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फर्जी कागजात के आधार पर जमीन अधिग्रहण के मिले मुआवजे की रकम हड़पने की साजिश रचनेवाला तहसीलदार फरार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ठाणे के भिवंडी इलाके में फर्जी कागजात के आधार पर जमीन अधिग्रहण के लिए मिला 11 करोड़ 66 लाख का मुआवजा हड़पने के मामले की जांच में खुलासा हुआ है कि निलंबित नायब तहसीलदार विठ्ठल गोसावी ने अपनी एक मित्र मनीषा पगारे (जाधव) के साथ मिलकर 8 किसानों का मुआवजा हड़पने की साजिश रची थी। मामले में अब तक 17 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं लेकिन मुख्य आरोपी नायब तहसीलदार फरार है। दरअसल मुंबई और वडोदरा के बीच एक एक्सप्रेस वे बन रहा है। इसी कड़ी में भिवंडी तालुका के नंदीठाणे गांव में भी राजस्व विभाग के अधिकारियों ने आठ लोगों की जमीन का अधिग्रहण किया। दस्तावेज जमा करने वालों को भिवंडी उप विभागीय कार्यालय ने भुगतान भी कर दिया। लेकिन छानबीन में पता चला कि कुछ लोगों ने फर्जी आधारकार्ड और पैन कार्ड जमा किए हैं और इन लोगों को 11 करोड़ 66 लाख रुपए का भुगतान भी कर दिया गया है। राजस्व विभाग के अधिकारियों की शिकायत के आधार पर शांतिनगर पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर मामले की छानबीन शुरू की। अब धीरे-धीरे कड़ियां जुड़ती जा रहीं हैं और एक के बाद एक 17 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
मामले में भाजपा नेता व भिवंडी पंचायत समिति के सदस्य और पूर्व सभापति गुरूनाथ जाधव और वकील प्रवीण चौधरी की भी मिली भगत सामने आ रही है। साथ ही खुलासा हुआ है कि आरोपी किसानों से मुआवजे की रकम से हिस्सा भी लेते थे। अगर कागजात ठीक हैं को 4 फीसदी रकम ली जाती थी और अगर उसमें कुछ कमी है को आरोपियों की हिस्सा बढ़कर 50 फीसदी तक पहुंच जाता था। किसानों के नाम पर हड़पे गए 11 करोड़ 66 लाख रुपए के मुआवजे में से मनीषा को पौने पांच करोड़, गोसावी को साढ़े तीन करोड़ और वकील को 31 लाख रुपए दिए गए थे। मनीषा ने एक करोड़ रुपए खुद रखे थे जबकि बाकी की रकम फर्जी किसानों और जाधव को दिया था। गोसावी को मिली रकम किन किन लोगों में बांटी गई इसका खुलासा उससे पूछताछ के बाद ही होगा। फिलहाल उसे पुलिस तलाश रही है।
Created On :   13 May 2022 9:13 PM IST