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पुनर्मूल्यांकन के लिए नहीं पहुंचे शिक्षक, PG में प्रवेश से चूक सकते हैं स्टूडेंट्स

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आए दिन विवादों में रहने वाले यूनिवर्सिटी में अब नया विवाद सामने आ रहा है। वैसे तो नागपुर यूनिवर्सिटी तो अपने परीक्षा परिणामों की गति ‘सुपर फास्ट’ होने का दावा करता है। मगर पुनर्मूल्यांकन के नतीजों की गति अभी भी मंद दिखा दे रही है। यही वजह है कि अनेक विद्यार्थी पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में प्रवेश से वंचित रहने की स्थिति में आ गए हैं।
मूल्यांकनकर्ता ढूंढने में परेशान हुआ यूनिवर्सिटी
बता दें कि यूनिवर्सिटी के पोस्ट ग्रेजुएट एडमिशन का आखिरी दिन था। जिन विद्यार्थियों के ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के नतीजे जारी हुए थे, उनमें से अनेकों ने परिणाम से असंतुष्टि जाहिर करते हुए पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया था। मगर इधर यूनिवर्सिटी ने 31 अगस्त तक जो पुनर्मूल्यांकन के नतीजे जारी करने का लक्ष्य रखा था, उसे पूरा नहीं कर पाया। जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी को पुनर्मूल्यांकन कार्य के लिए मूल्यांकनकर्ता ढूंढने में भारी परेशानी हुई। जिन शिक्षकों को यूनिवर्सिटी ने पुनर्मूल्यांकन के लिए आमंत्रित किया, उनमें से अनेक इसके लिए आए ही नहीं। पुनर्मूल्यांकन में सहयोग न करने वाले में साइंस फैकल्टी के प्राध्यापकों की सबसे ज्यादा संख्या रही।
महज 3 परीक्षाओं के परिणाम में 45 दिनों से अधिक का वक्त
नियमों के अनुसार, परीक्षा के परिणाम 45 दिनों के भीतर जारी होने चाहिए। ग्रीष्मकालीन परीक्षा सत्र में हुई 1280 में से 1277 परीक्षाओं के परिणाम यूनिवर्सिटी ने 45 दिनों के भीतर जारी किए हैं। महज 3 परीक्षाओं के परिणाम में 45 दिनों से अधिक का वक्त लगा है। इसमें से 1167 परीक्षाओं के परिणाम 30 दिनों के भीतर, 108 परीक्षाओं के परिणाम 31 से 45 दिनों के भीतर जारी किए गए हैं। ऐसे में अब यूनिवर्सिटी ने परीक्षा मूल्यांकन की अपनी प्रणाली को सशक्त करने का दावा किया।
असहयोग के कारण देर
यूनिवर्सिटी जल्द से जल्द पुनर्मूल्यांकन के नतीजे जारी करने की कोशिश कर रहा है। शिक्षकों से मिले असहयोग के कारण यह देर हुई है। मगर जल्द ही स्थिति को सुधार लिया जाएगा।
(डॉ.नीरज खटी, यूनिवर्सिटी परीक्षा नियंत्रक)
Created On :   7 Sept 2018 4:18 PM IST