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एसटी बसों का हाल , स्टेपनी की उछल-कूद के बीच यात्री परेशान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। नियमानुसार एसटी बसों की स्टेपनी को बस के नीचे नट-बोल्ट लगाकर रखना चाहिए, जिससे जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग हो सके। लेकिन इन दिनों मैकेनिकल विभाग की लापरवाही के कारण स्टेपनी को बस के अंदर रखा जा रहा है। इससे खराब रास्तों पर जैसे ही बस उछलती है, वैसे ही स्टेपनी भी उछल-कूद करने लगती है। जिस कारण कई बार यात्री मामूली रूप से घायल भी हो जाते हैं। लगभग 100 किलो की स्टेपनी यदि झटके से किसी यात्री पर गिर जाए, तो परिणाम घातक हो सकते हैं। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
घातक हो सकती है अनदेखी
सस्ता व सुरक्षित सफर की बात करें, तो एसटी बसों का नाम पहले आता है। यात्री इसमें सफर करना महफूज समझते हैं। इसी के कारण प्रतिदिन नागपुर मंडल से 570 बसें विभिन्न दिशाओं की ओर आवागमन करती हैं। लेकिन इन दिनों सफर पूरी तरह सुरक्षित नहीं लग रहा है, जिसका मुख्य कारण बसों में रखी स्टेपनी है। मीलों चलने वाली बसें कभी-भी पंक्चर हो सकती हैं, ऐसे में बस में एक एक्स्ट्रा स्टेपनी रखना जरूरी होता है, लेकिन लगभग 100 किलो की यह स्टेपनी यात्रियों से दूर रहना ही सुरक्षित है। लेकिन लापरवाही के चलते स्टेपनी को बस के अंदर रखा जा रहा है।
अब तक इसे ड्राइवर के पास रखने से इतनी दिक्कतें नहीं होती थीं, लेकिन अब कुछ बसों में स्टेपनी को पीछे रखा जाता है। खराब रास्तों पर जब भी बस उछलती है, तो यह स्टेपनी कूदने लगती है। इसे बांधकर भी नहीं रखा जाता है। ऐसे में जोरदार झटके पर यह 2 फीट तक उछल जाती है। जिससे यात्री घायल भी हो सकते हैं। कुछ ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि स्टेपनी को इस तरह से रखना कई बार यात्रियों को बैठने के लिए मुश्किलें पैदा करता है, वहीं कई बार तो इससे यात्री जख्मी भी हो रहे हैं।
दी जाएगी सूचना
बस के नीचे स्टेपनी का ब्रेकेट होता है। जहां स्टेपनी को रखा जाता है। यदि कोई बस बीच में पंक्चर हो जाती है। तो कुछ देर के लिए इसे निकालकर रखा जाता है। यदि सफर के दौरान किसी बस में यह होता तो सूचना देकर स्टेपनी को ब्रेकेट में रखने के लिए कहा जाएगा। - अनिल आमनेरकर, डिपो मैनेजर, गणेशपेठ बस स्टैंड नागपुर
Created On :   5 Feb 2020 12:30 PM IST