सत्ता संघर्ष की सुनवाई खत्म - विश्वास मत का आदेश रद्द किया जाए, खतरे में पड़ जाएगा लोकतंत्र
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर सुप्रीम कोर्ट में चली सुनवाई आखिरकार गुरुवार को पूरी हो गई है। तीन घंटे से ज्यादा समय तक चली सुनवाई के दौरान ठाकरे गुट ने अपनी दलीलों में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को निशाने पर लिया। बुधवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के रूख के बाद ठाकरे गुट ने आज आखिरी दिन राज्यपाल के विश्वास मत के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया और कहा कि ऐसा नहीं किया गया तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा। ठाकरे गुट की ओर से कहा गया कि राज्यपाल को पार्टी के अंदरुनी मतभेदों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं है। ठाकरे गुट ने यह भी कहा कि शिंदे को उनकी बेईमानी के इनाम के तौर पर मुख्यमंत्री पद दिया गया। सुनवाई के दौरान यह भी सवाल खड़ा हुआ कि विश्वास मत से पहले इस्तीफा देने वाले उद्धव ठाकरे को फिर से मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है। ठाकरे गुट की तरफ से सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामत ने बहस की। दोनों तरफ से दलील पूरी होने के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मामले में सुनवाई पूरी हो चुकी है और हम इस पर फैसला सुरक्षित रखते हैं।
इस मामले को पहले तीन जजों की पीठ ने देखा था, जिसने बाद में इसे अगस्त 2022 में संविधान पीठ को स्थानांतरित कर दिया था। देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीए नरसिम्हा की संविधान पीठ ने मामले में कानूनी मुद्दों की एक श्रृखंला बनाकर 27 सिंतबर से सुनवाई शुरु की थी, लेकिन आगे कई बार इस पर सुनवाई टलती रही। बीते 14 फरवरी 2023 से इस पर 12 दिन सुनवाई चली और आखिरकार आज इस पर सुनवाई पूरी हो गई।
शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित करने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई टली
एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना नाम और चुनाव चिन्ह आवंटित करने के आदेश के खिलाफ ठाकरे गुट द्वारा दायर याचिका पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन यह टल गई। मामले पर सुनवाई की तारीख जल्द ही घोषित कर दी जाएगी।
देश के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ इस पर सुनवाई कर रही है। आज इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी। बुधवार को चुनाव आयोग ने ठाकरे गुट की अपील पर हलफनामा दायर करके उसे पार्टी नहीं बनाए जाने का अनुरोध किया था। आयोग ने कहा है कि उसके द्वारा पारित आदेश प्रशासनिक निर्णय नहीं था, बल्कि यह एक अर्ध न्यायिक निकाय के रूप में दिया गया था।
Created On :   16 March 2023 8:50 PM IST