मेडिकल के ट्रामा को लोकलेखा समिति ने लगाई फटकार, निरीक्षण में सामने आई खामियां

The flaws comes in front while the investigation of the Trauma
मेडिकल के ट्रामा को लोकलेखा समिति ने लगाई फटकार, निरीक्षण में सामने आई खामियां
मेडिकल के ट्रामा को लोकलेखा समिति ने लगाई फटकार, निरीक्षण में सामने आई खामियां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। ट्रॉमा केयर सेंटर का उद्देश्य दुर्घटना में घायल गंभीर मरीज को गोल्डन ऑवर में उपचार कर उसकी जान बचाना होता है, लेकिन यहां तो मुझे कैजुअल्टी ही नहीं दिखाई दे रही है, कोई बताएगा कि ट्रॉमा की कैजुअल्टी कहां है? यह सवाल लोकलेखा समिति के अध्यक्ष गोंदिया के विधायक गोपालदास अग्रवाल ने ट्रॉमा केयर सेंटर में निरीक्षण के दौरान पूछा। इस पर शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल डीन सहित स्टॉफ में शामिल अन्य लोगों ने चुप्पी साध ली। इतना ही नहीं, डीन ने स्वीकार किया कि ट्रॉमा सिर्फ 50 फीसदी चालू हो सका है।

इस पर विधायक अग्रवाल ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यदि कैजुअल्टी ही चालू नहीं हुई, तो कैसे मानें कि ट्रॉमा चालू हो गया। खामियों पर नाराजगी जताते हुए अधिकारियों को 29 मई को मुंबई में लोकलेखा समिति के सामने रिपोर्ट रखने के निर्देश दिए। इसके बाद समिति रिपोर्ट बनाएगी जो जुलाई में होने वाले अधिवेशन में रखी जाएगी। निरीक्षण में समिति सदस्य विधायक सुधाकर देखमुख, नाना श्यामकुले के अलावा विधान परिषद सदस्य गिरीश व्यास, चिकित्सा शिक्षा सचिव संजय देशमुख, चिकित्सा शिक्षा एवं शोध संचालनालय डॉयरेक्टर डॉ. प्रवीण शिंगारे, डॉ. दिनेश कुंभलकर, डॉ. सजल मित्रा सहित अन्य वरिष्ठ डॉक्टर प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

ट्रॉमा से मेडिकल के बीच बनाओ ब्रिज
विधायक अग्रवाल ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि ट्रॉमा का रैम्प बहुत छोटा है। इस वजह से वहां आने-जाने में परेशानी होती है इसे डबल किया जाए। साथ ही  ट्रॉमा केयर सेंटर और मेडिकल अस्पताल के बीच मरीजों को शिफ्ट करने के लिए कोई कनेक्टिविटी नहीं है, इसलिए बीच में  एयरोब्रिज बनाया जाए।

साहब... इधर है
शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल (मेडिकल) स्थित ट्रॉमा केयर सेंटर चालू होने के बाद से करीब दो साल तक बिना बोर्ड के चल रहा था, लेकिन जैसे ही मेडिकल प्रबंधन को ध्यान में आया कि ट्रॉमा की खामियों को खंगालने के लिए लोकलेखा समिति का निरीक्षण होने वाला है तो अचानक से एक दिन पहले गेट के बाहर ट्रॉमा केयर सेंटर इधर है का बोर्ड लग गया।

बोर्ड लगाने में लगा दिए 2 साल
उल्लेखनीय है कि मेडिकल का ट्रॉमा केयर सेंटर में बताई गई 40 खामियों को सुधारे बिना ही उसे चालू कर दिया गया ऐसी शिकायत हुई थी। इसके अतिरिक्त ट्रॉमा की कार्यप्रणाली पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं, जिसको लेकर सरकार द्वारा तय लोकलेखा समिति का निरीक्षण 26 अप्रैल को निश्चित किया गया था। लेकिन चिकित्सा शिक्षा सचिव और डीएमईआर डायरेक्टर न होने के कारण यह दौरा टल गया और 9 मई को निरीक्षण की तारीख तय की गई।

ट्रॉमा की विभिन्न खामियों को सुधारने की जगह मेडिकल प्रबंधन ने मंगलवार को आनन-फानन में मेडिकल के गेट के बाहर बोर्ड लगा दिया जो बता रहा है कि ट्रॉमा सेंटर इधर अंदर है। विशेष बात यह है कि ट्रॉमा का बोर्ड लगाने में मेडिकल प्रबंधन को करीब दो साल लग गए, इससे ट्रॉमा में चालू सुविधाओं को अंदाजा लगाया जा सकता है।

एपेक्स ट्रॉमा की टीम से करवाएं निरीक्षण
ट्रॉमा केयर सेंटर की तकनीकी खामियां समझने के लिए दिल्ली के अपेक्स ट्रॉमा केयर सेंटर से निरीक्षण करवाओ और खामियों को समझो की आखिरकार हमारे यहां क्या कमी है। ट्रॉमा में ब्लड बैंक नहीं है, जांच होती नहीं है, ओपीडी की सुविधा नहीं है और ऑपरेशनों की संख्या कम है इन सबको सुधारना होगा।

Created On :   10 May 2018 4:20 PM IST

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