तकलीफ को बनाया ताकत , अब दूसरों की आंखों के लिए बनवा रहे नेत्र चिकित्सालय

The commendable steps raised to save peoples eyesight
तकलीफ को बनाया ताकत , अब दूसरों की आंखों के लिए बनवा रहे नेत्र चिकित्सालय
तकलीफ को बनाया ताकत , अब दूसरों की आंखों के लिए बनवा रहे नेत्र चिकित्सालय

 डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा ।थोड़ी सी तकलीफ भी किसी बड़े कार्य की वजह बन सकती है। पूरन राजलानी को आंख आने पर हुई तकलीफ इतनी कष्टप्रद और दुखदायी लगी कि वो दूसरों की आंखों को बचाने जुट गए। इस जुनून ने उन्हें नेत्रदान करवाने प्रेरित करने वाला व्यक्ति बना दिया। उनके इस कार्य में छिंदवाड़ा के रमेश सुखेजा और परासिया के पिंकेश पटोरिया कदम से कदम मिलाकर जुटे रहे। इनके प्रयास और कार्य अब तक हजारों लोगों की आंखों की रोशनी लौटाने में महत्वपूर्ण भूमिका बने हैं। इन्होंने पहले जिले भर में कई जगह मोतियाबिंद ऑपरेशन शिविर आयोजित किए। फिर लोगों को नेत्रदान के लिए प्रेरित कर नेत्रहीनों को नेत्र प्रत्यारोपण करवाया। अब परासिया में चैरिटी से नेत्र चिकित्सालय संचालित करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
पौने दो सौ व्यक्तियों से करवाए नेत्रदान
नब्बे के दशक से पूरन राजलानी, पिंकेश पटोरिया और रमेश सुखेजा नेत्र जांच- उपचार और प्रत्यारोपण के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। इनकी सक्रियता और लायंस क्लब के माध्यम से अब तक एक हजार से अधिक लोगों का सालाना मोतियाबिंद ऑपरेशन हो रहे हैं। वहीं पौने दो सौ व्यक्तियों का नेत्रदान करवा कर नेत्रहीनों को प्रत्यारोपण करवाया, जिससे उन नेत्रहीनों के जीवन में नई रोशनी आई है।
पहला नेत्रदान 20 साल पहले करवाया
पूरन राजलानी बताते हैं कि उन्होंने पहली बार 12 जुलाई- 97 को छिंदवाड़ा के उधवदास नथानी का नेत्रदान करवाया। उस दौरान नेत्र चिकित्सालय भोपाल भेजी गई उनकी आंखों से दो नेत्रहीन व्यक्तियों की आंख में नई रोशनी और जीवन में नई खुशहाली आई।
ऐसे बढ़ते गए प्रयास
लायंस क्लब और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर इन्होंने मोतियाबिंद ऑपरेशन के कई शिविर आयोजित करवाए। वर्ष 2007 में परासिया में नेत्र चिकित्सालय प्रारंभ किया। यहां उन्होंने छह नेत्र रोगियों की आंखों में कार्निया का सफल प्रत्यारोपण करवाया। अब रेलवे स्टेशन के समीप भव्य अस्पताल भवन तैयार हो रहा है।
नेत्रदान के लिए जागरूकता जरूरी
पूरन राजलानी कहते हैं कि आंखों का पर्दा खराब होने से दिखाई नहीं देने की स्थिति में कार्निया प्रत्यारोपण होता है। व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसकी आंख पर गीली पट्टी अथवा कपास रखें। संभव हो तो कोई भी आई ड्रापÓ डाल दें। मृत्यु से 6 घंटे के अंदर नेत्रदान और 48 घंटे में प्रत्यारोपण होना चाहिए। नेत्रों को विशेष रसायन में तीन माह तक सुरक्षित रखकर भी प्रत्यारोपण कर सकते हं।

 

Created On :   25 Oct 2017 1:39 PM IST

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