तानाजी बने रहेंगे मनपा विपक्ष नेता,महाकालकर की याचिका खारिज

Tanaji Vanve will be leader of Municipal Corporation opposition
तानाजी बने रहेंगे मनपा विपक्ष नेता,महाकालकर की याचिका खारिज
तानाजी बने रहेंगे मनपा विपक्ष नेता,महाकालकर की याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क,नागपुर। नागपुर महानगरपालिका के विपक्ष के नेता तानाजी वनवे ही होंगे। हाईकोर्ट ने विभागीय आयुक्त के फैसले पर अपनी भी मुहर लगा दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि संजय महाकालकर यह साबित नहीं कर सके हैं कि तानाजी वनवे की विपक्षी नेता के तौर पर नियुक्ति अवैध क्यों है? 

गौरतलब है कि 23 फरवरी को हुए मनपा चुनावों में भाजपा बहुमत से मनपा की सत्ता में आई थी। इधर, विपक्ष में बैठने वाली कांग्रेस में अपने विपक्षी नेता के चयन पर ही दो धड़े हो गए थे। एक ओर जहां कांग्रेस पार्टी ने नगर सेवक संजय महाकालकर को विपक्षी नेता नियुक्त किया था, तो वहीं कांग्रेस के ही अन्य नगर सेवक तानाजी वनवे ने अन्य नगर सेवकों के सहयोग से खुद का बहुमत साबित कर विपक्षी नेता की कमान अपने हाथों में ले ली थी। विभागीय आयुक्त ने भी वनवे को ही विपक्षी नेता माना था, जिसके बाद संजय महाकालकर ने नागपुर खंडपीठ की शरण ली थी।   

क्या था विवाद ?
फरवरी में नागपुर में हुए मनपा चुनावों में कांग्रेस पक्ष के 29 नगर सेवक चुनकर आए थे। कांग्रेस ने संजय महाकालकर को विपक्षी दल का नेता नियुक्त किया था। संगठन में प्रतिपक्ष नेता को लेकर अंतर्विवाद चल रहा था। विभागीय आयुक्त को 16 नगर सेवकों ने समर्थन पत्र भेजकर तानाजी वनवे को प्रतिपक्ष नेता बनाने की मांग की थी। बाद में प्रतिपक्ष नेता के रूप में संजय महाकालकर की नियुक्ति को 19 मई को खारिज किया था। महाकालकर ने अपनी याचिका में दावा किया है कि मनपा में मनोनीत सदस्य के लिए कांग्रेस ने 18 मई को ही नामांकन कर लिया था। जब यह नामांकन हुआ, तब वे विपक्षी दल के नेता थे। ऐसे में उन्होंने जो नियुक्ति की है, उसे ही वैध नियुक्ति मानना चाहिए। 

महाकालकर ने अपने निलंबन को अवैध बताकर दावा किया कि तानाजी वनवे की प्रतिपक्ष नेता में हुई नियुक्ति नियमों के खिलाफ है। महाकालकर ने विभागीय आयुक्त पर भी आरोप लगाते हुए कहा था कि महाकालकर निलंबन के बाद उनका पक्ष सुनने की जरूरत नहीं समझी। कांग्रेस पार्टी ने भी विभागीय आयुक्त को अपना पक्ष सुनाने की अपील की थी, जो उन्होंने ठुकरा दी। तानाजी वनवे की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील मनोहर ने दलील दी थी कि नगर सेवक संजय महाकालकर मान्यता प्राप्त विपक्ष नेता नहीं थे। उनकी नियुक्ति को महापौर से किसी तरह की मंजूरी नहीं दी गई और न ही उनके विपक्षी नेता के रूप में मान्यता का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध है।

Created On :   1 Sept 2017 11:02 AM IST

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