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हाई कोर्ट तक पहुंचा बिना अनुमति बैंकाक टूर पर जाने का मामला, मिला स्टे

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बिना अनुमति बैंकाक टूर करने का मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। बता दें कि मामले में जिला परिषद के 20 कर्मचारियों में से 10 को बिना अनुमति यात्रा करने के चलते सीईओ ने सस्पेंड किया था। सस्पेंड कर्मचारियों ने सीईओ के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर पर न्यायमूर्ति जेड. ए. हक ने अंतरिम स्थगनादेश दिया है।
समिति के सामने भी उठाए थे सवाल
उल्लेखनीय है कि जिप में कर्मचारियों की विदेश यात्रा चर्चा का विषय बन गई है। इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप और राजनीति रंग देने के प्रयास किए जा रहे हैं । इस मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर बिना अनुमति के विदेश यात्रा करने वाले 10 कर्मचारियों को सीईओ ने सस्पेंड भी किया गया था। 18 मई को हुई आमसभा में निर्माणकार्य विभाग की कार्यकारी अभियंता नीता ठाकरे ने निलंबन की अधिकृत घोषणा की। निलंबन कार्रवाई को शिथिल करने के लिए सत्तापक्ष की ओर से सीईओ पर पूरी तरह दबाव बनाने के प्रयास किए गए, परंतु सीईओ ने साफ मना कर दिया। निलंबन टलने का कोई रास्ता नहीं बचने पर कर्मचारियों ने हाईकोर्ट की शरण ली। कर्मचारियों की ओर से एड. नहुल खुबालकर ने कोर्ट में पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि नियमानुसार अवकाश मंजूर होने के बाद कर्मचारी विदेश यात्रा पर गए थे। उन्होंने अपनी जेब से पूरा पैसा खर्च किया। भारत के नागरिक होने के नाते उन्हें यात्रा का संवैधानिक अधिकार है। उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई करना, उनके व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन है। याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद अवकाशकालीन न्यायाधीश जेड. ए. हक ने अंतरिम स्थगनादेश जारी किया। इस विषय में सीईओ डॉ. कादंबरी बलकवड़े से 8 जून तक जवाब तलब किया गया है। बैंकाक टूर पर 20 कर्मचारी गए थे जिसमें से 10 के खिलाफ ही कार्रवाई की गई जबकि 10 लोगों पर किसी तरह की कार्रवााई के कदम नहीं उठाए गए जिसे लेकर भी समिति के सामने सवाल उठाए गए हैं।
Created On :   25 May 2018 2:02 PM IST