सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से किया इंकार, दो सप्ताह में सरकार से जवाब तलब

Supreme Court refuses to ban Maratha reservation
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से किया इंकार, दो सप्ताह में सरकार से जवाब तलब
सुप्रीम कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर रोक लगाने से किया इंकार, दो सप्ताह में सरकार से जवाब तलब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मराठा समुदाय को दिए गए आरक्षण को वैध ठहराने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मराठा को शिक्षा और नौकरियों में दिए गए आरक्षण को पूर्व प्रभावी तौर पर लागू नही किया जाएगा। इसके साथ ही अदालत ने मामले की गंभीरता को ध्यान में लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब भी मांगा है। गौरतलब है कि राज्य सरकार मराठा समुदाय को शैक्षणिक संस्थानों और नौकरियों में सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़ा वर्ग श्रेणी के तहत 16 फीसदी आरक्षण दिया है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण को बरकरार रखा है। एक एनजीओ तथा डॉ जयश्री पाटील ने हाईकोर्ट के इस फैसले के सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50 फीसदी कैप का उल्लंघन हुआ है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मराठा आरक्षण कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नही लगाई, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि मराठा समुदाय को 2014 से पूर्व प्रभावी तौर पर आरक्षण देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के पहलू को लागू नही किया जाएगा। शीर्ष अदालत ने इस मसले की गंभीरता और हाईकोर्ट के पूरे फैसले पर गौर करने के लिए मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए मुल्तवी कर दी। साथ ही राज्य सरकार को एक नोटिस भी जारी कर उनसे जवाब तलब किया है।

राज्य सरकार के अधिवक्ता निशांत कातनेश्वरकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मराठा को शिक्षा और नौकरियों में दिए गए आरक्षण को पूर्व प्रभावी तौर पर लागू नही करने की बात कहीं है, लेकिन इससे आरक्षण की प्रक्रिया बाधित नही होगी। क्योंकि  अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नही लगाई है। लिहाजा मराठा आरक्षण कानून लागू होने के बाद जो प्रक्रिया चली है वह वैसे ही शुरु रहेगी। कोर्ट ने ही कहा है कि मराठा आरक्षण लागू होने के पहले आरक्षण दिया होगा वह लागू नही होगा। दूसरी ओर एनजीओं की ओर से दलील पेश करने वाले अधिवक्ता गुणरत्न सदावर्ते ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की गंभीरता को ध्यान में लेते हुए इस की सुनवाई दो सप्ताह में रखी है। सदावर्ते ने शिक्षा और नौकरियों में दिए गए आरक्षण को पूर्व प्रभावी तौर पर लागू नही करने की बात पर कहा कि राज्य सरकार आज से पहले यानी 2014 के पहले लिए गए फैसले पर तथा अगले दो सप्ताह तर कुछ नही कर सकेगी। 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में फैलाई जा रही है गलत जानकारी- तावडे 

उधर मुंबई में उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने कहा कि मराठा आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में कुछ लोग जानबूझकर गलत जानकारी फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने मराठा आरक्षण कानून के अनुसार 12 प्रतिशत शिक्षा और 13 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने का फैसला किया है। इस फैसले पर स्टे देने की मांग याचिकाकर्ता की ओर से की गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि हाईकोर्ट के फैसले की प्रति को पूरा पढ़े बिना स्टे नहीं दिया जा सकता है। तावडे ने कहा कि मराठा आरक्षण पर दो सप्ताह के बाद सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई होगी। इस दौरान सरकार अपनी भूमिका अदालत के सामने रखेगी। तावडे ने कहा कि राज्य सरकार की मेगाभर्ती मेगाभर्ती शुरू रहेगी।

Created On :   12 July 2019 4:52 PM GMT

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