बीजों की कमी से अटकी बुआई, जरूरत के हिसाब से करीब आधे ही उपलब्ध

The sowing process is stopped due to non availability of seeds
बीजों की कमी से अटकी बुआई, जरूरत के हिसाब से करीब आधे ही उपलब्ध
बीजों की कमी से अटकी बुआई, जरूरत के हिसाब से करीब आधे ही उपलब्ध

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। धान के कटोरे के रूप में प्रसिद्ध गोंदिया जिले में खरीफ फसल के दौरान लगभग 1 लाख 78 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की फसल ली जाती है। जिसके लिए इस वर्ष शासन से 56 हजार 565 क्विंटल धान बीजों की मांग की गई थी, लेकिन बुआई अंतिम चरण में पहुंचने के बावजूद सिर्फ 31 हजार क्विंटल बीज ही उपलब्ध हुए हैं। एक माह पहले से बाजार से बीज गायब हो गए हैं जबकि हजारों हेक्टेयर क्षेत्र की बुआई बाकी है। ऐसे में बीजों के नहीं मिलने से बुआई कैसे होगी ऐसी गंभीर समस्या में किसान फंसे हुए हैं। 

बता दें कि रोपाई के कुल क्षेत्र के लगभग 10-15 प्रतिशत क्षेत्र में धान की नर्सरी लगाई जाती है। कुछ किसान पारंपरिक पद्धति से अपने घर पर उपलब्ध धान के बीजों का ही उपयोग करते हैं, जबकि अधिकांश किसान बाजार में उपलब्ध उच्च प्रजाति के धान बीजों को अधिक प्राथमिकता देते हैं। 

सब्सिडी पर धान के बीज किसानों को उपलब्ध कराने का ढिंढोरा शासन ने पीटा था, लेकिन मांग के अनुरूप नहीं बल्कि प्रसाद के रूप में  एक सात-बारा पर सिर्फ एक बैग बीजों की आपूर्ति की गई,  जिससे सब्सिडी की यह योजना सफेद हाथी साबित हुई। किसानों की मांग है कि भले ही पूरे दाम पर, लेकिन धान के बीजों को उपलब्ध करवाया जाए।

शासन का काम होने के बावजूद भी जब 56 हजार 565 क्विंटल बीजों की मांग की गई तो सिर्फ 25 हजार क्विंटल महाबीज एवं अन्य निजी कंपनियों के बीज ऐसे कुल 31 हजार क्विंटल बीज उपलब्ध करवाए गए। आधी-अधूरी बुआई होने पर ही बीज मिलना बंद होने से अब मजबूरी में किसान घर का ही धान उपयोग में ला रहे हैं। 

30 फीसदी बुआई घर के धान से
शासन की ओर से पर्याप्त मात्रा में धान के बीज उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण किसानों ने मजबूरी में घर के धान को बीज के रूप में उपयोग में लाया है। जिनके पास धान उपलब्ध नहीं था। उन्होंने अन्य किसानों से या फिर व्यापारियों से सादा धान खरीदकर बुआई की है। कुल बुआई क्षेत्र में से लगभग 30 फिसदी बुआई में धान का उपयोग किया गया है। 

कथनी और करनी में अंतर
जनप्रतिनिधियों द्वारा कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को बड़े-बड़े आश्वासन दिए जाते हैं। हर जनप्रतिनिधि किसानों के हित की बात करता है, लेकिन उनकी कथनी और करनी में साफ-साफ अंतर दिखाई दे रहा है। बुआई की कालावधि लगभग खत्म हो रही है, लेकिन बीज अब तक उपलब्ध नहीं है। किसी भी जनप्रतिनिधि ने इस बात की ओर तवज्जों नहीं दी है। जिससे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ किसानों में रोष पनप रहा है। 
 

Created On :   4 July 2018 10:34 AM GMT

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