पहले बने तीन पुल सुरक्षित हैं पर चौथा बह गया , हलालखुर्द पुल की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल - सीएम के सामने उठेगा मुद्दा

The first three bridges are safe but the fourth one swept away, a big question on quality
पहले बने तीन पुल सुरक्षित हैं पर चौथा बह गया , हलालखुर्द पुल की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल - सीएम के सामने उठेगा मुद्दा
पहले बने तीन पुल सुरक्षित हैं पर चौथा बह गया , हलालखुर्द पुल की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल - सीएम के सामने उठेगा मुद्दा

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। बाढ़ में बहे हलालखुर्द पुल की गुणवत्ता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल इसलिए कि पेंच नदी पर हलालाखुर्द से पहले तीन पुल अब भी खड़े हैं। चौथा पुल बाढ़ के सामने अडिग क्यों नहीं रह सका इस पर बात हो रही है। हलालखुर्द के पहले झिलमिली, बादगांव और बांसखेड़ा में पुल अब भी खड़े हैं। खासबात यह कि हलालखुर्द के बाद बेलपेठ का पुल भी बाढ़ के बाद खड़ा नजर आ रहा है। हालांकि क्षतिग्रस्त होने से ये पुल भी नहीं बच पाए हैं। हाइवे पर बने झिलमिली पुल के एप्रोच की मामूली मिट्टी कटी है। बादगांव पुल में एक छोर की करीब 50 मीटर एप्रोच बही है। बांसखेड़ा में भी एक छोर करीब 25 मीटर तक डेमेज हुआ है। जबकि हलालखुर्द और बेलपेठ के बीच का पुल में दोनों छोर पर एप्रोच बह गई है। एप्रोच बहने के बाद भी ये सभी पुल खड़े नजर आ रहे हैं। पुल बहने और क्षतिग्रस्त होने से दो दर्जन से अधिक गांवों का संपर्क टूट गया है। ग्रामीण व क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री के समक्ष उक्त मसले को उठाने की तैयारी में हैं।
पुल की आपस में दूरी औसतन 8 किमी:
पेंच नदी पर बने बादगांव, बांसखेड़ा, हलालखुर्द और बेलपेठ की आपस में दूरी औसतन 8 किमी है। इसमें बांसखेड़ा और बेलपेठ पुल की डिजाइन बाढ़ में डूबने वाले ब्रिज की है। जबकि बादगांव और हल्लाखुर्द पुल हाईलेवल   के अनुसार डिजाइन किए गए हैं। बादगांव हाईलेवल पुल पहले होने के बाद भी बच गया जबकि हल्लाखुर्द हाईलेवल पुल बाढ़ नहीं सह पाया।
सवा चार करोड़ पानी में गए:
हलालखुर्द पुल के निर्माण में 4.27 करोड़ लागत आई थी। चार साल पहले बने उक्त पुल की डिजाइन हाईलेवल पुल की थी। ऊंचाई 14 मीटर, चौड़ाई 8.40 मीटर और लंबाई 200 मीटर थी। भारी भरकम पुल बह गया है। मौके पर दोनों छोर पर सिर्फ अबटमेंट शेष दिखाई दे रहे हैं। दो बार में बने पुल का निर्माण तत्कालीन पीडब्ल्यूडी ब्रिज एसडीओ पीयूष अग्रवाल और श्री जायसवाल ने कराया था। पीयूष अग्रवाल अब छिंदवाड़ा में ही पीआईयू ईई के पद पर पदस्थ हैं।  
गांवों का संपर्क टूटा, कुंद हुए ग्रामीण:
हलालखुर्द पुल के बहने से जमतरा, कुंभपानी, साजपानी, मंदरिया और हलाल सहित दर्जन भर गांवों का चौरई व छिंदवाड़ा से संपर्क पूरी तरह टूट गया है। बादगांव, बांसखेड़ा और बेलगांव के पुलों की एप्रोच रोड बह जाने से दर्जनों गांवों का संपर्क टूटा है। हालांकि बांसखेड़ा में मुरम डाल कर रोड को चालू करने की तैयारी की जा रही है। कहा जा रहा है कि यहां जल्द ही   आवागमन शुरू हो जाएगा।
 

Created On :   4 Sept 2020 3:14 PM IST

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