सेरोगसी रैकेट के राज्यों से जुड़े हैं तार, अधिकारियों की भी मिलीभगत

Surrogacy racket is now taking interstate form, many officials are involved
सेरोगसी रैकेट के राज्यों से जुड़े हैं तार, अधिकारियों की भी मिलीभगत
सेरोगसी रैकेट के राज्यों से जुड़े हैं तार, अधिकारियों की भी मिलीभगत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ‘सरोगेट मदर’ के नाम पर महिलाओं के साथ धोखाधड़ी का मामला अंतरराज्यीय शक्ल लेता जा रहा है। अब इसके कई राज्यों के बड़े शहरों से तार जुड़ने लगे हैं। नागपुर के सरोगेसी सेंटरों में भोपाल और हैदराबाद की महिलाएं ही नहीं, कई युवतियां भी आ चुकी हैं। पैसे कमाने की लालच में वे पहुंचीं तो जरूर, पर बुरी तरह से ठगी गईं। यह बात और है कि पूरी बात सामने आई नहीं। कभी दलालों के चंगुल में फंसी तो कभी डाक्टरों के, यहां तक कि जान तक जोखिम में डालनी पड़ी। 

गरीब महिलाएं व युवतियां रहती थी निशाने पर
झोपड़पट्टी में रहने वाली महिलाएं विशेष रूप से निशाने पर रहीं। कम पढ़ी-लिखी औरतों और युवतियों को ‘गिरोह’ कम समय में 4 लाख रुपए कमाने का लालच देकर सरोगेट मदर बनने के लिए राजी कर लेता था। राजी होने पर संबंधित महिला या युवती से 2.50 लाख रुपए के कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर कराया जाता था। फिर उसे सरोगेसी सेंटर में 9 महीने तक रखा जाता था। इस दौरान कोई महिला घर या परिजनों से मिलने की जिद करती थी तो उसे दिए गए रुपए वापस लौटाने के बाद ही जाने की बात की जाती थी। जरूरतों के आगे उनकी जिद छोटी पड़ जाती थी और फिर वे मन मसोस कर रह जाती थीं। 

हर्षा मुंदड़ा खुद सरोगेट मदर
सूत्रों के अनुसार, नागपुर के इस ‘सरोगेसी रैकेट’ के तार विदेश तक जुड़े होने के कयास हैं। नंदनवन थाने में बयान देने पहुंची कुछ सरोगेसी पीड़ित महिलाओं ने बताया कि आरोपी मनीष मुंदड़ा की पत्नी हर्षा मुंदड़ा खुद सरोगेट मदर है। वह पति के साथ मिलकर इस गिरोह को चला रही थी। मनीष मुंदड़ा ने कुछ महिलाओं के पासपोर्ट भी बना लिए थे और वह उन्हें दुबई भेजने की तैयारी में था। मगर, उसके पहले ही उसके और उससे जुड़े डॉक्टर डॉ. चैतन्य शेंबेकर (देवनगर), डा. लक्ष्मी श्रीखंडे (धंतोली), डा. दर्शना पवार (रविनगर चौक), डॉ. वर्षा ढवले (छत्रपति नगर निवासी) के काले कारनामे सामने आ गए।

पुलिस के सामने ‘हड्डी’ डालता हूं
कुछ पीड़ित महिलाएं कुछ समय पहले नंदनवन थाने में ‘सरोगेसी रैकेट’ के खिलाफ शिकायत करने गई थीं, लेकिन उस समय तत्कालीन पुलिस निरीक्षक ने उन्हें थाने से डपटकर भगा दिया था। मनीष मुंदड़ा को जब यह बात पता चली तो उसने साफ कहा कि पुलिस के सामने हड्डी (नोटों की गड्डी) डालता हूं, पुलिस मेरे खिलाफ कुछ नहीं करेगी। 

