बंद होने की कगार पर मेडिकल का कैंसर विभाग, एसोसिएट प्रोफेसर दीवान का औरंगाबाद ट्रांसफर  

The Cancer Department of Medical is on the path of closure
बंद होने की कगार पर मेडिकल का कैंसर विभाग, एसोसिएट प्रोफेसर दीवान का औरंगाबाद ट्रांसफर  
बंद होने की कगार पर मेडिकल का कैंसर विभाग, एसोसिएट प्रोफेसर दीवान का औरंगाबाद ट्रांसफर  

डिजिटल डेस्क, नागपुर। स्वतंत्र कैंसर अस्पताल बनाने के वादे से सरकार मुकर रही है। स्वतंत्र कैंसर अस्पताल बनाने की बात तो दूर अब शासकीय मेडिकल अस्पताल का कैंसर विभाग (रेडियोथेरेपी एंड एन्कॉलोजी) बंद होने की नौबत आ गई है। यहां प्रोफेसर का पद पहले से रिक्त है। एक एसोसिएट प्रोफेसर के भरोसे कैंसर विभाग चल रहा था। पदोन्नति देकर उन्हें औरंगाबाद भेज दिया गया है। उनकी जगह किसी की नियुक्ति नहीं की गई। यह पद भी रिक्त हो जाने से शासकीय मेडिकल कॉलेज का कैंसर विभाग बंद होने की कगार पर खड़ा है।

वैद्यकीय मंत्री ने चकनाचूर किया सपना

नागपुर में कैंसर अस्पताल बनाने की घोषणा वैद्यकीय शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन ने सदन में की थी। उन्होंने कहा था कि बजट में निधि का प्रावधान किया गया है। जमीन तलाशी जारी है। जमीन मिलने पर कैंसर अस्पताल का काम शुरू किया जाएगा। महाजन वादे पर खरे नहीं उतरे। नागपुर काे धता बताकर कैंसर अस्पताल औरंगाबाद ले जाया गया। नागपुर के शासकीय मेडिकल कॉलेज तथा अस्पताल में कैंसर विभाग को अपडेप करने के लिए निधि मंजूर कर कैंसर अस्पताल का सपना चकनाचूर कर दिया गया। 

खतरे में एमडी के विद्यार्थियों का भविष्य

वैद्यकीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर तथा 2 लेक्चरर की एक यूनिट होती है। शासकीय मेडिकल कॉलेज के कैंसर विभाग में एक लेक्चरर छोड़ बाकी सभी पद रिक्त हैं। कैंसर विभाग (रेडियोथेरेपी एंड एन्कॉलोजी) में प्रथम वर्ष की प्रवेश क्षमता 2 विद्यार्थी है। 3 वर्षीय पाठ्यक्रम में एक साथ 6 विद्यार्थी स्नातकोत्तर की पढ़ाई करते हैं। विभाग बंद होने की कगार पर खड़ा रहने से विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में आ गया है। शासकीय मेडिकल कॉलेज तथा अस्पताल में कैंसर विभाग (रेडियोथेरेपी एंड एन्कॉलोजी) बंद होने की कगार पर खड़ा है। विभाग में एक प्रोफेसर, एक एसोसिएट प्रोफेसर और 2 लेक्चरर के पद मंजूर हैं। प्रोफेसर पद पहले से रिक्त है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अशोक दीवान विभाग प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। उनके तबादले के बाद इस िवभाग में केवल एक लेक्चरर बचा है। स्नातकोत्तर विभाग के लिए लेक्चरर पात्र नहीं रहने से कैंसर विभाग बंद होने की कगार पर खड़ा है।


 

Created On :   24 Feb 2019 12:03 PM GMT

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