आज साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, नागपुर में मंदिरों के कपाट बंद

Temples closed due to first lunar eclipse, pooja stopped
आज साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, नागपुर में मंदिरों के कपाट बंद
आज साल का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण, नागपुर में मंदिरों के कपाट बंद

डिजिटल डेस्क.नागपुर। उपराजधानी में  साल के पहले खग्रास चंद्रग्रहण के चलते बुधवार की सुबह 8.30 बजे मंदिरों के कपाट पर बंद कर दिए। चंद्रग्रहण के 12 घंटे पहले वेद लगता है। अत: सुबह 8.30 बजे के पूर्व ही  सभी मंदिरों में पूरे विधि विधान के साथ पूजा हुई और कपाट ग्रहण काल तक बंद कर दिए गए हैं। । ग्रहण के दौरान मंदिरों में पूजा-पाठ करना पूरी तरह से वर्जित होता है। नागपुर में ग्रहण 5.58 बजे से हैै जो रात रात 8.42 बजे तक रहेगा। ग्रहण निकल जाने के बाद कपाट पुनः खोले जायेंगे। सभी मंदिरों में रात 9 बजे के बाद पूजा और आरती होगी। नागपुर के टेकड़ी गणेश मंदिर, गीता मंदिर, व्यंकटेश मंदिर, द्वारकाधीश मंदिर, पोद्दारेश्वर राम मंदिर सहित शहर के सभी मंदिरों के कपाट ग्रहणकाल के दौरान बंद रखे गए हैं। 

ग्रहणकाल में क्या करें
इस समय जप और ध्यान का सबसे ज्यादा लाभ मिलता है। चंद्र ग्रहण समाप्ति पर खिचड़ी का दान करें। साथ ही कांसे के कटोरे में एक सिक्का डालें और उसमें अपना मुंह देख उसे दान कर दें।

क्या रहेगा प्रभाव
ज्योतिष  गणना के अनुसार यह चंद्र ग्रहण कर्क और मकर राशि के जातकों पर कष्टकारी प्रभाव डालेगा। जबकि बाकी राशियों पर इसका प्रभाव कम और अच्छा होगा। पंडितों का कहना है कि चंद्र ग्रहण से व्यक्ति का मन प्रभावित होता है। चंद्र ग्रहण शुरू होते समय स्नान करना चाहिए। चंद्र ग्रहण के समय जप और ध्यान करते रहना चाहिए। 

खगोलीय घटना मानव जीवन से भी जुड़ी
चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है। इस दौरान चंद्रमा पृथ्वी से ठीक पीछे उसकी छाया में आ जाता है। ये स्थिति तब उत्पन्न होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चांद लगभग एक सीधी रेखा में आते हैं। इस खगोलीय घटना के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा के दिन घटित होता है। इस स्थिति में सूरज की रौशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती है और चांद पैनंबरा की तरफ जाता है तो वो हमें धुंधला सा दिखाई देने लगता है। पैनंबरा को ही ग्रहण कहा जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से ग्रहण एक असुर राहु के चंद्रमा को ग्रस लेने की वजह से लगता है। ज्योतिष विद्या के अनुसार माना जाता है कि ग्रहण का प्रभाव काफी लंबे समय तक रहता है और इसका प्रभाव कम करने के लिए स्नान, दान और धार्मिक कार्य करने के लिए कहा जाता है।

Created On :   31 Jan 2018 1:03 PM IST

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