कई डाक्टर भी लपेटे में
सूत्रों के अनुसार, इस प्रकरण में कुछ राजनेता के करीबी डॉक्टर भी लपेटे में आए हैं। कहा जा रहा है कि पुलिस पर दबाव बनने लगा है। पीड़ित महिलाओं को सोमवार को नंदनवन थाने में सुबह से बयान के लिए बुलाकर रखा गया था। उनका बयान तक नहीं लिया गया। इन पीड़ित महिलाओं में कुछ के पास तो थाने में आने के लिए किराया तक नहीं था। उन्हें बयान के लिए सुबह से थाने में बुलाकर भूखे प्यासे बैठा दिया गया। 

कई रसूखदारों ने किराए पर ली कोख  
सरोगेट महिला आरती (परिवर्तित नाम) ने बताया कि सरोगेसी सेंटर से वायुसेना व इनकम टैक्स विभाग के अधिकारी भी उसकी कोख किराए पर लिया और फिर बच्चा लेकर चलते बने। आरती ने जब वायुसेना के अधिकारी से संपर्क किया और उनसे बताया कि उसे पूरे पैसे नहीं मिले तब उस अधिकारी ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि उसकी उनसे कोई बात ही नहीं हुई थी। वह एजेंट और डॉक्टर को पैसे दे चुके हैं।

डॉक्टर से पैसे मांगने पर वह कहते हैं कि जब बच्चे को ग्राहकों के हवाले किया तब पैसे क्यों नहीं मांगे। इन पीड़ित महिलाओं में ज्यादातर कम पढ़ी-लिखी हैं। उन्हें मनीष मुंदड़ा और उसकी पत्नी हर्षा पर पूरा भरोसा था कि वह उन्हें पैसे दिलवाएंगे। 

जानें, सरोगेट मदर से जुड़े कानूनी तथ्य
सरोगेट मदर का सीधे शब्दों में अर्थ ‘किराए की कोख’ होता है। नि:संतान महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु की प्रक्रिया कर भ्रूण को सरोगेट महिला की कोख में रखते हैं जो बच्चे को जन्म देती है। इसके लिए दंपति किराए पर कोख देने वाली महिला को अनुबंध के हिसाब से भुगतान करते हैं। इसके अतिरिक्त अनुबंध में शर्तों का पालन किया जाता है। नियमों का पालन न करने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान है।

ICMR से लेनी पड़ती है अनुमति
सरोगेसी कुछ विशेष एजेंसियों द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है, जिसको इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के नियमों का पालन करना पड़ता है। इसमें बनाए गए अनुबंध में दो अजनबियों के हस्ताक्षर करवाए जाते हैं, जो कभी नहीं मिले हों। वह सरोगेट परिवार का सदस्य या दोस्त भी हो सकता है।

इन बातों पर जरूर ध्यान दें

तीन बार विफल होने पर प्रयास नहीं करते
सेरोगेट मदर में सामान्यत: देखने में आया है कि यदि तीन बार किसी महिला की कोख में गर्भ नहीं ठहरता है तो उसके बाद प्रयास नहीं किया जाता है। लेकिन नागपुर में हुए फर्जीवाड़े में सामने आया कि एक महिला को पिछले 4 साल से लगातार सेरोगेट मदर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

नार्मल डिलीवरी ही होती है
सरोगेट मदर एक आम गर्भवती महिला होती है और उसका प्रसव सामान्य ही करवाया जाता है, लेकिन फर्जीवाड़े के बाद खुलासा हुआ कि सीजेरियन ऑपरेशन कर सरोगेट मदर का प्रसव करवाया गया है।

अनुबंध के अनुसार होता है निवास तय
सरोगेट मदर के साथ अनुबंध के हिसाब से गर्भधारण के दौरान उनका आवास तय होता है कि वह कहां रहेगी। यदि अनुबंध में महिला अपने घर रहना चाहती है तो वह रह सकती है, सिर्फ उसका खान-पान और सुविधाएं वहां मौजूद हों इस बात का ध्यान दिया जाता है। इस दौरान परिजनों से मिलने के लिए बहुत ज्यादा पाबंदी नहीं होती है। लेकिन फर्जीवाड़े के खुलासे में महिलाओं ने बताया कि उन्हें 9 माह तक सेंटर पर रखा गया और परिजनों से बाद करने पर भी बंदिश लगी हुई थी।
 

Created On :   31 July 2018 6:04 AM GMT

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