।
एफडीसीएम को 31 हजार 627.8 हेक्टेयर जमीन हस्तांतरित की गई है। इसमें से कुछ जमीन पांढरकवड़ा वन विभाग के दायरे में है। इसे वापस लेकर वनिकरण करने का पक्ष रखा गया। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर वन विभाग और एफडीसीएम को वनीकरण करने का आदेश दिया। 6 सप्ताह में वनिकरण प्रारूप तैयार कर प्रतिज्ञा पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। याचिकाकर्ता की आेर से एड. रवींद्र साखने ने अदालत में पैरवी की।
Created On :   3 May 2018 3:47 PM IST