जमीन की जंग भास्कर के संग: 2010 में प्रोजेक्ट लांच कर लाखों बटोरकर संचालक गायब

The director disappeared after collecting money from the launch of duplex project
जमीन की जंग भास्कर के संग: 2010 में प्रोजेक्ट लांच कर लाखों बटोरकर संचालक गायब
जमीन की जंग भास्कर के संग: 2010 में प्रोजेक्ट लांच कर लाखों बटोरकर संचालक गायब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सात साल पहले डुप्लेक्स प्रोजेक्ट लांच कर संचालक नौ दो ग्यारह हो गया। दिखाई गई जमीन आज भी खाली पड़ी हुई है। बात वर्ष 2010 की है। इंफ्राटेक के संचालक विजय शेलके ने नागपुर जिले के कुही तहसील के मौजा पिपरी में 1.5 बीएचके डुप्लेक्स प्रोजेक्ट शुरू करने का झांसा देकर दर्जनों लोगों से लाखों रुपए वसूले थे। उन्होंने इस प्रोजेक्ट को रामदासपेठ पिपरी सेक्टर-6 नाम दिया था। एक डुप्लेक्स की कीमत 13 लाख 20 हजार रखी थी आैर बुकिंग के समय 20 फीसदी यानी 2 लाख 64 हजार रुपए लिए थे। जिन लोगों से बुकिंग राशि ली गई, उन सभी को अलॉटमेंट लेटर दिया गया था। भरोसा दिया गया था कि शेष रकम किसी भी बैंक से फायनांस कराने में मदद की जाएगी। किसी को शक न हो इसलिए डुप्लेक्स के डेमो भी दिखाए गए थे। 

बहाने बनाते रहे
चार साल तक काम शुरू नहीं होने पर लोगों ने इंफ्राटेक के प्रतापनगर व सोमलवाड़ा स्थित कार्यालय में संपर्क किया तो दिसंबर 2014 में इंफ्राटेक की तरफ से सभी को एक पत्र दिया गया, जिसमें दावा किया गया कि अब यह जमीन नासुप्र से क्लीयर हुई है आैर दिसंबर 2014 में काम शुरू होकर 18 महीने में पूरा हो जाएगा। आठ साल बीत गए, लेकिन अभी तक पूरी जगह खाली पड़ी है। 

विजय शेलके से संपर्क नहीं हो सका
दैनिक भास्कर ने इंफ्राटेक रियल एस्टेट प्रा. लि. पर लगे आरोपों के संबंध में संचालक विजय शेलके का पक्ष जानने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। सोमलवाड़ा व गावंडे ले आउट के लैंडलाइन नंबर बंद हैं। जो मोबाइल नंबर मिला वह अस्तित्व में नहीं है। 

पीड़ित दस्तावेजों के साथ मिलें 
इंफ्राटेक रियल एस्टेट प्रा. लि. के संचालक विजय शेलके के मोडस आपरेंटिव (काम की शैली) का पता चल गया है। मोबाइल नंबर बदलना, पता बदलना, कार्यालय बदलना उसकी फितरत है। आर्थिक विंग से जांच कराई जा सकती है। हम उसका मोबाइल नंबर भी ट्रेस कर लेंगे। पीड़ित मुझसे दस्तावेजों के साथ मिलें। पूरी मदद की जाएगी। 
(शिवाजी बोडखे, सह पुलिस आयुक्त नागपुर शहर)

उपभोक्ता फोरम का आदेश बेअसर 

इधर, जिला उपभोक्ता फोरम ने 13 जनवरी 2017 को पीड़ित आेमप्रकाश शाहू के पक्ष में फैसला सुनाया। फोरम ने पीड़ित को 2 लाख 64 हजार रुपए पर हर साल 9 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया। यह ब्याज 18 सितंबर 2010 से देना था। साथ ही पीड़ित को शारीरिक व मानसिक परेशानी के लिए 10 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति व शिकायत खर्च के तौर पर 5 हजार रुपए देने को कहा। हैरानी की बात है कि पीड़ित को अब तक फूटी कौड़ी नहीं मिली है। उपभोक्ता फोरम के आदेश का भी बिल्डर पर कोई असर नहीं हुआ। 

तब बहाना बनाते थे, अब धमकी दे रहे हैं
रियल एस्टेट कंपनियां कैसे बेवकूफ बनाती हैं, इसे नागपुर में और की तरह इंफ्राटेक के संचालक विजय शेलके ने भी कर दिखाया। शहर के दो स्थानों पर कंपनी का हाईटेक कार्यालय खोला और मकान का सपना दिखाकर आराम से पैसे लेता रहा। चार साल तक प्रोजेक्ट स्थल पर काम शुरू नहीं हुआ तो खरीददारों ने पूछताछ शुरू की। पहले तो बहाना बनाया गया, पर अब धमकी दी जा रही है।

पीड़ितों की व्यथा
दो बार सोनेगांव पुलिस थाने में शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। मेरे पास बुकिंग अलाटमेंट लेटर है, पैस देने की रसीदें हैं, 18 महीने में काम पूरा होने संबंधी दिया गया पत्र है।
(आेमप्रकाश साहू, पीड़ित)

सोनेगांव थाने में शिकायत की तो पुलिस ने कोर्ट में जाने का पत्र दिया। यह धोखाधड़ी का मामला है।  धोखा करनेवाले को पुलिस नहीं ढूंढेगी तो कौन ढूंढेगा। जिला उपभोक्ता फोरम में भी मामला चल रहा है।  (बनारस साहू)

इंफ्राटेक के कार्यालय से रोज ही बैंरग लौट रहा हूं। जो नंबर दिए जाते हैं, वह बंद मिलते हैं। पुलिस चाहे तो उसे एक दिन में ढूंढ सकती है। प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हुआ, लिहाजा ब्याज सहित पैसे वापस मिलने चाहिए। 
(शंकर चौधरी)

Created On :   3 Aug 2018 1:46 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story