- Home
- /
- राज्य
- /
- महाराष्ट्र
- /
- नागपुर
- /
- किसानों को फसल बीमा देने कंपनी झाड़...
किसानों को फसल बीमा देने कंपनी झाड़ रही पल्ला, जटिल शर्तों में उलझा प्रशासन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसानों की बदकिस्मती साथ छोड़ने का नाम नहीं ले रही है। एक तरफ प्राकृतिक आपदा ने सिर तक कर्ज में डुबो दिया दूसरी तरफ फसल बीमा की जटिल शर्तें उनकी किसी भी तरह से मदद करने में नाकाम रही है। जिले के किसानों का करोड़ों का नुकसान हुआ है, लेकिन नियमों में फिट नहीं बैैठने से बीमा कंपनी ने किसी को क्षतिपूर्ति नहीं दी। जिला प्रशासन व कृषि विभाग के अधिकारियों ने मिलकर इस विषय पर मंथन किया। शासन स्तर पर क्या मदद की जा सकती है, इस पर भी माथापच्ची हुई। राजस्व व कृषि विभाग के अधिकारी नियमों के पेंच में फंसी इस योजना का लेखाजोखा जिलाधीश के समक्ष रखेंगे।
बीमा कंपनी झाड़ रही पल्ला
काटोल व नरखेड़ के किसानों को मदद देने को लेकर प्रशासन पर जबरदस्त दबाव है। जरूरत पड़ी तो स्पेशल केस (विशेष मामला) मानकर किसानों को मदद करने की गुहार सरकार से की जा सकती है। नागपुर जिले में करीब एक लाख किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा निकाला गया था। आेलावृष्टि व बेमौसम बारिश से किसानों की फसल चौपट हुई हैै। जिला प्रशासन व कृषि विभाग के अधिकारियों ने मिलकर संबंधित क्षेत्रों का सर्वे किया। पंचनामे कर रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी गई है। इधर प्रशासन की सूचना पर बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों ने घटनास्थल जाकर सर्वे किया। सर्कल में 75 फीसदी बुआई नहीं होने पर फसल बीमा का लाभ देने का नियम बताकर बीमा कंपनी ने अपना पल्ला झाड़ लिया।
गुहार लगा रहे अन्नदाता
क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर जिले के किसानों की आवाज लगातार बुलंद होती जा रही है, अगर किसी को बीमा का लाभ नहीं मिला, तो बीमा निकाला ही क्यों? यह सवाल भी उठ रहे हैं। जिलाधीश अश्विन मुदगल मंगलवार को मुंबई से नागपुर पहुंचेंगे। जिला प्रशासन व कृषि विभाग के अधिकारी मंगलवार को इस संदर्भ में जिलाधीश को जानकारी देंगे। साथ ही प्रशासन की तरफ से की गई कार्रवाई का ब्यौरा भी देंगे। पालकमंत्री के माध्यम से सरकार से स्पेशल केस मानकर कुछ राहत पहुंचाने की गुहार लगाई जा सकती है।
कृषि मंत्री ने बढ़ाई प्रशासन की जिम्मेदारी
राज्य के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर ने किसानों को खाद, बीज व कर्ज देने का निर्देश देने के साथ ही जिन किसानों की फसल बर्बाद हुई, उन्हें नुकसान भरपाई देने को कहा है। बीमा कंपनी ने हाथ उठा लिए आैर प्रशासन अपने स्तर पर मदद कर नहीं सकता। प्रशासन नियमों को बाजू में रखकर मानवता के नाते बीच का रास्ता निकालकर किसानों को कैसे मदद दी जाए, इस पर विचार कर रहा है।
पूर्व मंत्री देशमुख व विधायक देशमुख का आंदोलन
अलग-अलग राजनीतिक पार्टी में होने के बावजूद पूर्व मंत्री अनिल देशमुख व भाजपा विधायक डा. आशीष देशमुख (चााचा-भतीजे) ने किसानों के मुद्दे पर एक मंच पर आकर आंदोलन किया। विधायक देशमुख ने सरकार में रहने के बावजूद सरकार के खिलाफ किसानों के हित में आवाज बुलंद की। काटोल-नरखेड़ के किसानों को क्षतिपूर्ति देने की मांग की गई। इस क्षेत्र के एक किसान ने आत्महत्या भी कर ली थी। पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने क्षेत्र का दौरा कर किसानों का रोष कम करने की कोशिश की थी। किसानों ने पालकमंत्री के सामने ही सरकार के विरोध में नारेबाजी की थी। पालकमंत्री ने किसानों को नुकसान भरपाई देने के लिए शासन से बात करने का वादा किया था।
Created On :   24 April 2018 1:50 PM IST