नाबालिग के दुराचारियों को दस-दस साल का सश्रम कारावास

Ten years rigorous imprisonment for misdemeanors of minor
नाबालिग के दुराचारियों को दस-दस साल का सश्रम कारावास
दो प्रकरणों में जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ने सुनाई सजा नाबालिग के दुराचारियों को दस-दस साल का सश्रम कारावास

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। जिला न्यायालय के विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो एक्ट) में न्यायाधीश संध्या मनोज श्रीवास्तव ने नाबालिग से दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में सजा सुनाई है। विशेष लोक अभियोजक दिनेश उईके ने बताया कि विशेष न्यायाधीश ने दोनों प्रकरणों के आरोपियों को दोषी करार देते हुए दस-दस वर्ष के सश्रम कारावास और अर्थदंड की सजा से दंडित किया है।
नाबालिग को अकेला पाकर किया दुराचार-
चौरई थाना क्षेत्र के बीस वर्षीय युवक ने 7 जनवरी 2016 को 14 वर्षीय नाबालिग को घर पर अकेला पाकर उसके साथ दुराचार किया था। नाबालिग के विरोध करने और चिल्लाने पर आरोपी मौके से फरार हो गया था। माता-पिता के घर लौटने पर पीडि़ता ने अपने साथ हुए कृत्य की जानकारी उन्हें दी। परिजनों ने बालिका को चौरई थाने में साथ ले जाकर इसकी शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में न्यायाधीश ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 4 में दस साल का सश्रम कारावास और 5 हजार रुपए अर्थदंड, धारा 454 में 2 साल का सश्रम कारावास और दो हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।
नाबालिग को अगवा कर दुराचार-
चौरई थाना क्षेत्र के 22 वर्षीय दुर्गेश टेकाम ने 18 दिसम्बर 2015 को 16 वर्षीय एक नाबालिग को झांसा देकर अपने साथ एक मंदिर ले गया। वहां से आरोपी उसे नागपुर ले गया। 45 दिनों तक एक कमरे में कैद कर उसके साथ दुराचार की वारदात को अंजाम दिया। 5 फरवरी 2016 को नाबालिग नागपुर से आरोपी के चुंगल से निकलकर घर पहुंची और परिजनों को घटना की जानकारी दी। इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने आरोपी को पॉक्सो एक्ट की धारा 6 में दस साल के सश्रम कारावास और 5 हजार रुपए अर्थदंड, धारा 366 में 5 साल के सश्रम कारावास और 2 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है।

Created On :   23 Dec 2021 10:26 PM IST

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