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पढ़ाई के लिए गांव से शहर में आने लगे छात्र-छात्राएं...लेकिन रहने का ठिकाना नही

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पिछले दो सालों से संक्रमण के चलते सरकारी स्कूलों की पढ़ाई ठप पड़ी है। लंबे इंतजार के बाद शासन ने नवमीं से लेकर बारहवीं तक के बच्चों के लिए स्कूल खोलने के आदेश जारी कर दिए, लेकिन सरकारी हॉस्टलों को लेकर अभी तक कोई आदेश नहीं आए हैं। अब गांव से शहर आकर पढ़ाई करने वाले सैकड़ों बच्चे असमंजस में है। स्थिति ऐसी नहीं है कि वे मकानों का महंगा किराया देकर अपनी पढ़ाई नियमित कर सकें, वहीं दूसरी ओर शासन फिलहाल हॉस्टल खोलने को तैयार नहीं है।जिले में सात हजार बच्चे ऐसे हैं जो जनजातीय कार्य विभाग के हॉस्टलों में पढकऱ अपना भविष्य संवारते हैं। साल दर साल ये आंकड़ा और बढ़ते जा रहा है। मार्च 2019 के लॉक डाउन के बाद सरकारी हॉस्टलोंं को बंद किया गया तो दोबारा खोला नहीं गया। अब पूरे दो सालों के बाद नवमीं और ग्यारहवीं के बच्चों को शिफ्ट के मुताबिक पढ़ाई करने के आदेश जारी हुए हैं, लेकिन हॉस्टलोंं को लेकर अभी तक शासन ने कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। जिले के हर्रई, अमरवाड़ा, तामिया, जुन्नारदेव और बिछुआ जैसे आदिवासी अंचल से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं हॉस्टलों में रहकर पढ़ाई करती है। हॉस्टल न खुलने से ये कक्षाएं भी नहीं लगा पा रही है।
कन्या परिसर और एकलव्य विद्यालय को लेकर अजब आदेश
जिले के कन्या परिसर और एकलव्य विद्यालयों को लेकर शासन ने अजब आदेश जारी किए हंै। 50 प्रतिशत क्षमता के मुताबिक छात्रावासों का संचालन करने के निर्देश दिए गए हैं। मतलब साफ है कि एक दिन जो बच्चा हॉस्टल में रहेगा, दूसरे दिन वह हॉस्टल में नहीं रह पाएगा। अब अधिकारी भी असमंजस में है कि दूर दराज के क्षेत्र से आकर इन छात्रावासों में रहने वाले बच्चों को 50-50 में कैसे विभाजित करें।
नहीं आ रहा आवास सहायता का बजट
पिछले दो सालों से आवास सहायता का बजट भी शासन स्तर से जारी नहीं किया गया है। शासन द्वारा किराये के मकानों में रहने वाले विद्यार्थियों को सहायता के रूप में जिला मुख्यालय में दो हजार और विकासखंड मुख्यालय में एक हजार की राशि दी जाती है लेकिन ये फंड भी फिलहाल नहीं आ पा रहा है।
6855 सीटें है जिले में
जिले के 126 एससी, एसटी व ओबीसी छात्रावासों में 6855 सीटें छात्र और छात्राओं के लिए हैं। जो हर साल शत-प्रतिशत भर जाती है। दो सालों से संक्रमण के चलते प्रवेश प्रक्रिया बंद पड़ी थी। इस साल स्कूल खुलने के बाद फिर से प्रवेश प्रक्रिया ओपन हो सकती है।
हॉस्टलों के संचालन के पहले ये भी है दिक्कतें
- दो सालों से हॉस्टलों में बच्चों को एडमिशन नहीं दिया गया है। शासन के आदेश पर जिले के अधिकांश हॉस्टलों को क्वारेंटाइन सेंटर बना दिया गया था।
- पिछले दिनों ही जनजातीय कार्य विभाग के अधिकारियों ने सूची तैयार की थी, जिसमें 85 हॉस्टल ऐसे मिले थे। जहां सुधार की सख्त जरुरत थी।
- हॉस्टलों में रजाई गद्दा, पलंग, खेल सामग्री सहित अन्य सामानों की दो सालों से खरीदी नहीं हुई है। सामान खराब हो चुके हैं। शासन बजट देने के लिए तैयार नहीं है।
जिले में हॉस्टलों की स्थिति
33 अनसुचित जाति के
91 अनसुचित जनजाति के
02 अन्य पिछड़ा वर्ग के
126 हॉस्टल है जिले में
इनका कहना है...
- हॉस्टलों के संचालन के अभी तक कोई निर्देश नहीं आए है। सिर्फ एकलव्य और कन्या परिसर में 50 प्रतिशत क्षमता के साथ संचालन करने के लिए निर्देशित किया गया है।
एनएस बरकड़े-सहायक आयुक्त, ट्रायबल डिपार्टमेंट
Created On :   17 Aug 2021 5:25 PM IST