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प्रशासन और सत्ता का ऐसा संरक्षण: माफिया मर्जी से निकालने लगे बीसापुर खदान से रेत

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। रेत को लेकर जिले में जारी माफियाराज ने नियमों को दरकिनार कर दिया है। रेत कारोबारियों पर प्रशासन और सत्ता का संरक्षण इस कदर हावी है कि बिना सरकारी प्रक्रिया पूर्ण किए ही रेत खदानों का संचालन शुरू कर दिया गया है। ताजा मामला बीसापुर रेत खदान का है। जहां से बड़े पैमाने पर रेत निकाली जा रही है, लेकिन सबसे चांैकाने वाली बात ये है कि बीसापुर रेत खदान खनिज विभाग के दस्तावेजों में अकार्यशील मतलब वर्तमान में संचालित नहीं हो रही है।
सौंसर के रेत माफियाओं ने जिले की नदियों को खोखला कर दिया है। जहां मर्जी वहां से रेत निकाल रहे हैं। न सीमाओं का ध्यान है और न ही रेत कारोबारी नियमों को मानने के लिए तैयार हैं। खनिज निगम के द्वारा पिछले दिनों 58 रेत खदानों की नीलामी की गई थी। जिसमें से अधिकांश खदानें 1 अप्रैल 2022 से नए रेत ठेकेदारों को हैंडओवर की जानी हैं, उसके बाद रेत ठेकेदार आगे की प्रशासकीय स्वीकृतियों को लेने के बाद भी यहां खनन कार्य शुरू कर सकते हैं, लेकिन बीसापुर रेत खदान को बिना किसी मंजूरी के शुरू कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि रोजाना 100 से ज्यादा ट्रैक्टर रेत यहां निकाली जा रही है। खनिज विभाग के अधिकारी खुद कह रहे हैं कि उक्त रेत खदान वर्तमान में बंद है, लेकिन हकीकत में यहां बेतहाशा रेत का खनन किया जा रहा है।
मंगलवार को 16 से ज्यादा ट्रैक्टर कर रहे थे खनन
बीसापुर खदान में मंगलवार को 16 से ज्यादा ट्रैक्टर खनन कार्य मेें लगे थे। बकायदा बड़ी संख्या में मजदूरों को लगाकर यहां रेत का उत्खनन किया जा रहा था। खुलेआम हो रहे इस खनन में रेत माफियाओं को प्रशासन का डर बिल्कुल नहीं था। खनिज विभाग के मुताबिक ये खदान मेसर्स शिशिर खण्डार को आवंटित की गई है।
ई-रॉयल्टी की जगह दे रहे पर्ची
रेत के अवैध खनन को रोकने के लिए ई-रॉयल्टी अनिवार्य कर दी गई है, लेकिन यहां इस नियम को भी दरकिनार कर दिया गया है। ई-रॉयल्टी की जगह यहां पर्ची चलाई जा रही है। पूरे ट्रैक्टरों में इसी फर्जी पर्ची के आधार पर रेत का परिवहन किया जा रहा है।
8 खदाने हैं जिले में अकार्यशील
जिले में आठ खदानें ऐसी हैं जो खनिज विभाग के दस्तावेजों में अकार्यशील है। इनमें सौंसर की बारादेवी खापा, परतापुर, चंदनगांव, बीसापुर, धनखुदरा, बेलगांव, लोहांगी और बिंदरई शामिल है। सरकारी दस्तावेजों में भले ही ये अकार्यशील हो, लेकिन हकीकत में यहां से बराबर रेत का खनन हो रहा है।
खनिज विभाग को भी नहीं दे रहे दस्तावेज
मप्र खनिज निगम के माध्यम से इन खदानों का ऑनलाइन टेंडर हुआ था। सभी कागजी प्रक्रियाओं को पूर्ण कर और सभी विभागों की अनुमति लेने के बाद रेत ठेकेदार को खनिज निगम के अलावा जिला खनिज विभाग में भी अनुमतियों से संबंधित दस्तावेज देने पड़ते हैं, लेकिन जिले के रेत कारोबारी खनिज विभाग को ही दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
ऐसे चल रहा है रेत का खेल...
जिले में 8 खदानें अकार्यशील बताई जा रही हैं, लेकिन हकीकत में इन्हीं खदानों से रेत निकालकर इसे सप्लाई किया जा रहा है। कार्रवाई से बचने के लिए ई-रॉयल्टी उन रेत खदानों की जारी की जा रही है। जो खदानें वर्तमान में संचालित हंै, लेकिन असल में रेत का बड़ा खनन इन्हीं बंद खदानों से किया जा रहा है।
इनका कहना है...
॥खनिज विभाग के पास मौजूद जानकारी के मुताबिक बीसापुर खदान वर्तमान में अकार्यशील है। जिसका संचालन नहीं हो रहा है। यदि यहां से रेत निकाली जा रही है तो इसकी जांच करवाएंगे।
-मनीष पालेवार, जिला खनिज अधिकारी
Created On :   12 April 2022 11:42 PM IST