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कॉलेजों को "फ्लोट' के अधिकार से मुसीबत में विद्यार्थी, निजी आईटीआई को अनुदान की प्रतीक्षा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। एलएलबी की सेंट्रलाइज प्रवेश प्रक्रिया के नियमों ने विद्यार्थियों को उलझन और परेशानी में डाल दिया है। कैप राउंड में "फ्लोट" का विकल्प विद्यार्थी को न देते हुए इंस्टीट्यूट्स को दिया गया है। ऐसे में दूसरे कैप में शामिल होने के लिए विद्यार्थियों को संबंधित कॉलेज में जाकर "फ्लोट" कराना पड़ रहा है। इसमें कई प्रकार की शिकायतें देखने को मिल रही हैं। कुछ कॉलेज विद्यार्थियों को "फ्लोट" से जुड़ी भ्रामक जानकारी देकर पहले राउंड में मिले कॉलेज में ही प्रवेश लेने को डरा रहे हैं। दरअसल, नियमों के अनुसार पहले ऑनलाइन कैप राउंड में मिला कॉलेज यदि विद्यार्थी को पसंद नहीं आता, तो वह "फ्लोट" विकल्प चुनकर दूसरे कैप राउंड के लिए जा सकता है। लेकिन पहले कैप राउंड में जिस कॉलेज मंे विद्यार्थी को सीट मिलती है, वहां उसका प्रोविजनल प्रवेश माना जाता है। दूसरे या तीसरे राउंड में विद्यार्थी को सीट नहीं मिली, तो आखिर में वह पहले राउंड में प्राप्त कॉलेज में प्रवेश ले सकता है। लेकिन शहर के कई कॉलेज विद्यार्थियों को यह भ्रामक जानकारी दे रहे हैं कि एक बार "फ्लोट" करने पर उनका पहले राउंड के कॉलेज में प्रोविजनल प्रवेश भी रद्द हो जाएगा, बेहतर हो कि वे पहले राउंड में प्राप्त कॉलेज में ही प्रवेश ले लें। दूसरी मुख्य समस्या "फ्लोट" के इस्तेमाल पर विद्यार्थी कॉलेज की विश्वसनीयता पर निर्भर करेगा। अमूमन प्रवेश केंद्रों पर विद्यार्थी काउंटर की इस ओर खड़े होते हैं और संबंधित कॉलेज प्रतिनिधि दूसरी ओर होता है। विद्यार्थी कई बार सीधे तौर पर कंप्यूटर पर नहीं देख पाते। ऐसे में उनके मन मंे भ्रम शेष रह जाता है। साथ ही प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता भी खतरे में पड़ जाती है।
अलग अलग नियम क्यों?
भास्कर से अपनी समस्याओं का जिक्र करते हुए विद्यार्थियों और पालकों ने दलील दी कि केवल एलएलबी की प्रवेश प्रक्रिया में "फ्लोट" के यह नियम है। बीई, बी.टेक, एमबीए व अन्य पाठ्यक्रम जहां कैप राउंड से प्रवेश होते हैं, वहां विद्यार्थी सीधे तौर पर "फ्लोट" विकल्प का उपयोग कर सकते हैं, उन्हें कॉलेज पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। सीईटी सेल द्वारा अलग अलग पाठ्यक्रम के लिए अलग अलग "फ्लोट" नियमों को िवद्यार्थियों ने पक्षपाती करार दिया है। राज्य में स्टेट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल द्वारा आयोजित उच्च पाठ्यक्रमों की प्रवेश प्रक्रिया लगातार खामियां देखने को मिल रही हैं। इसका खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है। एमबीए की प्रवेश प्रक्रिया चरमराने के बाद, मेडिकल में ईडब्लूएस कोटे से जुड़ी विसंगतियों के बाद अब लॉ के विद्यार्थी भी प्रवेश प्रक्रिया की परदर्शिता पर सवाल उठा रहे है।
निजी आईटीआई को अनुदान की प्रतीक्षा
कौशल विकास कार्यक्रम केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। असल में कौशल विकास में अहम भूमिका निभा रहे निजी आईटीआई बिना अनुदान के अल्प मानधन पर चल रहे हैं। सरकारी और निजी आईटीई में प्रशिक्षण की सीटीएस योजना एक समान लागू है, लेकिन वेतन में काफी अंतर है। इस अंतर को मिटाने के लिए निजी आईटीआई कर्मचारियों का संगठन अशासकीय आईटीआई प्राचार्य व कर्मचारी संगठन की लंबे समय से लड़ाई जारी है। आश्वासनों की खैरात मिलती रही, लेकिन अमल नहीं होने से अनुदान के लिए कब तक प्रतीक्षा करनी होगी, यह सवाल निजी आईटीई संगठन ने सरकार से किया है। स्व. गोपीनाथ मुंडे के उपमुख्यमंत्री रहते जाधव समिति गठित की गई थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में अनुदान देने की सरकार से सिफारिश की थी। हाईकोर्ट के औरंगाबाद खंडपीठ में सरकार ने प्रतिज्ञा-पत्र पेश किया था, जिसमें अनुदान का मामला विचाराधीन रहने का कबूल किया था। मानसून सत्र 2018 में विधान परिषद सभापति की उपस्थिति में हुई बैठक में 86.33 करोड़ अनुदान का प्रस्ताव दो महीने में कैबिनेट की बैठक में रखने का निर्णय लिया गया। इसके बावजूद अभी तक अनुदान लागू नहीं हुआ है। विधानसभा चुनाव से पहले निर्णय लेकर सरकार से आश्वासन की पूर्तता करने की संगठन ने मांग की है।
