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हिन्दी मीडियम स्कूलों से बच्चों ने मुंह फेरा, 70 फीसदी विद्यार्थी हुए कम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। तमाम सरकारी अभियानों के बाद भी जिले के हिंदी माध्यम स्कूलों की ओर बच्चों के कदम नहीं बढ़ पा रहे हैं। यह स्थिति तब है जब हिंदी को हर स्तर पर बढ़ावा देने की बात की जाती है। अगर सिर्फ नागपुर की बात करें तो यहां कुल स्कूलों की संख्या 4000 है और हिंदी माध्यम की स्कूलों की संख्या मात्र 280, अर्थात, लगभग 14.28 प्रतिशत। इस प्रतिशत में भारी कमी का अंदेशा बनता जा रहा है। जानकारों का मानना है कि सुधार की गुंजाइश न होने की स्थिति में अगले साल तक प्रतिशत का यह आंकड़ा इकाई में सिमट सकता है।
70 प्रतिशत कम हुए विद्यार्थी
साल-दर-साल विद्यार्थियों की संख्या घटने से स्कूलों को बंद करने की नौबत बनी हुई है। जिले में पिछले सत्र की तुलना में 70 प्रतिशत विद्यार्थी कम हुए हैं। बेसिक शिक्षा को हाईटेक करने और विद्यार्थियों की संख्या को बढ़ाने के तमाम दावे असफल साबित हो रहे हैं। हैरतअंगेज रूप से इसके पीछे एक बड़ा कारण RTI के तहत अच्छे स्कूलों में 25 प्रतिशत का कोटा मिलना भी है। कई पैरेंट्स जागरूक हो गए हैं और वे बच्चों को CBSE स्कूलों में पढ़ा रहे हैं।
शिक्षक भर रहे बस, ऑटो का किराया
सूत्रों के अनुसार, हिंदी माध्यम के कई स्कूलों के शिक्षक ऑटो और बस का किराया अपने जेब से भरकर वाड़ी और उसके आस-पास के क्षेत्रों से विद्यार्थियों को लाने का प्रबंध कर रहे हैं। विचित्र स्थिति यह है कि इन स्कूलों में कोई हेडमास्टर बनने को तैयार नहीं, क्योंकि विद्यार्थी संख्या बढ़ाने का काफी ‘प्रेशर’ है।
शिक्षक घर-घर जाकर ला रहे हैं विद्यार्थी
शिक्षक घर-घर जाकर विद्यार्थी ला रहे हैं। वे पालकों को मना रहे हैं, तो कई पालक उनकी मजबूरी का फायदा भी उठा रहे हैं। अब वे चाहते हैं कि जो स्कूल ज्यादा सुविधा देगा, वहां ही अपने बच्चों का वे एडमिशन करवाएंगे। माना जा रहा है कि पैरेंट्स वर्तमान शिक्षा स्तर और गुणवत्ता को देखते हुए अपने बच्चों को हिंदी माध्यम स्कूलों में पढ़ाने के कतई इच्छुक नहीं हैं।
यह है स्कूलों की मौजूदा स्थिति
नागपुर में कुल स्कूलों की संख्या : 4000
हिंदी माध्यम स्कूल: 280
सरकारी स्कूल: 4
जिला परिषद : 18
नगर परिषद : 7
नागपुर नगरपालिका : 69
अनुदानित स्कूल: 148
गैर-अनुदानित स्कूल : 34
इस वर्ष कम एडमिशन हुए हैं
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम एडमिशन हुए हैं। सब कुछ नि:शुल्क मिलने के बाद भी हिंदी माध्यम स्कूलों से अभिभावक मुंह मोड़ रहे हैं।
प्रेमलता तिवारी, प्रधानाचार्य भोला हाईस्कूल
पसंद बदल गई
अभिभावकों की पसंद बदल गई है। वे बच्चों को हिंदी व मराठी माध्यम में पढ़ाना नहीं चाहते। अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की ओर उनका रुझान बना हुआ है।
डॉ. एनए पटवे, जिला माध्यमिक शिक्षा अधिकारी
हिंदी माध्यम में पढ़ने वालों की संख्या कम हुई
आजकल पैरेंट्स हिंदी माध्यम को तरजीह नहीं दे रहे हैं। कई ऐसे अंग्रेजी स्कूल हैं, जिनमें शिक्षकों को अंग्रेजी नहीं आती है फिर भी अपने बच्चों को वह वहां पढ़ा रहे हैं। हिंदी माध्यम में पढ़ने वालों की संख्या कम हुई है।
दिलीप बोस, नागपुर एचएम एसोसिएशन
असली मुद्दा : RTI में 25 प्रतिशत कोटा मिलने से भी कई पैरेंट्स जागरूक हुए
हिंदी माध्यम स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में आई कमी के पीछे एक मुख्य कारण RTI के तहत अच्छे स्कूलों में 25 प्रतिशत का कोटा मिलना भी है। कई पैरेंट्स जागरूक हो गए हैं और वे बच्चों को CBSE स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। आज के पालकों को अपडेट शिक्षा चाहिए। स्कूलों को भी चाहिए कि वे ई-लर्निंग कोर्स शुरू करें, जैसे हमारे स्कूल में चलाया जा रहा है। हमारे स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या में कमी नहीं आई है। हमारे पास कम्प्यूटर हैं और अपग्रेड शिक्षक हैं। हम विद्यार्थियों को साइकिल, मेडिकल सुविधा और यूनिफार्म भी मुफ्त दे रहे हैं।
सुनील नायक, एचएम, ज्ञान विकास माध्यमिक विद्यालय
Created On :   31 July 2018 10:57 AM IST