हाईकोर्ट ने कहा- पूर्व डीईओ के खिलाफ न हो कठोर कार्रवाई - प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा और अन्य से दो सप्ताह में माँगा जवाब

The High Court said - do not take drastic action against the former DEO, the Secretary demanded a response
हाईकोर्ट ने कहा- पूर्व डीईओ के खिलाफ न हो कठोर कार्रवाई - प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा और अन्य से दो सप्ताह में माँगा जवाब
हाईकोर्ट ने कहा- पूर्व डीईओ के खिलाफ न हो कठोर कार्रवाई - प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा और अन्य से दो सप्ताह में माँगा जवाब

डिजिटल डेस्क जबलपुर । मप्र हाईकोर्ट ने आदेशित किया है कि जबलपुर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) एसके नेमा के खिलाफ किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई न की जाए। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर की एकल पीठ ने स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव, संचालक लोकशिक्षण, संयुक्त संचालक शिक्षा, कलेक्टर जबलपुर और सहायक संचालक घनश्याम सोनी से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है। याचिका की अगली सुनवाई 20 जनवरी को नियत की गई है। 
एसके नेमा की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि उनका मूल पद उप संचालक का है। शिक्षा विभाग में उप संचालक ही जिला शिक्षा अधिकारी के पद को सँभाल सकता है। शिक्षा विभाग ने मार्च 2019 में उनका तबादला जबलपुर के जिला शिक्षा अधिकारी के पद पर किया था। इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी का तबादला भी भोपाल से जबलपुर करा लिया। याचिका में कहा गया कि 15 दिसंबर 2020 को उनका तबादला अनूपपुर कर दिया गया। जबलपुर में प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी का पद अनावेदक घनश्याम सोनी को दे दिया गया जो सहायक संचालक हैं। अधिवक्ता प्रवीण दुबे ने तर्क दिया कि नियमों के अनुसार सहायक संचालक के स्तर के अधिकारी को जिला शिक्षा अधिकारी का पद नहीं दिया जा सकता है। राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में अनावेदक का तबादला जबलपुर से पन्ना कर दिया था। जिस पर हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी किया है। राज्य सरकार की ओर से पेश जवाब में कहा गया कि अनावेदक पिछले 27 साल से जबलपुर में जमे हुए हैं। इसलिए उनका तबादला किया गया था। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि अनावेदक ने प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी का प्रभार ग्रहण कर लिया है। इसलिए उन्हें जवाब पेश करने के लिए समय दिया जाए। सुनवाई के बाद एकल पीठ ने अनावेदकों से दो सप्ताह में जवाब तलब किया है।

Created On :   5 Jan 2021 9:22 AM GMT

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