ऑटो चालकों ने पुलिस आयुक्त को समस्याओं से कराया अवगत
इसके अलावा ऑटो और मिनी ट्रक चालकों की समस्या को लेकर मंगलवार को कांग्रेस की ओर से पुलिस आयुक्त कार्यालय में पुलिस आयुक्त डा. भूषणकुमार उपाध्याय से मुलाकात कर निवेदन सौंपा गया। निवेदन में बताया गया कि, लोडिंग आॅटो व मिनी ट्रक पर मनमानी ढंग से चालान कार्यवाही की जा रही है। लोडिंग गाड़ी का अभी 1000 रुपए का चालान बनाया जा रहा है, जो पहले धारा 229, 177 के तहत 200 रुपए था। उसी प्रकार आरटीओ द्वारा पीली चिट्ठी पहले 200 से 400 रुपए लगाई जाती थी, अभी दो हजार कर दी गई। इससे ऑटो चालकों का जीवनयापन करना मुश्किल होने लगा है। पुलिस आयुक्त ने दो ऑटो चालक और एक मिनी ट्रक चालक को वसीम खान के साथ बुलाया समस्या सुनकर तुरंत वायरलेस व डीसीपी को फोन करने का आदेश दिया कि लोडिंग ऑटो और मिनी ट्रक चालकों को वेबजह परेशान न करें। इस अवसर पर वसीम खान, गोपाल पट्टम, नावेद शेख, रयाज अली, जावेद, गणेश चांदेकर, सुनील, राजू पौनिकर सहित बड़ी संख्या में ऑटो व मिनी ट्रक चालक उपस्थित थे।
नरखेड़ में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा जलालखेड़ा में धरना आंदोलन
उधर नरखेड़ में सरकार की जनहित की योजनाओं का लाभ मिलने के लिए हमेशा होने वाली तकलीफ से निजात पाने जलालखेड़ा की श्रीराम युवा सेना तथा महिला ग्राम संघ की ओर से स्थानीय भारतीय स्टेट बैंक की जलालखेड़ा शाखा पर मोर्चा निकालकर बैंक में ही धरना आंदोलन किया। सोमवार को दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक चले आंदोलन के आयोजकों ने बताया कि, यहां की बैंक शाखा में किसान, विद्यार्थी, महिला बचत गुट तथा युवाओं को किसी भी काम के लिए बैंक के चक्कर लगाने पड़ते थे। फिर भी कोई काम नहीं होता था। जिससे सभी परेशान हो गए थे। किसानों की फसल बीमा के साथ अन्य सरकारी योजना, पासबुक में इंट्री, महिला बचत समूह के प्रलंबित काम, लिंक फेल, एटीएम की समस्या को लेकर धरना आंदोलन हुआ। बताया गया कि, किसान फसल बीमा के चेक चार महीने में जमा हुए थे लेकिन, बैंक की लापरवाही के चलते चेक की राशि बुआई के काम नहीं आई। जिसे तहसीलदार द्वारा भेजी गई सूची में गलती होने की बात कही गई। इसके अलावा फसल कर्ज, किसान सम्मान निधि को लेकर बैंक प्रबंधक के अभद्र व्यवहार से आंदोलक में गुस्सा निर्माण हो गया। कोई अप्रिय घटना न हो इस लिए पुलिस को भी बुलाया गया था। पुलिस निरीक्षक दीपक डेकाटे, उपपुलिस निरीक्षक राज सोनोने, पुलिस सिपाही अरविंद जाधव, चेतन राठौड़ ने हस्तक्षेप कर आंदोलनकारियों को शांत किया। आंदोलन में महिला बचत गुट की नंदनवार नामक महिला ने पुलिस के समक्ष आरोप लगाते हुए कहा कि, बैंक प्रबंधक ने कहा था कि, तेरा काम नहीं होता तू अपने गले में छूरा मार ले। आंदोलक ने यह भी बताया कि, निशा सावरकर नामक मूकबधिर के कर्ज मांगने पर तेरा कोई व्यापार नहीं है तुझे कर्ज नहीं मिलेगा यह बात प्रबंधक ने कही थी। जो अशोभनीय है। इस बैंक शाखा में कर्मचारियों की संख्या कम होने की बात भी कही गई। मोर्चा तथा धरना आंदोलन में श्रीराम युवा सेना के जिलाध्यक्ष मयूर दंढारे, महिला बचत गुट की अध्यक्ष सुषमा राऊत, राम सैनिक पवन कलंबे, नितीन बोबडे, उमेश बनाईत, ग्राम संघ के अध्यक्ष एकता पांडे, वंदना ठाकुर, जया कोचे, अनिता कलंबे, सुजाता कुंभारे, शोभा देशमुख, मोना महल्ले, चंदा निकोसे, नजबुन पठान, शिंकू मिश्रा, नंदा बोकड़े, सुनीता मोहनकर, मंगेश मानकर, प्रफुल्ल नारनवरे, गीतेश पाटील के साथ महिला बचत गुट तथा ग्राम संघ के सैकड़ों महिला, पुरुष शामिल थे।
Created On :   21 Aug 2019 6:28 PM IST