28 फरवरी तक भरे जाएंगे शिक्षकों के रिक्त पद, शिक्षा मंत्री ने दिए आदेश

Teachers vacancy will be filled by Feb 28, orders issued by Minister
28 फरवरी तक भरे जाएंगे शिक्षकों के रिक्त पद, शिक्षा मंत्री ने दिए आदेश
28 फरवरी तक भरे जाएंगे शिक्षकों के रिक्त पद, शिक्षा मंत्री ने दिए आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में लंबे समय से लटकी पड़ी शिक्षक पदभर्ती अब जल्द ही पूरी होने वाली है। मुंबई में  विविध विश्वविद्यालयों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने 28 फरवरी तक कॉलेजों में रिक्त पदों में से 40 प्रतिशत पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति करने का आदेश दिया है। इस आदेश के अनुसार राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय और गोंडवाना विश्वविद्यालय से संलग्न करीब 150 कॉलेजों में लगभग 900 शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। इसमें नागपुर, वर्धा, गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर और गड़चिरोली जिले का समावेश है। 

निर्धारित टाइम-टेबल के अनुसार कॉलेजों को अपने यहां रिक्त पदों का आकृतिबंध 18 जनवरी तक जमा कराना है। 31 जनवरी तक विविध स्तरों से जरूरी मान्यता ली जाएगी। इसके बाद 1 से 15 फरवरी के बीच विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगवाए जाएंगे और फिर साक्षातकार के बाद नियुक्ति पूर्ण की जानी है। 

प्रदेशभर के कॉलेजों में 10 हजार पद रिक्त
बता दें कि, प्रदेश भर के कॉलजों में शिक्षकों के करीब 10 हजार पद रिक्त हैं। करीब एक माह पूर्व प्रदेश में शिक्षक पदभर्ती पर सरकार का फैसला हुआ है। इस दिशा में अध्यादेश भी जारी किया गया है, लेकिन इस घोषणा को एक वक्त हो चुका है। ऐसे में उम्मीदवारों के बीच असंतोष बढ़ता जा रहा है। विशेष रूप से क्लॉक आवर बेसिस पर नियुक्ति शिक्षकों में मानधन नहीं बढ़ने और कांट्रैक्ट या फिर स्थायी नियुक्ति नहीं मिलने से नाराजगी है। शिक्षा वर्ग से जुड़े लोगों की मानें तो चुनाव नजदीक हाेने के कारण सरकार इस नाराजगी से बचना चाहती है। ऐसे में समयबद्धता के साथ पदभर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है।

कुलगुरु काणे को हाईकोर्ट से राहत, मिश्रा को झटका
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे को राहत दी है। सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन के संचालक सुनील मिश्रा ने कुलगुरु डॉ. काणे के खिलाफ याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि, वर्ष 2011 से 2013 के बीच डॉ. काणे जब यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, तब उनकी पुत्री रामदेवबाबा कॉलेज ऑफ इंजीनयरिंग में पढ़ रही थी। मिश्रा ने इस पर आपत्ति जताई थी कि, डा. काणे परीक्षा नियंत्रक रहते उनकी बेटी के एग्जाम देने के कारण गोपनीयता से समझौता हुआ।

उन्होंने प्रश्न पत्रिका के बारे में बेटी को जानकारी देने का भी दावा किया था। यूनिवर्सिटी में हुए ऐसे ही एक अन्य प्रकरण का उदाहरण देते हुए डॉ. काणे और पुत्री से जुड़े दस्तावेज भी हासिल करने की कोशिश की गई थी। नहीं मिलने पर कुलगुरु पर दस्तावेज नष्ट करने का भी आरोप लगाया गया था। मिश्रा ने इसे मुद्दा बना कर न केवल सीताबर्डी पुलिस थाने में शिकायत की थी, बल्कि निचली अदालत में भी शिकायत और अर्जियां दायर की थी, जो निचली अदालत से खारिज हो गई थी। ऐसे में मिश्रा ने राज्यपाल से कुलगुरु की शिकायत कर उन पर कार्रवाई करने की विनती की थी। यह मुद्दा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर भी उठाया था, मगर मामले में सभी पक्षों को सुनकर कोर्ट ने मिश्रा की याचिका खारिज कर दी। उन्हें नियमानुसार संबंधित स्तर पर निवेदन सौंपने की छूट दी गई है। मामले में कुलगुरु की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल मार्डिकर और राज्यपाल की ओर से मुख्य सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी ने पक्ष रखा।

Created On :   9 Jan 2019 3:14 PM IST

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