यूनिवर्सिटी के इन 75 कालेजों पर लटक रही तलवार

The affiliation of 75 colleges of the university is in danger
यूनिवर्सिटी के इन 75 कालेजों पर लटक रही तलवार
यूनिवर्सिटी के इन 75 कालेजों पर लटक रही तलवार

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  यूनिवर्सिटी के 75 कालेजों की संबद्धता खतरे में दिखाई दे रही है। नए मापदंडों को पूरा करना कालेजों के लिए चुनौती भरा है । फलस्वरुप शिक्षा महाविद्यालयों (बी.एड, एम.एड, बी.पीएड, डी. एड) के लिए आगामी कुछ दिन मुश्किल भरे होंगे। अखिल महाराष्ट्र बिना अनुदान शिक्षा व शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय सेवा मंडल का दावा है कि संलग्नता के नए मापदंड इतने सख्त हैं कि उनको पूरा नहीं कर पाने वाले नागपुर यूनिवर्सिटी से संबद्ध करीब 75 कॉलेज बंद हो जाएंगे। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (एनसीटीए) के मापदंडों के मद्देनजर यूनिवर्सिटी ने कॉलेजों को सम्बद्धता देने का नया प्रारूप तैयार किया है। 

कालेजों का अलग तर्क 
कॉलेज संगठनों की मानें तो इस प्रारूप में इतनी विसंगतियां हैं कि तय मानकों को उपलब्ध करा कर सम्बद्धता पाना बहुत ही मुश्किल है। रही सही कसर उच्च शिक्षा विभाग ने पूरी की है। कॉलेजों के अनुसार विभाग ने जिन समितियों को कॉलेजों की जांच के लिए भेजा, उनमें जांच करने के लिए पात्र सदस्य ही नहीं थे। अपात्र सदस्यों द्वारा तैयार जांच रिपोर्ट के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों की एनओसी लटका रखी है। इस समस्या को लेकर हाल ही में कॉलेज प्रबंधनों के प्रतिनिधिमंडल ने उच्च शिक्षा सह संचालक डॉ. जयराम खोब्रागड़े से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा है।

हाईकोर्ट ने लिया था संज्ञान
बी.एड कॉलेजों की गुणवत्ता पर सवाल उठाती  याचिका नागपुर खंडपीठ में दायर की गई थी। कॉलेजों में खाली सीटें, पर्याप्त शिक्षकों का नहीं होना, सुविधाओं का अभाव जैसी समस्याएं उठाई गई थीं। एनसीटीए के दिशानिर्देशों के उल्लंघन का मुद्दा उठाया गया था। हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी को एनसीटीए की गाइडलाइन का पालन नहीं करने वाले कॉलेजों की सम्बद्धता रद्द करने का आदेश दिया था। जिसके बाद यूनिवर्सिटी ने सम्बद्धता के लिए नया प्रारूप जारी किया। इसके अनुसार 30 अप्रैल तक सम्बद्धता की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। लेकिन इस प्रारूप में कई विवादित पहलू शामिल होने से शिक्षा महाविद्यालय इसके विरोध में उतर आए हैं।

नए नियम से परेशानी 
यूनिवर्सिटी ने शिक्षा महाविद्यालयों की सम्बद्धता के लिए मापदंडों की नई अधिसूचना जारी की है। जिसमें यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट किया है कॉलेजों के मूल्यांकन के लिए नैक का ग्रेड मायने रखा जाएगा। जिन कॉलेजों की नैक मूल्यांकन की वैधता समाप्त हो गई है उन्हें क्वालिटी काउंसिल ऑफ एजुकेशन (क्यूसीआई) से जांच करवाने के लिए जमा किए गए शुल्क की रसीद जमा करानी होगी। इस अाधार पर उन्हें एक वर्ष के लिए सम्बद्धता तो दी जाएगी। लेकिन नैक या क्यूसीआई से ग्रेडेशन नहीं मिलने पर उनकी सम्बद्धता खत्म कर दी जाएगी। यहां कॉलेजों के सामने बड़ा असमंजस है। अब शिक्षा महाविद्यालयों को सम्बद्धता देने के अधिकार नैक के पास नहीं है। यह अधिकार क्यूसीआई के पास है। लेकिन कॉलेजों को क्यूसीआई मंजूर नहीं है। क्यूसीआई को मूल्यांकन के अधिकार देने का विरोध करती कई याचिकाएं विविध न्यायालयों में लंबित हैं।

इक्का-दुक्का कालेज ही बचेंगे
शिक्षा महाविद्यालयों को सम्बद्धता देने के लिए यूनिवर्सिटी ने जो नया प्रारूप जारी किया है, वह समझ के बाहर है। इतने सारे मापदंडों की पूर्ति करना संभव ही नहीं है। ऐसे से नागपुर के इक्का-दुक्का कॉलेज छोड़ शेष कॉलेजों की सम्बद्धता ही खतरे में पड़ जाएगी। दूसरी मुख्य समस्या है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा अपात्र सदस्यों की समितियों ने कॉलेजों का निरीक्षण किया और इस आधार पर हमारी एनओसी रोक दी गई। 
(केशव भंडारकर, अध्यक्ष अखिल महाराष्ट्र बिना अनुदान शिक्षा व शारीरिक शिक्षा महाविद्यालय)

समस्या का अध्ययन कर रहा हूं
कॉलेज प्रबंधनों के शिष्टमंडल ने जांच समितियों पर आपत्ति जताई है। मगर हमारा मानना है कि समितियों में सभी सदस्य पात्र थे। वे साइंस, सोशल साइंस कॉलेजों के शिक्षक थे। लेकिन शिक्षा महाविद्यालयों की जो शिकायत है उसे दूर करने के लिए मैं उनकी समस्या के हर पहलू का अध्ययन कर रहा हूं। इसके बाद ही कुछ कह पाऊंगा। 
(डॉ. जयराम खोब्रागडे, सह संचालक उच्च  शिक्षा विभाग, नागपुर)
 

Created On :   31 March 2018 2:17 PM IST

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