डॉक्टर ने ऐसी दवा लिखी कि किसी के समझ नहीं आ रही, क्लीनिक और उसका मेडिकल स्टोर बंद

The doctor wrote such medicine that no one understood, the clinic and its medical store closed
डॉक्टर ने ऐसी दवा लिखी कि किसी के समझ नहीं आ रही, क्लीनिक और उसका मेडिकल स्टोर बंद
डॉक्टर ने ऐसी दवा लिखी कि किसी के समझ नहीं आ रही, क्लीनिक और उसका मेडिकल स्टोर बंद

कमीशनबाजी - 5 में से 2 दवाएँ निश्चित दुकान में ही मिलेंगी
डिजिटल डेस्क जबलपुर।
साहब, 25 साल से एक ही डॉक्टर से क्लीनिक पर इलाज करा रहा हूँ। एक महीने पहले तेज सर्दी, खाँसी की परेशानी होने पर उन्हें दिखाया था, जो दवा लिखी वह उनके पड़ोस वाले मेडिकल स्टोर से ले ली थी। अब फिर वही तकलीफ हो रही है, लॉक डाउन के कारण क्लीनिक और दवा दुकान बंद हैं पर्चा लिए भटक रहा हूँ तीन में से एक दवा किसी को समझ नहीं आ रही। डॉक्टर साहब फोन भी नहीं उठा रहे परेशान हूँ क्या करूँ? यह िकसी एक मरीज की पीड़ा नहीं है बल्कि सैकड़ों लोग परेशान हैं जो ऐसे प्रिस्क्रिप्शन लेकर भटक रहे हैं। प्रिस्क्रिप्शन में या तो डॉक्टर की लिखावट कोई पढ़ नहीं पा रहा या कोड वर्ड की तर्ज पर िलखीं दवाएँ समझ से परे हैं। ऐसे सैटिंग वाले क्लीनिकों में डॉक्टर्स 5 में से 2 या 3 ऐसी दवाएँ लिखते हैं जो सिर्फ उनके द्वारा बताए गए मेडिकल स्टोर वाला ही समझ सकता है। 
कमीशनबाजी का यह खेल चल तो सालों से रहा है लेकिन लॉक डाउन के कारण मरीजों को पहली बार इसका अहसास हो रहा है। क्लीनिक में डॉक्टर को दिखाने के बाद मरीज पड़ोस या इन हाउस बने मेडिकल स्टोर से ही दवाएँ लेते हैं। यह भी सही है कि उसी क्लीनिक के भरोसे ही ये दुकानें चलती हैं जिनमें वही दवाएँ रहती हैं जो डॉक्टर लिखते हैं। अब लॉक डाउन में क्लीनिकें बंद हैं तो उनसे जुड़ी दवा दुकानें भी। मरीज प्रिस्क्रिप्शन लेकर दुकान-दुकान भटक रहे हैं लेकिन 5 में 3 के औसत से ही दवा मिल रही है। दुकानदार जो दवा पढ़ पा रहा है वह दे देता है बाकी नहीं। 
लिखावट का भी खेल 
 दवाओं को कोड वर्ड अंदाज में लिखने के साथ ही कुछ डॉक्टर्स ऐसी राइटिंग में दवाएँ लिखते हैं जिन्हें समझना हर किसी दुकानदार के बस की बात नहीं है। मरीजों का कहना है कि दवा नहीं मिलने पर उसकी जगह कोई दूसरी के बारे में पूछने पर डॉक्टर को फोन लगाओ तो वह रिसीव ही नहीं होता। सालों से जिन डॉक्टर्स पर भरोसा रहा वह अब डगमगाने लगा है, भले ही वे क्लीनिक न खोलें लेकिन नियमित मरीज को फोन पर तो परामर्श दे सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
 
 

Created On :   2 April 2020 2:11 PM IST

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