मेडिकल छात्र को राहत, कहा - विकलांगता के कारण स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम से नहीं रखे वंचित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मेडिकल एक छात्र को राहत दी है, जिसे दुर्घटना के कारण उसकी विकलांगता का हवाला देते हुए एक मेडिकल कॉलेज ने उसे पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में प्रवेश देने से इंकार कर दिया था। जस्टिस एल नागेश्वर और जस्टिस बी आर गवई ने चिन्मय पार्थसारथी भट्टाचार्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जब एमबीबीएस अंतिम वर्ष में थे तब उनका एक्सीडेंट हो गया, लेकिन फिर भी उन्होंने यह कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया है। विकलांगता के कारण उसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम से वंचित नहीं किया जा सकता।
याचिकाकर्ता महाराष्ट्र के एक मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के अंतिम वर्ष होने के दौरान एक सड़क दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवाया था। बावजूद इसके उन्होंने अपना एमबीबीएस का पाठ्यक्रम पूरा कर लिया और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (एमडी) के लिए आवेदन किया। 2021-22 में उन्होंने नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा दी और 290 अंक प्राप्त किए। प्रवेश के लिए वह सामान्य-विकलांग व्यक्तियों की श्रेणी के तहत पात्र बने। दिल्ली के मौलाना मेडिकल कॉलेज ने इस श्रेणी के तहत अखिल भारतीय कोटा सीट पर प्रवेश दिया, लेकिन अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा जारी विकलांगता प्रमाणपत्र को देखते हुए उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।
याचिकाकर्ता ने पीठ के समक्ष कहा कि उन्होंने अपनी विकलांगता को देखते हुए एमडी (मेडिसिन) में प्रवेश लेने का एक सचेत विकल्प चुना था। जवाब में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने दलील रखी कि उसे स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश नहीं दिया जा सकता, क्योंकि विकलांगता एक डॉक्टर के रूप में उसके कर्तव्यों को निभाने के रास्ते में आ सकती है। पीठ ने इस अजीबोगरीब दलील को खारिज करते हुए उसे एमडी में प्रवेश दिए जाने के आदेश दिए।
Created On :   11 March 2022 9:36 PM IST