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सतना-पन्ना रेललाइन पर बाईपास बना रही कंपनी ने 6 फीट छोटे कर दिए आरओबी के चारों पिलर...
डिजिटल डेस्क सतना। बेला-सतना फोरलेन प्रोजेक्ट के अंतर्गत नेशनल हाइवे पर यहां बाईपास बना रही श्रीजी इन्फ्रा ने पन्ना-सतना रेल लाइन के लिए 6 फीट छोटा आरओबी बना कर नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। गुरुवार को रेलवे , एनएचएआई और निर्माण कंपनी के टेक्निकल एक्सपट्र्स के संयुक्त निरीक्षण में यह तथ्य सामने आया कि आरओबी के सभी 4 पिलर जीएडी (जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग) के विपरीत 1.875 मीटर (6 फिट) छोटे हैं। रेलवे की जीएडी में फोर-पियर की स्टैंडर्ड हाइट रेल लाइन से 6.7 मीटर निर्धारित की गई थी। इसके विपरीत श्रीजी ने न केवल चारो खंभे 4.825 मीटर पर खड़े कर दिए , बल्कि आननफानन में 52 मीटर चौड़े इस रेलवे ओवर ब्रिज पर स्टील गर्डर डालते हुए कंक्रीट भी बिछा दी। स्थल निरीक्षण के दौरान मौके पर मौजूद एडीईएन (कांस्ट्रक्शन) संजय पाठक ने स्पष्ट किया कि स्टील और कंक्रीट वर्क करने से पहले रेलवे को इस आशय की सूचना तक नहीं दी गई। जाहिर है, सतना-पन्ना रेल लाइन के लिए एनएच-75 के बाईपास पर बनाया गया आरओबी रेलवे के किसी काम का नहीं है।
आखिर, अब क्या होगा
सवाल यह है कि आखिर, अब क्या होगा? गुरुवार को स्थल के संयुक्त निरीक्षण के दौरान एडीईएन (कांस्ट्रक्शन) संजय पाठक, एनएचएआई के ईई शंकरलाल, श्रीजी इन्फ्रा के सीईओ दिलीप भदौरिया और प्रोजेक्ट मैनेजर राहुल सिंह की मौजूदगी में लगभग डेढ़ घंटे तक चली कवायद के बाद भी नतीजा सिफर रहा। माना जा रहा है तय मानकों के विपरीत बनाए गए आरओबी पर अब अंतिम निर्णय रेलवे और एनएचएआई के आला अफसरों की टेक्निकल टीम लेगी।
अभी कम से कम लगेंगे 6 माह
उल्लेखनीय है, बेला-सतना फोरलेन प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित लगभग 22 किलोमीटर लंबा बायपास 8 साल से निर्माणाधीन है। श्रीजी इन्फ्रा के हाल के दावे के मुताबिक काम जून माह तक हर हाल में पूरा कर लिया जाना था। मगर, अब ऐसा संभव नहीं है। टेक्निकल एक्सपटर््स की मानें तो जीएडी (जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग) के अनुरुप आरओबी को तैयार करने के लिए सबसे पहले 52 फीट चौड़े और लगभग 700 मीटर लंबे कंक्रीट स्लैब को तोडऩा होगा। इसके बाद चारों पियर की 6.7 मीटर स्टैंडर्ड साइज लेते हुए एक बार फिर से कंक्रीट वर्क करना होगा।
क्यों आई ये नौबत: इसे ऐसे समझें
जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग के तहत रेलवे ओवर ब्रिज के पिलर की ऊंचाई रेल लाइन से 6.7 मीटर तक होनी चाहिए थी, मगर रेलवे के तकनीकी विशेषज्ञों का मानना है कि श्रीजी इन्फ्रा ने इस ड्राइंग की अनदेखी की और पिलर का आधार मीन सी लेवल (समुद्र तल) मानते हुए सिर्फ 4.825 मीटर ऊंचे खंभे खड़े कर दिए। यही वजह है कि बन कर तैयार आरओबी रेलवे के किसी काम का नहीं रह गया है। अगर यही हालत रही तो न तो ट्रैक का विद्युतीकरण हो पाएगा और न ही रेल यातायात संभव होगा।
इनका कहना है
आरओबी के निर्माण में जनरल अरेंजमेंट ड्राइंग (जीएडी) के मानकों का पालन नहीं किया गया है। स्टील और कंक्रीट वर्क करने से पहले रेलवे को इस संंबंध में अवगत भी नहीं कराया गया है।
संजय पाठक, एडीईएन (कांस्ट्रक्शन)
Created On :   19 March 2021 6:12 PM IST