'पैडमैन' से कम नहीं इनकी कहानी, सैनिटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता मुहिम में जुटीं

Sushma is campaigning  for sanitary napkins, similar to Paddman
'पैडमैन' से कम नहीं इनकी कहानी, सैनिटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता मुहिम में जुटीं
'पैडमैन' से कम नहीं इनकी कहानी, सैनिटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता मुहिम में जुटीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वंदना सोनी। सैनिटरी नैपकिन के प्रति जागरूकता के लिए जानी जाने वाली फिल्म "पैडमैन" से मिलती जुलती कहानी नागपुर की सुषमा की है। देश की आधी से ज्यादा लड़कियां सिर्फ अज्ञानता और गरीबी के कारण पैड्स का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। वह अपनी समस्याओं के बारे में भी किसी को खुलकर नहीं बतातीं। ये सब जानने के बाद स्कूल की लड़कियों को सस्ता माध्यम उपलब्ध कराने की मुहिम सुषमा मानकर ने चला रखी है।  उन्होंने कहा कि सैनिटरी नैपकिन बनाने के वक्त सबसे पहली बात ध्यान में यह आई कि उत्पाद  बेहतर हो, हाइजिन में अच्छा हो। पैडमैन मूवी तो अभी आई है। हम पिछले दो वर्ष से यह काम कर रहे हैं।

ऐसे बढ़े आगे
हमारे यहां कोई गेस्ट आता था तो हम बोलते थे कि हमारी स्कूल की लड़कियां पीरियड के दौरान  कपड़े यूज करती हैं, हमें सैनिटरी पैड वेडिंग मशीन चाहिए। करीब दो वर्ष पहले हमारे स्कूल में डॉ. चैतन्य शेबेकर आए और अपने जन्मदिन पर उन्होंने सैनिटरी पैड वेडिंग मशीन दी। इसमें स्कूल लड़कियां 5 रुपए डालकर पैड ले सकती हैं। वे अपनी मां-बहनों के लिए भी पैड ले सकती हैं।

ऐसी है टीम
शिक्षिका सुषमा मानक विकास नगर स्थित हिंदी माध्यमिक स्कूल में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि हमारी टीम हेल्थ एजुकेशन सेल चलाती है। इसमें स्कूल की लड़कियों को पर्सनल हाइजिन की जानकारी दी जाती है। उनकी डाइट, हाइजिन, गारमेंट के बारे में बताते हैं कि उन्हें क्या यूज करना चाहिए।

डिस्पोजेबल पैड मशीन मांगी है
पैड वेडिंग मशीन तो मिल गई, लेकिन लड़कियां पैड कहीं भी फेंक देती हैं, इसलिए डिस्पोजेबल पैड मशीन भी होनी चाहिए। पर्यावरण को नुकसान न हो, इसके ये मशीन भी जरूरी है। हमें उम्मीद हैं कि ये मशीन हमेंं आज मिल जाएगी।

यह है उद्देश्य
आर्थिक अभाव में पलीं-बढ़ीं लड़कियों को सैनिटरी पैड सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाना हमारा उद्देश्य है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए हम शनिवार को सेल लगाते हैं। इसमें एक बार में 4 पैड निकलते हैं।

लड़कों को भी देते हैं शिक्षा
हम लड़कों को भी बताते हें कि उनकी मां-बहनों को हर माह कुछ दिनों की तकलीफ रहती है। उस समय उनकी मदद करनी चाहिए।

गरीब महिलाओं को भी गिफ्ट करेंगे
गरीब महिलाओं और घरों में काम करने वाली बाई को भी हम लोग सैनिटरी पैड गिफ्ट करने का सोच रहे है। ये काम भी जल्द ही शुरू करने वाले हैं।

Created On :   8 March 2018 2:52 PM IST

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