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ढेरों समस्याओं से जूझ रहा यूनिवर्सिटी अस्पताल, नहीं आते शिक्षक और छात्र इलाज कराने
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के लाॅ कॉलेज चौक स्थित अस्पताल को ही ‘सहारे’ की जरुरत आन पड़ी है। असुविधाओं के कारण न तो विश्वविद्यालय के शिक्षक-कर्मचारी और न ही विद्यार्थी यहां इलाज कराने आते हैं। विवि के इस अस्पताल में एक महिला चिकित्सक और चार कर्मचारी कार्यरत हैं। विवि यहां अपने विद्यार्थियों को प्राथमिक आरोग्य सेवाएं देता है, लेकिन यहां विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं हैं। इसी तरह जांच के लिए जरूरी कई उपकरण भी नहीं है। कोई भूला-भटका विद्यार्थी यहां पहुंच भी जाए, तो अंतत: उसे बाहरी अस्पताल में ही इलाज कराने की सलाह दी जाती है।
"स्टूडेंट मेडिकल एड फंड" के बारे में प्रचार-प्रसार नहीं
नागपुर विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को चिकित्सा में सहायता के लिए "स्टूडेंट मेडिकल एड फंड" की सुविधा उपलब्ध है। इस योजना के तहत विद्यार्थियों को चिकित्सा के लिए 1 लाख रुपए तक की मदद विवि द्वारा की जाती है, लेकिन विवि द्वारा इसका पर्याप्त प्रचार-प्रसार न करने के कारण योजना ठंडे बस्ते में पड़ी है।
यही कारण है कि बीते पांच वर्षाें में महज 13 विद्यार्थियों ने इस योजना का लाभ लिया है। वहीं बीते एक वर्ष में 10 से भी कम विद्यार्थियों ने इस योजना के लिए आवेदन किया। नियमों के मुताबिक विवि की एक समिति प्रत्येक 6 माह में आवेदक विद्यार्थियों को सहायता देने पर निर्णय लेती है। आवेदनों की मामूली संख्या को देखते हुए निर्धारण समिति की नियमित बैठकें भी नहीं हो रही हैं।
मृतकों के परिजनों के लिए भी मदद का प्रावधान
विवि की इस योजना के तहत यह भी प्रावधान है कि यदि किसी विद्यार्थी की कॉलेज या विवि आते जाते वक्त हादसे में मृत्यु हो जाए, तो उसके परिजनों को कुछ आर्थिक मदद की जाती है, लेकिन इसकी जानकारी न होने के कारण इस घटक के तहत विवि को आवेदन ही नहीं आ रहे हैं। कुछ वर्ष पूर्व एक विद्यार्थी के परिजनों ने आवेदन किया था। उसके परिजनों को विवि ने 25 हजार रुपए की आर्थिक मदद की थी। विश्वविद्यालय की यह योजना केवल कैंपस के विद्यार्थियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सभी सम्बद्ध कॉलेजों के विद्यार्थी इसका लाभ ले सकते हैं।
Created On :   18 March 2019 10:57 AM IST